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भारतीय वैक्सीन जब बजाया देश विदेश में अपना डंका,190 रुपये में दिया वैक्सीन का ऑफर

नई दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी (Corona Virus Pandemic) की पहली और दूसरी लहर ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया था। दुनिया के कई देश पूर्ण लॉकडाउन (Lockdown) में चले गए थे। अर्थव्यवस्था (Economy) और हेल्थ केयर (Health care) का बड़ा संकट खड़ा हो गया था। विकसित देश तो फिर भी डटे रह, लेकिन विकासशील और अविकसित देशों की जड़ें उखड़ने लगी थीं। भारत ने जिस तरह से इस चुनौती का सामना किया, उससे अमेरिका, चीन जैसे विकसित देश भी हतप्रभ रह गए। भारत ने काफी कम समय में अपनी स्वेदशी वैक्सीन (Vaccine) बनाई और दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाया। कई बड़े देशों की तुलना में हमारे यहां कोरोना से मौतें भी कम हुईं। एक महत्वपूर्ण बात, वैक्सीन के मामले में भारत ने फाइजर (Pfizer) और मॉडर्ना (Moderna) के दबाव को बुरी तरह नाकाम किया। ये कंपनियां भारी-भरकम शर्तों के साथ ऊंची कीमत पर हमें वैक्सीन बेचना चाहती थीं। लेकिन भारत ने किसी भी दबाव में आए बिना अपनी वैक्सीन बनाने का फैसला लिया। उसके बाद जो कंपनियां करीब ₹2,300 में हमें वैक्सीन बेच रही थीं, उन्हें हमने लगभग ₹190 रुपये में अपनी वैक्सीन का ऑफर दे दिया।

कोविड महामारी के समय फाइजर और मॉडर्ना ने भारत से वैक्सीन की पेशकश की थी। इन कंपनियों ने कुछ कठोर शर्तों के साथ 30 डॉलर (करीब 2300 रुपये) की काफी अधिक कीमत पर अपनी वैक्सीन की पेशकश की थी। इन शर्तों के चलते सरकार ने उस समय फाइजर और मॉडर्ना का ऑफर ठुकरा दिया। लेकिन इसके कुछ महीने बाद एक मजेदार वाकया हुआ। भारत ने इन वैक्सीन निर्माताओं को बताया कि वह 2.5 डॉलर (करीब 190 रुपये) कीमत में अपनी खुद की वैक्सीन निर्यात कर रहा है और वे चाहें, तो खरीद सकते हैं। इस तरह 30 डॉलर में हमें वैक्सीन ऑफर करने वाली कंपनियों को हमने 2.5 डॉलर में अपनी वैक्सीन का ही ऑफर दे दिया।

पिछले साल भारत सहित पूरी दुनिया में कोविड की दूसरी लहर अपना कहर बरसा रही थी। उस समय केंद्र पर फाइजर और मॉडर्ना से टीके खरीदने का भारी दबाव था। इन कंपनियों ने प्रति वैक्सीन 30 डॉलर का ऑफर किया था। यह आज के 2,378 रुपये हैं। सरकार जानती थी कि वह इतने महंगे टीके हर भारतीय को नहीं लगा पाएगी। लेकिन उस समय की परिस्थितियां काफी पेचीदा थीं। न्यूज 18 ने अपनी एक रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा, ‘फाइजर और मॉडर्ना हमसे कुछ गारंटी चाहती थीं। उनका कहना था कि इन वैक्सीन को -70 डिग्री सेल्सियस में स्टोरेज की जरूरत है। अमेरिका से आयात होगी। अगर कोई कोल्ड चेन खराब हो जाती है, तो कंपनी की जिम्मेदारी नहीं होगी। इसके अलवा अगर वैक्सीन से किसी को साइड इफेक्ट हो, तो कंपनी की जिम्मेदारी नहीं होगी। बल्कि इसकी जिम्मेदारी केवल और केवल भारत सरकार की होगी।’ इसके अलावा भी कई शर्तें इन कंपनियों द्वारा रखी गई।

इसके बाद भारत ने इन कंपनियों के साथ सौदे की बातचीत को बंद करने का फैसला लिया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया 4 दिन की ट्रिप पर गए। इस ट्रिप में उन्होंने देश में स्थित फार्मा कंपनीज बायोलॉजिकल ई, जायडस कैडिला, भारत बायोटेक और डॉ रेड्डीज की फैक्ट्रीज का दौरा किया। मंडाविया ने हर कंपनी में एक दिन बिताया। उनके पास इन कंपनियों की ताकत, कमजोरी, वित्तीय स्थिति और निर्माण क्षमता का पता लगाने के लिए 25 सवालों की एक सूची थी। मंडाविया वापस लौटे और सरकार ने कच्चे माल और पैसों की व्यवस्था की, कंपनियों को एडवांस पेमेंट दिया। साथ ही कंपनियों की विनिर्माण क्षमता को मजबूत करने में मदद की। इससे एक महीने में ही भारतीय वैक्सीन के उत्पादन में तीन गुना इजाफा हो गया।

भारत ने फिर विदेशी वैक्सीन निर्माताओं से उनकी संभावात वैक्सीन वितरण समयसीमा के बारे में पूछा। उन्होंने कहा कि पहली खेप नवंबर 2021 में दी जा सकती है। इसके बाद हमने उन्हें बताया कि हम अक्टूबर में अपना वैक्सीन निर्यात शुरू कर रहे हैं और यह केवल 2.5 डॉलर प्रति वैक्सीन की कीमत पर होगा। अगर आपको जरूरत है, तो खरीद सकते हो। इस तरह भारत ने इन विदेशी कंपनियों को आईना दिखाने का काम किया। रिपोर्ट में एक सूत्र ने बताया कि इन कंपनियों की सौदेबाजी से ऐसा लग रहा था कि हम अपना देश बेच रहे हैं।

वहीं, वैश्विक स्वास्थ्य संघठन (WHO) ने अनुमान जताया कि भारत में कोविड के चलते 4.7 मिलियन यानी 47 लाख लोगों की मौत हुई है। डब्ल्यूएचओ के इस अनुमान के बाद देश में काफी राजनीतिक बवाल हुआ। केंद्र पर आरोप लगा कि वह मौतों के आंकड़े छुपा रहा है। केंद्र ने WHO के इस आंकड़े को बेबुनियाद बताया और खंडन किया। भारत अपने रुख पर कायम रहा। भारत ने कहा कि इस तरह के बेबुनियाद आंकड़े बताना WHO का काम नहीं है। भारत ने कहा कि अगर ऐसा है, तो संघठन को प्रति मिलियन मौतों को दिखाना चाहिए और विश्व स्वास्थ्य सभा में ऑन रेकॉर्ड यह बात रखनी चाहिए। इस तरह भारत को नीचा दिखाने के WHO के प्रयासों का अच्छी तरह मुकाबला किया गया। बता दें कि भारत ने अपनी ‘मेड इन इंडिया’ वैक्सीन से 199 करोड़ टीकाकरण का आंकड़ा पार कर लिया है। भारत इस महीने 200 करोड़ का आंकड़ा पार लेगा।

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