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सचिन पायलट पर फिर क्यों हमलावर हुए अशोक गहलोत, राहुल की तारीफ से है कनेक्शन?

जयपुर : लंबी शांति के बाद क्या एक बार फिर राजस्थान में सियासी तूफान खड़ा होने वाला है? मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिस तरह से सचिन पायलट का नाम लेकर उन पर सरकार गिराने की कोशिश का आरोप लगाया है उससे राजस्थान में 2 साल पहले वाले हालात पैदा होने के आसार दिखने लगे हैं। फिलहाल सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या सचिन पायलट अब भी वही सब्र दिखाएंगे, जिसके लिए राहुल गांधी ने उनकी तारीफ की है। हालांकि, राजनीतिक जानकारों का यह भी कहना है कि 2 साल तक चुप्पी साधे रहे सचिन को अब भी ‘पायलट’ बनाए जाने का इंतजार है और लंबे समय तक यथास्थिति पर कायम रहना उनके लिए मुश्किल होगा।

राजस्थान के मुख्यमंत्री ने शनिवार को सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ में मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान बीजेपी नेता गजेंद्र सिंह शेखावत पर हमला करते हुए सचिन पायलट का भी नाम लिया और कहा कि दोनों ने मिलकर राजस्थान में सरकार गिराने की साजिश रची। शेखावत को एसीबी का नोटिस मिलने को लेकर गहलोत ने कहा कि वह सरकार गिराने की साजिश में मुख्य किरदार थे। गहलोत ने कहा, ”आप एक्सपोज हो गए, अब कह रहे हो कि सचिन पायलट ने चूक कर दी, आपने ठप्पा लगा दिया कि उनके (पालयट) के साथ मिले हुए थे।”

अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर ऐसे समय में यह हमला किया है जब राहुल गांधी की ओर से सचिन पायलट की तारीफ के मायने तलाशे जा रहे थे। ईडी की पूछताछ को लेकर दिल्ली में पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में जिस तरह राहुल ने सचिन पायलट की सब्र की तारीफ की, उससे यह संकेत निकाला जा रहा था कि नेतृत्व को पायलट से सहानुभूति है और देर सबेर उन्हें ‘सब्र का मीठा फल’ मिल सकता है। सियासी पंडितों का कहना है कि गहलोत भी काफी सतर्क हो गए हैं और उन्होंने पायलट पर सरकार गिराने की साजिश में बीजेपी नेताओं से मिलने का आरोप लगाकर पार्टी नेतृत्व को संदेश देने की कोशिश की है।

हाल ही में संपन्न हुए राज्यसभा चुनाव में गहलोत ने जिस तरह बीजेपी की तमाम कोशिशों के बावजूद तीन सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित की उसके बाद से उनके तेवरों में आक्रमकता बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। दिल्ली में कांग्रेस के सत्याग्रह में जिस तरह वह सक्रिय दिखे हैं उससे भी काफी कुछ संकेत मिलता है। माना जा रहा है कि राज्यसभा चुनाव से उन्होंने पार्टी नेतृत्व को साफ संकेत दे दिया है कि प्रदेश में उनका जादू कायम है और यहां किसी तरह के बदलाव को आसानी से स्वीकार नहीं करेंगे।

फिलहाल राजस्थान की राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों की निगाहें सचिन पायलट के रुख पर टिकी हैं। वह कितने समय तक सब्र को कायम रख पाएंगे यह बड़ा सवाल है। हालांकि, पायलट को करीब से जानने वालों की मानें तो वह अब भी सही मौके का इंताजर कर रहे हैं। राहुल और प्रियंका के वादे पर उनका भरोसा कायम है।

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