चैत्र अमावस्या को क्यों कहते हैं भूतड़ी अमावस्या? जानिए क्या है इसके पीछे का रहस्य
नई दिल्ली : हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन स्नान-दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है. इससे देवताओं और पितरों का आशीर्वाद मिलता है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है. पंचांग के अनुसार हर महीने की कृष्णपक्ष की अंतिम तिथि के दिन अमावस्या होती है.
पूरे साल में 12 अमावस्या पड़ती है और सभी के अलग-अलग नाम व मान्यताएं होती है. बात करें चैत्र महीने की तो यह हिंदू कैलेंडर या पंचांग का अंतिम वर्ष होता है जोकि अंग्रेजी कैलेंडर के मार्च-अप्रैल माह में पड़ती है. चैत्र महीने को हिंदू धर्म में धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना गया है. इस महीने में पड़ने वाली अमावस्या भी खास होती है. इसे भूतड़ी अमावस्या कहा जाता है.
चैत्र महीने की भूतड़ी अमावस्या पर पितरों के तर्पण के साथ ही धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं. भूतड़ी अमावास्या पर पवित्र नदी में स्नान, ब्राह्मण और गरीबों में दान, पितरों का तर्पण, व्रत और पूजा का विधान है. जानते हैं इस साल कब पड़ रही है भूतड़ी अमावस्या और चैत्र अमावस्या को क्यों कहा जाता है भूतड़ी अमावस्या.
भूतड़ी अमावस्या तिथि, मुहूर्त और शुभ योग
चैत्र अमावस्या प्रारंभ: 20 मार्च 2023, रात 01:47
चैत्र अमावस्या समाप्त: 21 मार्च 2023, रात 10:53
चैत्र महीने की अमावस्या मंगलवार के दिन पड़ रही है. इसलिए इसे भूतड़ी अमावस्या के साथ ही भौमवती अमावस्या भी कहा जाएगा. ज्योतिष के अनुसार इस दिन कई शुभ योग भी बन रह हैं, जिससे इस अमावस्या का महत्व और अधिक बढ़ जाता है. इस दिन शुभ,शुक्ल और सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है.
अलग-अलग माह और विशेष दिनों में पड़ने के कारण अमावस्या के विभिन्न नाम भी होते हैं. लेकिन चैत्र माह में पड़ने वाली अमावस्या का नाम भूतड़ी अमावस्या है, जिसे सुनकर किसी के मन में सबसे पहली चीज यह आएगी कि क्या ये भूतों की अमावस्या तो नहीं है या इसका संबंध भूतों से तो नहीं है. बता दें कि इसका संबंध भूतों से तो नहीं लेकिन हां नकारात्मक शक्तियों से जरूर है. मान्यता है कि नकारात्मक शक्तियां या अतृप्त आत्माएं अपनी अधूरी इच्छा को पूरी करने के लिए लोगों के शरीर को निशाना बनाती है और अपना अधिकार जमाने की कोशिश करती है. इस दौरान आत्माएं या नकारात्मक शक्तियां उग्र हो जाती है. आत्माओं की इसी उग्रता को शांत करने के लिए भूतड़ी अमावस्या पर नदी स्नान करने का महत्व है.
भूतड़ी अमावस्या पर वैसो तो हर पवित्र नदी के तट पर धार्मिक मेलों का आयोजन किया जाता है, लेकिन सबसे बड़ा मेला प्रध्य प्रदेश के नर्मटा तट पर धाराजी में लगता है. भूतड़ी अमावस्या पर यहां हजारों लोग पवित्र डुबकी लगाने आते हैं. जिन लोगों पर ऊपरी बाधा का असर होता है वे भी यहां आकर इस परेशानी से मुक्ति पाते हैं. इसके अलावा उज्जैन के क्षिप्रा तट और बावन कुंड में भी इस तरह के दृश्य देखने को मिलते हैं.
चैत्र अमावस्या पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए आसान उपाय जरूर करने चाहिए, जैसे घर में उनके निमित्त धूप-ध्यान करना चाहिए. गाय को हरा चारा खिलाएं। कुत्ते और कौए को रोटी खिलाएं. संभव हो तो जरूरतमंदों को अनाज, कपड़े आदि का दान भी करें. भूतड़ी अमावस्या पर ये छोटे-छोटे उपाय करने से पितरों की कृपा हम पर बनी रहती है.