नरक चतुर्दशी पर आखिर क्यों होती है बजरंगबली की पूजा? इन उपायों से होगा लाभ
नई दिल्ली : नवरात्रि के साथ ही त्योहारों की भी शुरुआत हो जाती है. जल्दी ही हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार दिवाली भी आने वाला है, लेकिन दिवाली से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है नरक चतुर्दशी. इस दिन से जुड़ी कई मान्यताएं हैं. इन्हीं में से एक नरक चतुर्दशी पर बजरंगबली की पूजा भी की जाती है. भगवान श्रीकृष्ण, माता काली और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन कई लोग अब भी यह नहीं जानते की इस दिन बजरंगबली की पूजा का क्या महत्व है? तो चलिए आपको बताते हैं कि इस दिन बजरंगबली की पूजा क्यों होती है?
दरअसल, वाल्मीकि रामायण के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हनुमान जी का जन्म हुआ था. इसी दिन नरक चतुर्दशी भी मनाई जाती है. ऐसे में मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन जो भी मनुष्य बजरंगबली की पूजा-अर्चना करता है, उसे जीवन के तमाम संकटों से मुक्ति मिलती है. यही वजह है कि इस दिन यानी नरक चतुर्दशी को बजरंगबली की भी पूजा की जाती है.
नरक चतुर्दशी के दिन एक नारियल लें और इसे अपने सिर पर से सात बार उतारें और फिर इसे बजरंगबली को चढ़ा दें. कहते हैं, ऐसा करने से आपके जीवन की हर मुश्किल हल हो जाती है. इसके अलावा पीपल के पत्तों में जय श्रीराम लिखें और इसकी एक माला बनाएं. इस माला को बजरंगबली को पहनाएं. इससे करियर में तरक्की होती है और सभी बाधाएं दूर होती हैं.
इन उपायों से भी होगा लाभ : नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठें. स्नान से पहले तिल के तेल से मालिश करें और पानी में तिल डालकर स्नान करें. नरक चतुर्दशी के दिन स्नान करने के बाद माथे पर रोली का तिलक लगाएं और दक्षिण दिशा की ओर मुख करके तिल वाले जल से यमराज का तर्पण करें. इससे नर्क में मिलने वाली यातनाओं से मुक्ति मिलती है.
क्या ना करें : नरक चौदस को मंदिर, रसोई, तुलसी, पीपल, बरगद या आम के पेड़ के नीचे गंदा ना करें. इस दिन यहां सफाई करें और दीपक जलाएं. मान्यता है कि ऐसा करने से सुख, समृद्धि की प्राप्ति होती है और जीवन में शांति बनी रहती है. इस दिन दीपदान का भी बहुत महत्व है.