अवैध अप्रवासियों को डिपोर्ट करने के लिए ट्रंप ने क्यों चुने सैन्य विमान, जानें कितनी पड़ती है एक फ्लाइट की लागत
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने सत्ता संभालते ही अवैध अप्रवासियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए थे। ट्रंप का प्रमुख लक्ष्य अवैध अप्रवासियों को जल्द से जल्द उनके देशों में वापस भेजना है। इस अभियान के तहत, विशेषकर भारतीय अप्रवासियों को सैन्य विमानों के माध्यम से निर्वासित किया जा रहा है, जिनमें एक C-17 विमान भी शामिल है जो 205 भारतीय नागरिकों को लेकर सैन एंटोनियो, टेक्सास से भारतीय समयानुसार सुबह 3 बजे रवाना हुआ था।
अमेरिका में अवैध अप्रवासियों के निर्वासन के लिए आमतौर पर वाणिज्यिक चार्टर विमानों का उपयोग किया जाता है, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने सैन्य विमानों का उपयोग करना शुरू कर दिया है। यह कदम असामान्य और महंगा है, लेकिन इसके पीछे कुछ महत्वपूर्ण रणनीतिक कारण हो सकते हैं। खास तौर पर, सैन्य विमानों में अप्रवासियों को ले जाने की लागत काफी अधिक होती है, जो सामान्य वाणिज्यिक फ्लाइट्स की तुलना में बहुत महंगी है।
सैन्य विमान का उपयोग क्यों?
अमेरिका में अवैध अप्रवासियों को डिपोर्ट करने के लिए वाणिज्यिक चार्टर विमानों का उपयोग आमतौर पर किया जाता है, जो अमेरिकी सीमा शुल्क और आव्रजन प्रवर्तन (ICE) द्वारा संचालित होते हैं। हालांकि, ट्रंप प्रशासन के तहत, सैन्य विमानों का उपयोग अधिक बढ़ गया है। रॉयटर्स द्वारा किए गए एक तुलनात्मक अध्ययन में यह पाया गया कि ग्वाटेमाला के लिए हाल ही में एक सैन्य निर्वासन उड़ान की लागत प्रति प्रवासी लगभग 4,675 डॉलर थी, जबकि उसी रूट पर अमेरिकन एयरलाइंस के फर्स्ट क्लास टिकट की लागत 853 डॉलर थी। इस तरह, सैन्य विमानों का उपयोग पांच गुना अधिक महंगा साबित हो रहा है।
कमर्शियल और सैन्य विमान के बीच लागत का अंतर
ICE द्वारा संचालित निर्वासन उड़ानों की औसत लागत के बारे में रॉयटर्स ने रिपोर्ट किया कि एक उड़ान में 135 निर्वासितों के लिए प्रति उड़ान घंटे लगभग 17,000 डॉलर खर्च होते हैं, और यह उड़ान सामान्यत: 5 घंटे लंबी होती है। दूसरी ओर, C-17 सैन्य परिवहन विमान को चलाने की अनुमानित लागत 28,500 डॉलर प्रति घंटा है, जो इसे कहीं अधिक महंगा बना देती है। भारत के लिए हाल ही में की गई उड़ानें अब तक की सबसे लंबी उड़ानें रही हैं, जिनमें ग्वाटेमाला, पेरू, होंडुरास और इक्वाडोर जैसे देशों के लिए भी सैन्य विमानों का उपयोग किया गया है। हालांकि, कोलंबिया ने अपनी धरती पर सैन्य विमानों के उतरने से इनकार कर दिया था और अपनी ओर से विमान भेजे थे।
ट्रंप का सैन्य विमान के उपयोग को समर्थन
डोनाल्ड ट्रंप ने अवैध अप्रवासियों को ‘एलियन’ और ‘अपराधी’ कहकर संबोधित किया है, और उनके लिए सैन्य विमानों में यात्रा करने के दृश्य उन्हें एक सख्त संदेश देने के रूप में देखे जा सकते हैं। उनके प्रशासन का यह कदम यह दिखाता है कि ट्रंप प्रशासन अवैध अप्रवासियों के प्रति अपने कठोर रुख को और अधिक मजबूत करना चाहता है। ट्रंप ने हाल ही में रिपब्लिकन सांसदों से बात करते हुए कहा था कि वह अवैध अप्रवासियों को जल्दी से निर्वासित करना चाहते हैं, ताकि वे लंबे समय तक अमेरिका में न रह सकें।
उन्होंने कहा, “हम इतिहास में पहली बार अवैध विदेशियों का पता लगा रहे हैं और उन्हें सैन्य विमानों में भरकर वापस उनके देशों में भेज रहे हैं।” ट्रंप का यह बयान स्पष्ट करता है कि वह अपील के लिए समय देने के बजाय अवैध प्रवासियों को तुरंत निर्वासित करने के पक्षधर हैं। उनका मानना है कि वे “अगले 20 सालों तक शिविरों में नहीं रह सकते” और उन्हें जितना जल्दी हो सके, उनके देशों में भेजा जाना चाहिए।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव का बयान
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने हाल ही में उन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर साझा किया था, जिनमें हथकड़ी लगाए हुए प्रवासी सैन्य विमान की ओर बढ़ रहे थे। इन तस्वीरों के साथ उन्होंने लिखा था, “निर्वासन उड़ानें शुरू हो गई हैं। राष्ट्रपति ट्रंप पूरी दुनिया को एक मजबूत और स्पष्ट संदेश भेज रहे हैं कि अगर आप अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करते हैं, तो आपको गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।”
इस तरह, ट्रंप प्रशासन के तहत सैन्य विमानों का उपयोग अवैध अप्रवासियों के निर्वासन को एक सख्त और प्रभावशाली संदेश के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। यह कदम भले ही महंगा हो, लेकिन इसके पीछे एक रणनीति है जो अमेरिका की सीमा सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखी जा रही है।