प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिथौरागढ़ दौरे की धमक से धामी सरकार गदगद है। गढ़वाल में चारधाम यात्रा की तरह कुमाऊं में मानसखंड यात्रा के लिए गलियारा तैयार करने का मुख्यमंत्री जो सपना देख रहे हैं, पीएम ने उसे नई उड़ान दे दी है। बकौल पीएम, हमारी सरकार केदारखंड और मानसखंड की कनेक्टिविटी पर बहुत जोर दे रही है। जो लोग केदारनाथ और बदरीनाथ धाम जाते हैं, वे आस्था के केंद्र जागेश्वर धाम, आदि कैलाश और ओम पर्वत भी आसानी से आ सकेंगे।
-राम कुमार सिंह
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड के दौरे पर आए तो एक बार फिर उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पीठ थपथपाई। इससे राज्य के विकास की उम्मीद जगने के साथ ही पुष्कर सिंह धामी ने किस प्रकार से हाईकमान का दिल जीता है, इसकी भी एक बानगी देखने को मिली। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल खोलकर मुख्यमंत्री के तारीफों के पुल बांधे। उससे साफ है कि आने वाले दिनों में विकास की गाड़ी उत्तराखंड में और तेजी से दौड़ेगी। पीएम ने अपने पिथौरागढ़ दौरे की जो पटकथा लिखी, उसमें सीएम धामी का किरदार उन्होंने बेहद करीब रखा, बल्कि पूरे दौरे में धामी के मन के अनुरूप भरोसा जताया और संदेश दिया। पीएम की धमक के साथ धामी की धूम साफ नजर आई। जनसभा के मंच पर पीएम मोदी के मुंह से अनायास ही निकला, वाह धामी जी वाह। उनकी पीठ थपथपाकर उन्होंने उत्तराखंड की सियासत में धामी की मजबूती का संदेश साफ कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उत्तराखंड की यात्राओं को गौर से देखें तो राजनीतिक और प्रशासनिक न होकर एक आध्यात्मिक यात्रा होती है। राजनीतिक सक्रियता और प्रधानमंत्री बनने के पहले से उनका उत्तराखंड से आध्यात्मिक जुड़ाव जगजाहिर है। यही कारण है उत्तराखंड में उनके भाषण में एक प्रधानमंत्री और भाजपा के शीर्ष नेता से अधिक आध्यात्मिक पहलू कहीं अधिक उभरकर दिखता है। बतौर प्रधानमंत्री, देश की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत के पुनर्निर्माण पर लगातार बल देकर उभरी जातिगत राजनीति से सनातन को होने वाले नुकसान का संदेश भी इस यात्रा में छिपा दिखा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिथौरागढ़ दौरे की धमक से धामी सरकार गदगद है। गढ़वाल में चारधाम यात्रा की तरह कुमाऊं में मानसखंड यात्रा के लिए गलियारा तैयार करने का मुख्यमंत्री जो सपना देख रहे हैं, पीएम ने उसे नई उड़ान दे दी है। बकौल पीएम, हमारी सरकार केदारखंड और मानसखंड की कनेक्टिविटी पर बहुत जोर दे रही है। जो लोग केदारनाथ और बदरीनाथ धाम जाते हैं, वे आस्था के केंद्र जागेश्वर धाम, आदि कैलाश और ओम पर्वत भी आसानी से आ सकेंगे। मानसखंड मंदिर माला मिशन से कुमाऊं के अनेक मंदिरों तक आना-जाना आसान होगा। पीएम ने सड़क व रेल कनेक्टिविटी के जरिये गढ़वाल और कुमाऊं को जोड़ने के लिए आगे का रोडमैप भी दे दिया। वे धामी को हर मदद के लिए आश्वस्त भी कर गए। यही सीएम पुष्कर सिंह धामी भी चाहते हैं। पिछले करीब छह महीनों के दौरान जब-जब उनकी पीएम मोदी से दिल्ली में मुलाकात हुई, वे उन्हें कुमाऊं आने का न्योता देना नहीं भूले। इसके पीछे उनकी यही मंशा रही कि गढ़वाल की चारधाम यात्रा की तरह तीर्थयात्री कुमाऊं के पवित्र मंदिरों में दर्शन करने आएं। पीएम ने जिस तरह केदारधाम को वैश्विक पहचान दी है, उसी तरह दुनिया जागेश्वर धाम, आदि कैलाश और ओम पर्वत को देखने को उमड़े। जानकारों का मानना है कि पीएम के दौरे से एक नया डेस्टिनेशन तो तैयार हुआ ही है, साथ ही कुमाऊं मंडल के लिए यात्रा को एक नया दृष्टिकोण भी मिल गया। जानकारों का मानना है कि पीएम राजकाज के मोर्चे पर धामी का मनोबल मजबूत कर गए। प्रधानमंत्री ने दिल्ली पहुंचने के बाद ट्वीट कर अपनी उत्तराखंड यात्रा के मायने-मतलब भी स्पष्ट कर दिए। पीएम ने एक लाइन में लिखा है एक बहुत ही खास उत्तराखंड यात्रा सम्पन्न। एक बार फिर पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड से जो आध्यात्मिक ऊर्जा लेकर लौटे हैं, उस शंखनाद की गूंज दूर तक और देर तक सुनी जाएगी।
प्रधानमंत्री का केदारनाथ की ध्यान गुफा में ध्यानमग्न मुद्रा का चित्र देश के लोगों के मानस पटल में छप सा गया है। सभी दलों के बहुत से राजनेता चारधाम की यात्रा करते हैं, लेकिन उत्तराखंड के आध्यात्मिक कनेक्ट में उनका कोई चित्र उस तरह की छाप नहीं छोड़ सका है। प्रधानमंत्री भी शायद इस यात्रा को बहुत खास बताकर इसे सांस्कृतिक पुनर्निर्माण और आध्यात्मिक शक्ति को जगाने वाला बता रहे हैं। हालांकि इस एक लाइन के बीच राजनीतिक लाइन भी खींची हुई दिखती है। उन्होंने अपनी सरकारों के कामकाज भी गिनाए और चुटीले अंदाज में विपक्ष पर सवाल भी उठाए। पहले प्रधानमंत्री के तौर पर कैलाश पर्वत के समीप पार्वती कुंड पहुंचकर अपने आध्यात्मिक ध्येय को साधने के साथ उन्होंने विपक्ष पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकारों ने इस डर से सीमांत इलाकों का विकास नहीं किया कि कहीं दुश्मन इसका फायदा उठाकर अंदर न आ जाएं। नया भारत पहले की सरकारों की डरी हुई सोच को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने इस उपेक्षित क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन का खाका खींचकर इसे भी राज्य के दूसरे हिस्से गढ़वाल के समकक्ष लाने का तानाबाना बुना है। प्रधानमंत्री ने मानसखंड की बात कहकर पूरे कुमाऊं के धार्मिक पर्यटन और स्थलों को लोगों में बढ़ी आध्यात्मिक अभिरुचि से जोड़ने का प्रयास किया जिसमें कुमाऊं के सुदूर स्थित मंदिरों की शृंखला भी जुड़ गई है। इन्हीं सबके बीच प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की विकास यात्रा का उल्लेख कर वोटों की ताकत का भी जिक्र किया कि राजकाज चलाने की ऊर्जा भी लोगों से मिल रही है।
दौरे की शुरुआत के लिए पीएम ने पिथौरागढ़ को ही क्यों चुना? इसके धार्मिक, सामरिक ही नहीं सियासी निहितार्थ भी हैं। चीन सीमा के पास आदि कैलास और ओम पर्वत के दर्शन, पूजा अर्चना, वहां तैनात जवानों के बीच जाना, सीमांत गांवों के लोगों के साथ संवाद करना, हर घटना का अपना संदेश है। इस यात्रा में एक सियासी संदेश भी छिपा है। मसलन, लोकसभा चुनाव नजदीक हैं और उससे पहले बागेश्वर में विधानसभा का उपचुनाव हो चुका है। प्रचंड बहुमत वाली सरकार के लिए बागेश्वर में जीत का कम अंतर्रचता वाली बात होना लाजिमी है। लोकसभा क्षेत्र के इस सियासी पहाड़ में जो दरारें दिखाई दे रही हैं, पीएम मोदी के जनसंपर्क और जनसभा में उमड़े जनसैलाब ने उन्हें भरने की कोशिश की है। प्रधानमंत्री ने इस दौरे के दौरान कुमाऊं मंडल को बड़ी सौगात दी है। मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जो आदि कैलास, पार्वती कुंड, जागेश्वर धाम पहुंचे हैं। पिथौरागढ़ दौरे के बाद जैसे केदारखंड में उनके प्रवास के बाद विकास हुआ उसी तरह मानसखंड की परिकल्पना को भी पंख लगने की उम्मीद है। केदारखंड में चारधाम आलवेदर रोड बनी और ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन बन रही है। केदारनाथ का पुनर्निर्माण हुआ है और बदरीनाथ का मास्टर प्लान बना है। हवाई सेवाएं, हेमकुंड व केदारनाथ के लिए रोप वे जैसे विकास के कार्य आगे बढ़े हैं। प्रधानमंत्री ने भी अपने विकास के नवरत्नों में मानसखंड को शामिल किया है। मानसखंड का सर्किट बनेगा। अवस्थापना सुविधाएं बढ़ेगी। पिथौरागढ़ में प्रधानमंत्री का ऐसा ऐतिहासिक रोड शो था जो पहले कभी नहीं हुआ। इतनी भारी संख्या में लोगों की मौजूदगी ने प्रधानमंत्री की लोकप्रियता व उनके प्रति स्नेह को दिखा दिया। सीमांत क्षेत्र के लोगों ने पूरे देश को संदेश देने का काम किया हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में उत्तराखंड से अपने लगाव पर, खूब बोले। कहा कि देश में सर्वाधिक चिट्ठियां उन्हें उत्तराखंड से ही मिलती हैं। पत्र लिखने वालों में माता-बहनों के साथ ही पूर्व सैनिकों की तादाद भी अच्छी खासी रहती है। यहां के लोग उनसे इतना लगाव रखते हैं कि पारवारिक सदस्यों को दी जाने वाली छोटी-छोटी सूचनाएं भी भेजते हैं। परिवार में नए मेहमान के आने की सूचना लोग अपने नाते रिश्तेदारों के साथ मुझे भी भेजते हैं। इससे बड़ा लगाव और क्या हो सकता है। महिलाएं अपनी बेटियों की सफलताओं की सूचना भी उनसे साझा करती हैं। ज्र्योंलगकोंग मंदिर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कुटी गांव निवासी लामा (धामी) वीरेंद्र कुटियाल और हरीश कुटियाल ने कराई। मंदिर में स्यं गंगरी की पूजा की गई। रं बोली में महादेव को स्यं गंगरी कहा जाता है। प्रधानमंत्री ने यहां 25 मिनट तक पूजा और ध्यान किया। पौराणिक काल से चली इस पूजा को शिव पार्वती की माटी पूजा कहा जाता है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर्र ंसह धामी ने उन्हें बताया कि आदि कैलास को छोटा कैलास भी कहा जाता है। गुंजी में छोटे बच्चे से हाथ मिलाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उसे अपने साथ चलने को कहा। साथ चलने की बात पर बच्चा सकुचा गया। पीएम ने बच्चे को गोदी में भी उठाया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गुंजी पहुंचने पर कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने उनका स्वागत किया। स्वागत के बाद जब प्रधानमंत्री मोदी मंच पर गए तो हरीश धामी नीचे ही बैठे रहे। प्रधानमंत्री ने विधायक धामी का नाम लेते हुए मंच पर बुलाया। पीएम के बड़प्पन पर स्थानीय जनता ने खुशी जताई। विधायक धामी ने प्रधानमंत्री को ऊनी शाल भेंट किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्पोट्र्स स्टेडियम सभास्थल में जनपद के सबसे बड़े जाराजिबली के ढोल से भव्य स्वागत किया गया। मुख्य मंच पर जै हो कुमाऊं, जै हो गढ़वाल गीत की धुन पर प्रधानमंत्री ने विभिन्न विकास योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया। करीब पांच मिनट तक शिलान्यास व लोकार्पण योजनाओं को स्क्रीन पर दिखाया गया। यह गीत जिला मुख्यालय से लगे हुड़ेती गांव के प्रसिद्ध रंगकर्मी व साहित्यकार जनार्दन उप्रेती द्वारा लिखा गया है। इस गीत की धुन पर ही 26 जनवरी गणतंत्र दिवस की परेड में उत्तराखंड की झांकी प्रथम स्थान पर रहने में कामयाब रही। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन और नेपाल सीमा स्थित गुंजी पहुंच कर स्थानीय लोगों से भेंट कर उनसे बात की। पहली बार किसी प्रधानमंत्री के गुंजी पहुंचने और ग्रामीणों से आत्मीयता से मिलने पर महिलाओं की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। इस दौरान बुजुर्ग महिलाओं ने उनके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया। इस दौरान अपनी मां के साथ आए बच्चे को प्रधानमंत्री ने दुलारा तो एक बच्चे से हाथ मिलाकर सीमांतवासियों का दिल जीत लिया। इस दौरान चीन और नेपाल सीमा से लगे साढ़े 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित गुंजी में मोदी-मोदी के नारे लगे। रं समाज के लोग मोदी के स्वागत के लिए अपनी परंपरागत वेशभूषा में पहुंचे थे। इस दौरान ग्रामीणों से बातचीत में मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार सीमांत के विकास को लेकर गंभीर है। यहां के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। प्रधानमंत्री ने गुंजी में स्थानीय कला और हस्तशिल्प की प्रदर्शनी का निरीक्षण किया। हर उत्पाद के बारे में जानकारी जुटाई। स्थानीय लोगों से उपयोगिता भी जानी। व्यास घाटी के सात गांवों के ग्रामीणों ने प्रधानमंत्री का जोरदार स्वागत किया। इससे पीएम अभिभूत नजर आए। इस दौरान उन्होंने बड़ा नगाड़ा भी बजाया।