दूसरे राज्यों में बंगालियों के खिलाफ भेदभाव को लेकर पश्चिम बंगाल की CM मामता बनर्जी का कोलकाता में रोष मार्च

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद अभिषेक बनर्जी और पार्टी के कई अन्य नेताओं व कार्यकर्ताओं ने बुधवार को कोलकाता में प्रवासी मजदूरों की हिरासत के विरोध में जोरदार विरोध मार्च निकाला। ये मजदूर कथित रूप से बिना दस्तावेज़ वाले बांग्लादेशी बताए जाने के बाद गिरफ्तार किए गए थे और उनके निर्वासन की तैयारी की जा रही थी।
भाजपा सरकार को चेतावनी
टीएमसी ने मंगलवार को दावा किया था कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने नादिया जिले के आठ प्रवासी मजदूरों को जबरन हिरासत में लिया है। पार्टी ने आरोप लगाया कि इन मजदूरों को बिना किसी सूचना के हिरासत में लेकर उनके फोन ज़ब्त कर दिए गए और उन्हें जेल में बंद कर दिया गया। टीएमसी ने इसे राज्य प्रायोजित अपहरण करार देते हुए केंद्र की भाजपा सरकार को चेतावनी दी कि वे अपने लोगों का सम्मान करें या उनके खिलाफ सख्त प्रतिरोध की उम्मीद करें।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, छत्तीसगढ़ के कोंडागांव इलाके में प्रवेश के एक महीने बाद पहचान पत्र न दिखा पाने के कारण इन आठ मजदूरों को हिरासत में लिया गया था। बताया गया है कि उन्हें सोमवार शाम को रिहा कर दिया गया।
बंगालियों को परेशान किया जा रहा
इससे पहले, टीएमसी ने भाजपा शासित राज्यों में बंगाली भाषी लोगों के खिलाफ “विच हंट” का आरोप लगाते हुए टीएमसी नेता कुणाल घोष का एक वीडियो जारी किया था। पार्टी ने कहा कि बंगाली कार्यकर्ताओं को परेशान किया जा रहा है, हिरासत में लिया जा रहा है और सीमा पार निर्वासित किया जा रहा है। टीएमसी ने यह भी दावा किया कि वैध भारतीय नागरिकों को सिर्फ बांग्ला बोलने के कारण एनआरसी नोटिस जारी किए जा रहे हैं।
टीएमसी ने भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी पर आरोप लगाया कि वे इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देने के लिए प्रवासी मजदूरों को “रोहिंग्या” कहकर बंगालियों को निशाना बना रहे हैं। पार्टी ने अधिकारी और उनके सहयोगियों को “बंगाल और बंगालियों के दुश्मन” बताते हुए कहा कि 2026 के चुनावों में उनकी हार निश्चित है।इस मामले पर भाजपा या शुभेंदु अधिकारी की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
वहीं, विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई है। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने हाल ही में भारत के राष्ट्रपति को पत्र लिखकर ओडिशा और महाराष्ट्र में बंगाली प्रवासी मजदूरों के उत्पीड़न, अवैध हिरासत और शारीरिक दुरुपयोग को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है।