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होली से पहले आखिर क्यों शुभ नहीं माने जाते हैं होलाष्टक के 8 दिन

नई दिल्ली : हिंदू धर्म से जुड़े तमाम पर्वों में होली सबसे लोकप्रिय त्योहार के रूप में जाना जाता है. रंग और उमंग से जुड़े इस पावन पर्व से ठीक आठ दिन पहले से होलाष्टक लग जाता है. फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक लगने वाली इस तिथि में किीस भी शुभ कार्य को करने के लिए मनाही होती है. हालांकि, ईश्वर की पूजा और जप-तप के लिए ये 8 दिन काफी शुभ माने जाते हैं.

जिस होलाष्टक से होली पर्व की शुरुआत मानी जाती है, वो इस साल 28 फरवरी 2023 मंगलवार से प्रारंभ होकर 0 7 मार्च 2023 तक रहेगा. हिंदू मान्यता के अनुसार होलाष्टक के इन आठ दिनो में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए. होलाष्टक के आठ दिनों में भले ही शुभ कार्य न किए जाते हों लेकिन इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के पावन धाम पर यानि ब्रजमंडल में फूल, रंग, अबीर आदि से बड़ी धूमधाम से उत्सव मनाया जाता है.

हिंदू धर्म से जुड़ी धार्मिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी. इसके कारण वे रुष्ट हो गए और उन्होंने कामदेव को भस्म कर दिया. इसके बाद जब कामदेव की पत्नि ने भगवान शिव से प्रार्थना की तो उन्होंने कामदेव को पुनर्जीवन प्रदान कर दिया. मान्यता यह भी है कि राजा हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रहलाद को विष्णु जी की अराधना करने से के लिए उस इन आठ दिनों में कठिन यातनाएं दी थीं. जिसके आठवें दिन, जब होलिका उसे आग में लेकर बैठी तो भी वह नहीं जला. वहीं, होलिका जिसे आग से नहीं जलने का वरदान प्राप्त था, वह जल गई. यही कारण है कि भगवान के भक्त प्रहलाद के इन आठ कठिनाई भरे दिनों को अशुभ माना जाता है.

होलाष्टक के आठ दिनों को बेहद अशुभ मानते हुए इसमें मुंडन, सगाई जैसे मांगलिक कार्य बिल्कुल नहीं किए जाते हैं। इसी प्रकार इन आठ दिनों में न तो कोई व्यवसाय शुरू किया जाता है और न ही किसी करियर की शुरुआत की जाती है. होलाष्टक के आठ दिनों में नया वाहन आदि खरीदना भी अशुभ माना गया है.

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