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सर्दियों में बेहतरीन सेहत के लिए जरूरी है मोटा अनाज

नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है। मोटे अनाज को साबुत अनाज या होलग्रेन भी कहा जाता है। आखिर यह साबुत अनाज क्या है, जिसकी अचानक से मांग बढ़ी है। लोगों में सेहत के लिए ये पहली पसंद बन रहे हैं।
साबुत अनाज न केवल बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है बल्कि गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। इन्सुलिन के स्तर को संतुलित करता है। ब्लड प्रेशर घटाता है। इससे हृदय रोग, स्ट्रोक और डायबिटीज का खतरा घटता है।

आंतों के कैंसर का खतरा भी कम होता है। मोटे अनाज में पर्याप्त फाइबर होने के कारण यह पाचन सुधारता है। ब्लोटिंग, कब्ज, पेट दर्द और गैस की समस्या से राहत देता है। बाजरा खाने का सबसे अच्छा और आसान तरीका यह है कि एक कड़ाही में 2 कप अनाज को दो चम्मच तेल में भून लें। एक बार जब दाने सुनहरे भूरे रंग के हो जाएं, तो आंच को कम कर दें। 3 कप वेज स्टॉक और कुछ ताजा धनिया डाल लें। अब इसे तब तक उबलने दें तब तक कि इसका लिक्विड सूख न जाए। अब इसे आराम से खाएं।

दरअसल बाजार में मिलने वाले गेहूं के आटे में आमतौर पर रिफाइंड आटा मिलाया जाता है जो मधुमेह के लिए अच्छा नहीं है, हालांकि कुछ सीमित मात्रा में जैसे कि गेहूं का दलिया का सेवन कर सकते हैं। गेहूं का आटा 60%, रागी 10%, ज्वार 10%, कालाचना 10%, बाजारा 5%, जौ आटा 5% मात्रा में मिलाया जा सकता है। बाजरे का सेवन सुबह के समय नाश्ते में या दोपहर के लंच में करना सबसे बेहतर होता है। इसके अलावा बाजरे को अन्य चीजों के समय मिलाकर खाएं। यह आसानी से पचता है। हृदय रोगियों को साबुत गेहूं, ब्राउन राइस, जई, जौ, क्विनोआ का सेवन करना चाहिए। फॉक्सटेल बाजरा और बार्नयार्ड बाजरा गर्म तासीर के बाजरा हैं। इनका सेवन सर्दियों में किया जाना चाहिए, वहीं छोटा बाजरा और प्रोसो बाजरा की तासीर ठंडी होती है।, इसलिए इसे गर्मियों में खाया जा सकता है। खासकर रागी क्योंकि इसमें कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होता है। छोटे बच्चों के लिए एक कप रागी पर्याप्त होती है।

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