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स्नो फॉल के लिए दुनिया में क्यों प्रसिध्द हैं उत्तराखंड के ये 5 हिल स्टेशन, जानें नाम

देहरादून (गौरव ममगाईं)। उत्तराखंड में मौसम ने अचानक करवट ले ली है। पिछले दिनों उत्तराखंड के कई पहाड़ी इलाकों में हुई हल्की बर्फबारी के बाद अब कड़ाके की ठंड महसूस की जाने लगी है। अब सैलानियों को ‘स्नो फॉल’ का बेसब्री से इंतजार है। हो भी क्यों न, उत्तराखंड में कई ऐसे हिल स्टेशन हैं, जो नैसर्गिक सौंदर्य के साथ ही बर्फबारी के लिए भी देश-दुनिया में खासे प्रसिध्द हैं। चलिये आइये जानते हैं इन हिल स्टेशनों के बारे में….

अंग्रेजों की पहली पसंद रहा है मसूरी

मसूरीः समुद्रतल से 2005 मीटर की ऊंचाई पर बसे मसूरी को उत्तराखंड ही नहीं, देश का सबसे पुराना हिल स्टेशन माना जाता है। इसकी खोज 1825 में ब्रिटिश फौज के आयरिश अफसर कैपटन यंग ने की थी। ब्रिटिश भारत में मसूरी अंग्रेजों की पहली पसंद माना जाता रहा है। तभी तो मसूरी की खोज होने के बाद मसूरी क्षेत्र को अंग्रेजों ने टिहरी के राजा सुदर्शन शाह से 100 सालों से ज्यादा समय तक लीज में ले लिया था। मसूरी में बर्फबारी कई फीट तक तो नहीं पड़ती, लेकिन पहाड़ी पर गिरी बर्फ का नजारा बेहद सुंदर नजर आता है।

नैसर्गिक सौंदर्य व पुरातात्विक महत्व के कारण प्रसिध्द

चकराताः  देहरादून जिले का चकराता को छोटे व सुंदर पर्वतीय नगर के रूप में जाना जाता है। यहां की वादियों की शांति मन को बेहद सुकून देती हैं। सर्दी के समय यहां जमकर बर्फबारी होती है। चारों ओर पहाड़ियां बर्फ से लदी बेहद सुंदर नजर आती हैं। यहां एक से डेढ़ फीट तक बर्फ पड़ती है। वैसे नैसर्गिक सौंदर्य के अलावा यह स्थान पुरातात्विक उपलब्धियों के लिए भी जाना जाता है। चकराता के पास कालसी में भारत के महान सम्राट अशोक का शिलालेख मिला है।

सड़क से लेकर पहाड़, सब सफेद दिखता है

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चोपताः रुद्रप्रयाग जिले में कई सुदंर पर्यटन स्थल हैं, लेकिन चौपता को विश्व प्रसिध्द माना जाता है। यहां सीजन में बहुत ही ज्यादा बर्फबारी होती है। चारों तरफ दो से तीन फीट तक की बर्फ देखी जा सकती है। चौपता की खास बात यह भी है कि यह ट्रैकिंग के लिए प्रसिध्द है और यहीं से विश्व के सबसे ऊंचे मंदिर तुंगनाथ के लिए रास्ता जाता है

विंटर गेम्स व मां अंजना मंदिर के लिए प्रसिध्द है औली

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औलीः चमोली जिले में बसा औली नगर बेहद सुंदर है। सीजन में यहां बहुत ही अधिक मात्रा में बर्फबारी होती है। इसलिए उत्तराखंड सरकार ने इसे विंटर गेम्स डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया है। यहां सर्दी के समय आइस स्केटिंग व आइस गेम्स आयोजित होते हैं। यहां 1983 में रोप-वे परियोजना का शुभारंभ किया गया था, जिसे 1994 में शुरू किया गया। एक खास बात ये भी है कि औली में ही हनुमान जी की माता अंजनी माता जी का प्रसिध्द मंदिर भी है।

महात्मा गांधी ने कौसानी को को कहा था मिनी स्विट्जरलैंड

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कौसानीः बागेश्वर जिले में बसा पर्वतीय नगर कौसानी भी अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिये खासा प्रसिध्द रहा है। 1929 में महात्मा गांधी जब कुमाऊं दौरे पर आये थे तो वे यहीं रूके थे। तब महात्मा गांधी को कौसानी की सुंदरता इतना भायी थी कि उन्होंने कौसानी को इंडिया का मिनी स्विट्जरलैंड की संज्ञा दी थी। उन्होंने कहा कि भारत में विश्व के सबसे सुंदर हिल स्टेशन मौजूद हैं। यहां भी बर्फबारी देखने के लिए देशभर से हजारों-लाखों सैलानी पहुंचते हैं।  

पीएम मोदी को भायी थी मुन्स्यारी की सुंदरता

मुन्स्यारीः पिथौरागढ़ जिले में बसा मुन्स्यारी बेहद दुर्गम क्षेत्रों में माना जाता है। यह पर्वतीय इलाका भारत-चीन सीमा के नजदीक है। खास बात ये है कि मुन्स्यारी वही इलाका है जहां 8 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदिकैलाश पर्वत के दर्शन करने के लिए पहुंचे थे। पीएम मोदी ने भी मुन्स्यारी के प्राकृतिक सौंदर्य की सराहना की थी।

 उत्तराखंड का पर्यटन पकड़ता है रफ्तार

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उत्तराखंड में भले ही आमजीवन बर्फबारी से खासा प्रभावित रहता है, लेकिन उत्तराखंड के पर्यटन के लिए बर्फबारी किसी संजीवन से कम साबित नहीं होती। बर्फबारी को देखने के लिए यहां देशभर से लाखों की संख्या में सैलानी पहुंचते हैं। इससे प्रदेश में होटल, परिवहन, रेस्टोरेंट व स्थानीय उत्पाद से जुड़े रोजगार व स्वरोजगारों को खासा बढ़ावा मिलता है।  

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