अन्तर्राष्ट्रीय

जो बाइडेन और जिनपिंग के बीच हुई बातचीत से क्‍या बिगड़ जाएगी दुनिया की दिशा ?

नई दिल्‍ली : हमारे पुराने बुजुर्गों ने कई सालों के अपने तजुर्बे के बाद जो कुछ कहा था, वह एक ऐसी प्रचलित कहावत बन गई कि उसे मानने पर सबको मजबूर होना ही पड़ता है. वो कहावत ये है कि आप भले ही कुत्ते और बिल्ली को एक साथ बैठा दें लेकिन ये भूल जाइये कि बिल्ली कभी उसका शिकार बनने से बच जायेगी. जाहिर है कि ये कहावत भी बिल्ली के मुकाबले कुत्ते की ज्यादा ताकत को देखकर ही बनाई गई होगी.

सबसे बड़े इस्लामिक मुल्क इंडोनेशिया (Indonesia) की राजधानी बाली में सोमवार को दुनिया की दो महाशक्ति का आपस में मिलन होना ही दुनिया के लिए एक बड़ी घटना थी. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (US President Joe Biden) और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Chinese President Xi Jinping) के बीच हुई बातचीत (Conversation) से संकेत मिलता है कि ये दोनों ताकतें अब दुनिया को किस दिशा की तरफ ले जाना चाहती हैं. हालांकि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जी-20 के इस शिखर सम्मेलन में पहुंचे अधिकांश राष्ट्र प्रमुखों से अलग से मुलाकात में भारत का रुख़ स्पष्ट करेंगे.

लेकिन दुनिया के मीडिया की नजरें सिर्फ अमेरिका और चीन के राष्ट्रप्रमुखों पर ही लगी हुई थी. इसकी बड़ी वजह ये भी थी कि यूक्रेन-रुस के बीच छिड़ी जंग में अमेरिका ने न सिर्फ यूक्रेन की भरपूर मदद की है, बल्कि समूचे यूरोपीय देशों को रुस के खिलाफ एकजुट करने में भी देर नहीं लगाई. वहीं, चीन अपनी परम्परागत नीति पर चलते हुए रुस के हर कदम का समर्थन कर रहा है. हालांकि उसने आधिकारिक रुप से अभी तक इसका सार्वजनिक खुलासा नहीं किया है.

लेकिन दोनों देशों के बीच ताइवान एक ऐसा गंभीर मुद्दा है, जो कभी भी कुत्ते-बिल्ली वाली लड़ाई को अंजाम दे सकता है. हालांकि सैन्य ताकत को देखते हुए इसका आंकलन शायद ही कोई कर पाए कि इसमें कमजोर कौन है. पर, सोचने वाली बात ये भी है कि ताइवान पर कब्जा करने के लिए चीन अगर अपनी ताकत लगाएगा, तो उसे बचाने के लिए अमेरिका उसके सामने होगा. खुदा न खास्ता, अगर वह जंग बेकाबू हो गई, तो वह तीसरे विश्व युद्घ का आगाज़ ही होगा. शायद इसीलिए इस सम्मेलन में दोनों बड़ी ताकतों ने यूक्रेन युद्ध के अलावा इस मुद्दे को ज्यादा तवज्जो दी है.

बता दें कि अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडेन की शी जिनपिंग से ये पहली आमने-सामने वाली मुलाकात थी. लोगों को दिखाने के लिए दोनों ने हंसते हुए हाथ मिलाया जबकि कड़वी हकीकत ये है कि दुनिया के ये दोनों बड़े नेता एक-दूसरे को फूटी आंख भी नहीं सुहाते. लेकिन बताया गया है कि पहली बार दोनों के बीच तकरीबन तीन घंटे तक तमाम अंतराष्ट्रीय मुद्दों पर खुलकर बातचीत हुई है. इसमें दोनों ने अपने गिले-शिकवे तो साझा किये लेकिन अपने अहंकार को भी झुकने नहीं दिया. दरअसल, दोनों नेताओं के बीच हुई इस बैठक में ताइवान के मुद्दे को ही अहम माना जा रहा था. लेकिन इस बैठक के बाद दोनों तरफ से जो बयान सामने आए हैं, उससे लगता नहीं कि ये मसला जुबानी जमा खर्च से सुलझने वाला है.

उसका इशारा तो इस बैठक के बाद दोनों देशों की तरफ से आये बयानों से ही पता लग जाता है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि अमेरिका ‘लक्ष्मण रेखा’ पार न करे, तो वहीं जो बाइडेन कहा है कि जिनपिंग ने दुनिया की शांति को खतरे में डाल दिया है. लेकिन जिनपिंग के तेवरों से लगता है कि वे सिर्फ चीन के लिए नहीं बल्कि दुनिया के लिए एक बड़े तानाशाह बनने की तरफ आगे बढ़ रहे हैं. जिनपिंग ने बाइडेन से कहा है कि दोनों देशों के समृद्ध होने और प्रतिस्पर्धा करने के लिए दुनिया बहुत बड़ी है लेकिन साथ ही अमेरिका को रेड लाइन क्रॉस नहीं करने की चेतावनी भी दे डाली.

दुनिया के दो ताकतवर नेताओं के बीच हुई इस बैठक के बाद चीन की तरफ से जारी किये गए बयान को अगर देसी भाषा में समझें, तो उसने अमेरिका को उसकी औकात दिखाते हुए इशारा दे दिया है कि अगर ताइवान का साथ दिया, तो फिर उसकी भी खैर नहीं है.

बीजिंग के विदेश मंत्रालय से जारी बयान में कहा गया है कि शी ने इंडोनेशिया के बाली में तीन घंटे की बातचीत के दौरान बाइडेन से कहा, ‘वर्तमान परिस्थितियों में चीन और अमेरिका एक दूसरे से लगभग समान हित साझा करते हैं. शी ने कथित तौर पर कहा कि बीजिंग अमेरिका को चुनौती देने या मौजूदा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बदलने की कोशिश नहीं करता है, दोनों पक्षों से एक-दूसरे का सम्मान करने का आह्वान करता है.लेकिन शी ने बाइडेन को चेतावनी भी दी है कि ताइवान को लेकर वह बीजिंग की रेड लाइन क्रॉस ने करें, इसे चीन की सरकार अपना क्षेत्र मानती है. ताइवान का समाधान सिर्फ चीन के लोगों का मामला है.

हालांकि अमेरिका ऐसा देश नहीं है, जो आज भी चीन की गीदड़ भभकियों में आ जाये. इसीलिये जो बाइडेन ने शी जिनपिंग से साफ लफ्जों में कह डाला कि अमेरिका चीन के साथ तेजी के साथ प्रतिस्पर्धा करना जारी रखेगा, लेकिन यह प्रतियोगिता संघर्ष में नहीं बदलनी चाहिए. व्हाइट हाउस से जारी बयान में कहा गया कि प्रतिद्वंद्वी महाशक्तियों के बीच संघर्ष से बचने के मकसद से हुई इस तीन घंटे की बातचीत में बाइडेन ने चीन के ताइवान के प्रति आक्रामक रुख को लेकर और तेजी से आक्रामक कार्रवाई करने पर कड़ी आपत्ति जताई है. इसके साथ भी उन्होंने उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण को लेकर भी चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि इस वक़्त समूची दुनिया को उत्तर कोरिया को जिम्मेदारी से कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.

Related Articles

Back to top button