उत्तराखंड

ऑस्ट्रेलिया से ही एक्सपर्ट व ऑगर मशीन क्यों लाये? जानें क्या है ऑस्ट्रेलिया कनेक्शन!

देहरादून (गौरव ममगाई)। सबसे बड़े टनल रेस्क्यू माने जाने वाला सिलक्यारा टनल रेस्क्यू अब अंतिम स्टेज पर है। इस रेस्क्यू में ऑस्ट्रेलिया की विश्वस्तरीय तकनीक अपनायी गई, जिनसे नामुमकिन से लगने वाले इस रेस्क्यू को मुमकिन किया जाना संभव लगने लगा है। रेस्क्यू की कमान ऑस्ट्रेलियाई रेस्क्यू एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स को सौंपी गई और जब ड्रिलिंग में बाधा आई तो ऑस्ट्रेलिया की बड़ी ऑगर मशीनों को ही मोर्चे पर लगाया गया। क्या आप जानते हैं कि पूरे रेस्क्यू में आस्ट्रेलिया को ही चुना गया? इसके पीछे बेहद महत्वपूर्ण कारण है। चलिये आपको बताते हैं ये बड़ी वजह….

दरअसल, उत्तराखंड ने आपदा प्रबंधन में ऑस्ट्रेलिया मॉडल को अपनाया है। ऑस्ट्रेलिया में जिस तरह से आपदा प्रबंधन के उपाय किये जाते हैं, उसी तरह उत्तराखंड में भी प्रबंधन किये जाते हैं। यहां आपदा एवं प्रबंधन के अध्ययन में ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक एवं एक्सपर्ट की सहायता ली जाती रही है। इस उत्तराखंड सरकार ने ऑस्ट्रेलियाई एक्सपर्ट की मदद ली और ऑस्ट्रेलिया की आपदा प्रबंधन की तकनीकों को अपनाया गया है।

सबसे ताकतवर ऑस्ट्रेलियाई ऑगर मशीन भी दे गई जवाबः
ऑस्ट्रेलिया की आगर मशीन को दुनिया की सबसे ताकतवर मशीन माना जाता है, लेकिन सिलक्यारा रेस्क्यू में ये ताकतवर मशीन भी जवाब दे गई। दरअसल, कई मीटर तक सफलतापूर्वक ड्रिलिंग करने के बाद श्रमिकों से महज 8 से 10 मीटर की दूरी पर शनिवार (25 नवंबर) को इस ऑगर मशीन की ब्लैड टूट गई। इसके बाद फिर ड्रिलिंग कार्य फिर रूक गया। रेस्क्यू एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स के अनुसार, मशीन की ब्लैड के आगे सरिया आया, जिसके कारण ब्लैड टूटी। अर्नोल्ड ने कहा कि हम मैनुअल तरीके से मलबा हटाने पर भी विचार कर रहे हैं, ताकि रेस्क्यू जल्द से जल्द पूरा किया जा सके।

आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है उत्तराखंड::

उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील राज्य है। यहां कुल 13 जिलों में से लगभग 11 जिले पर्वतीय हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा देशभर के सबसे खतरनाक जिलों में (कैटेगरी-5) में उत्तराखंड के पांच जिलों (चमोली, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत) को शामिल किया है। राज्य के पर्वतीय जिलों में भूकंप, भूस्खलन, बिजली गिरना, बादल फटना व बाढ़ जैसी आपदाओं का खतरा बना रहता है। आपदा की दृष्टि से यहां आपदा प्रबंधन की बेहद आवश्यकता रही है। इसी के तहत सरकार ने ऑस्ट्रेलिया के आपदा प्रबंधन मॉडल को अपनाने का फैसला लिया था।

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