वन नेशन वन इलेक्शन : आखिर बिल JPC के ठंडे बस्ते में डालने का मकसद क्या है
कांग्रेस ने कहा- बीजेपी खुद नहीं चाहती वन नेशन वन इलेक्शन
दस्तक ब्यूरो: वन नेशन वन इलेक्शन की गुब्बारा फुलने के बाद बीजेपी खुद बैकफुट पर आ गई है। केंद्र सरकार ने एक देश-एक चुनाव से जुड़ा 129वां संविधान संशोधन विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश कानून संशोधन विधेयक संयुक्त संसदीय समिति यानी JPC को भेज दिया। किसी बिल को JPC को भेजने का मतलब है उसे ठंडे बस्ते मे डालना। जाहिर है संसद के इस सत्र में बिल पास नहीं होंगे। JPC अपनी रिपोर्ट कब देगी इसकी कोई डेड लाइन नहीं है। JPC को अपनी रिपोर्ट तैयार करने में दो साल तक लग सकते हैं। 2029 को लोकसभा चुनाव होने हैं। केन्द्र न 2026 या 2027 में दोनों सदनों से बहुमत जुटाकर ये बिल पास भी करा लिए तो भी एक देश-एक चुनाव के तहत सभी राज्यों और पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए दो साल काफी नहीं होंगे। यानी अगला चुनाव वन नेशन वन इलेक्शन के तहत नहीं होने वाला। ऐसे में कांग्रेस को सरकार पर हमले का नया बहाना मिल गया है।
इसमें कोई शक नहीं कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ चुनाव सुधार की दिशा में एक बड़ा क़दम है। इससे चुनावी खर्च कम होगा, विकास कार्यों में तेज़ी आएगी। इससे न केवल सरकारी कर्मचारियों को बार-बार चुनावी ड्यूटी से छुटकारा मिलेगा बल्कि टेक्स पेयर जनता का पैसा भी बचेगा। लेकिन विपक्ष इसके खिलाफ है। विपक्ष को लगता है कि एक देश एक चुनाव एक देश एक चुनाव कानून लागू होने के बाद देश में एक पार्टी का वर्चस्व हो जाएगा। जाहिर है उसका इशारा बीजेपी की ओर है। कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र राजपूत कहते हैं कि बीजेपी खुद नहीं जानती कि आने वाले वक्त में इस प्रयोग का क्या नतीजा निकलने वाला है। बीते लोकसभा चुनाव के नतीजों ने बीजेपी को करारा झटका दिया है। इसलिए वह फूंक फूंक कर कदम रख रही है।
केंद्र सरकार लंबे समय से ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के विचार की पैरवी करती आई है। सितंबर 2023 में प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की संभावनाएं तलाशने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया थ।. इस समिति ने मार्च 2024 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। समिति में शामिल प्रमुख सदस्यों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस के पूर्व नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ. सुभाष कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और चीफ़ विजिलेंस कमिश्नर संजय कोठारी थे। सितंबर 2024 में प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने समिति की सिफ़ारिशों को मंजूरी दी थी। इसके बाद बीती 12 दिसंबर को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से जुड़े विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपनी मंजूरी दे दी, जो इसे क़ानून बनाने की दिशा में कदम है। संविधान संशोधन विधेयक पास करने के लिए संसद में दो-तिहाई बहुमत की ज़रूरत थी, जबकि दूसरे विधेयक को सामान्य बहुमत से ही पास किया जा सकता था। लेकिन सरकार ने बिना तैयारी के इस विधेयक को संसद के पटल पर रख दिया।
लोकसभा में विधेयक को पेश करने के लिए हुए मतदान में सरकार को 269 वोट मिले, जबकि विपक्ष को पड़े कुल 461 वोटों में से 198 मत मिले। नरेंद्र मोदी सरकार को वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को संसद के दोनों सदनों में पारित कराने के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत थी। इस हिसाब से देखा जाए तो सरकार न तो विपक्ष के नंबर गेम को बिगाड़ पाई न ही अपने सभी वोटों को इकट्ठा कर सकी। यहां तक कि बीजेपी के 20 सांसद तीन लाइन का व्हिप जारी करने के बाद भी लोकसभा में मतदान करने नहीं पहुंचे। ऐसे में कांग्रेस को बीजेपी पर हमला करने का मौका मिल गया। कांगेस के राष्टृीय प्रवक्ता सुरेन्द्र राजपूत ने दस्तक टाइम्स से कहा-बीजेपी इसे लेकर अगर वकाई इतनी गंभीर है तो उसके बीस सांसद व्हिप जारी होने के बावजूद क्यों नहीं सदन में आए। और तो और खुद प्रधानमंत्री सदन में मौजूद नहीं थे।
सरकार बिल JPC को भेजने की मांग आसानी से मान गई तो विपक्ष को उस पर सवाल उठाने का मौका मिल गया। जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब बिल मंत्रिमंडल में चर्चा के लिए आया था, तभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे JPC भेजने की बात कही थी। अब दोनों विधेयक-संविधान का 129वां संशोधन और केंद्र शासित प्रदेश कानून संशोधन बिल जेपीसी को भेजे जाएंगे। जैसा कि वरिष्ठ पत्रकार बृजेश शुक्ल कहते हैं कि इस मामले में बीजेपी कतई जल्दबाजी में नहीं है। उसने वन नेशन वन इलेक्शन का शगूफा छोड़ दिया है और देश को संदेश् दिया है कि वह चुनाव सुधार के लिए ईमानदारी से प्रयासरत है। और इसमें विपक्ष अड़ंगा लगा रहा है।
बहरहाल सरकार ने आनन फानन में प्रस्तावित ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयक की समीक्षा के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन कर दिया है। इस समिति में 31 सदस्य शामिल हैं, जिनमें से 21 लोकसभा से और 10 राज्यसभा से हैं। जेपी सांसद पीपी चौधरी इस जेपीसी के अध्यक्ष होंगे। ये कमेटी लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की व्यवहारिकता पर गहन विचार करेगी। इसके अलावा इससे जुड़े अन्य तमाम सारे पहलुओं पर भी मंथन करेगी। इस सब के बाद आखिर में JPC पक्ष-विपक्ष और विशेषज्ञों से चर्चा के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।
खास बात यह है कि इस कमेटी मे कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को नामित किया है। फायर ब्रांड प्रियंका के रहते JPC कैसे स्मूथली काम करेगी ये भी अपने में बड़ा सवाल है। यह भी साफ है कि एक देश-एक चुनाव के आठ पेज के इस बिल में जेपीसी को अच्छी खासी मशक्कत करनी होगी। कमेटी को न केवल संविधान के तीन अनुच्छेदों में परिवर्तन पर काम करना है बल्कि एक नया प्रावधान भी जोड़ने का ड्राफ्ट तैयार करना है। अनुच्छेद 82 में नया प्रावधान जोड़ने के बाद ही राष्ट्रपति अपॉइंटेड तारीख पर कोई फैसला कर सकेंगी। ऐसे में 2029 में वन नेशन वन इलेक्शनकी कल्पना करना कठिन है। जाहिर है तब सरकार अपनी लोकप्रियता का थर्मामीटर चेक करने के बाद ही कोई निर्णय लेगी।