उत्तराखंड

विशेषःइस जनजाति के उत्तराखंड में सबसे ज्यादा ‘अफसर’, आज क्यों अपमानित महसूस कर रही?

देहरादून (गौरव ममगाईं)। वैसे तो उत्तराखंड में मुख्य 5 बड़ी जनजातियां निवास करती हैं, लेकिन इनमें एक जनजाति का विशेष महत्त्व रहता है। इसका कारण भी बेहद खास है। दरअसल, उत्तराखंड में एक जनजाति ऐसी है, जो राज्य को सबसे ज्यादा आईएएस व पीसीएस देती रही है। इस जनजाति के अफसरों ने राज्य के विकास में बेहद महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस जनजाति का नाम है- भोटिया।  

   वैसे तो भोटिया जनजाति उत्तराखंड को बड़े-बड़े अफसर देने व विशेष रीति-रिवाजों के लिए जानी जाती रही है, लेकिन इन दिनों उत्तराखंड की भोटिया जनजाति के लोग खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं। जी हां। इसका कारण भी बहुत अलग है। दरअसल, उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में पाये जाने वाले हिमालयन डॉग को प्रदेश में भोटिया कुत्ता कहकर पुकारने का गलत प्रचलन है। इस पर जनजाति के लोगों ने कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि कुत्ते की पहचान में जनजाति के नाम को प्रयोग करने से जनजाति के लोग अपमानित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि कुत्ते की पहचान में जनजाति के नाम का प्रयोग पूरी तरह से बंद कराया जाए।

  दरअसल, उत्तराखंड का 86 प्रतिशत भाग पर्वतीय है। राज्य के सबसे ऊंचाई वाले जिले उत्तरकाशी, चमोली व पिथौरागढ़ में हिमालयन डॉग पाये जाते हैं। ये डॉग बकरी चराने वाले लोगों के पास रखे जाते हैं। ये डॉग बेहद समझदार होते हैं और बकरियों व गायों के झुंड को जंगल ले जाने व जंगल से एक साथ लाते हैं। कभी झुंड से कोई बकरी व गाय-भैंस अलग हो जाती है तो ये डॉग उसकी घेरेबंदी करते हुए उसे झुंड में शामिल कराते हैं। इन डॉग का खान-पान व रहन-सहन बहुत ही साधारण होता है। यह देखने में बेहद डरावने लगते हैं। इन डॉग की उत्तराखंड ही नहीं, पूरे देश में बहुत डिमांड देखी जाती है। कई देशों में इन्हें हिमालयन शेफर्ड के नाम से जाना जाता है।

  क्यों खास है भोटिया जनजाति ?

भोटिया जनजाति उत्तराखंड की तीसरी बड़ी जनजाति है। इस जनजाति को अर्धघुमंतु जनजाति कहा जाता है। क्योंकि, यह जनजाति गर्मी व बरसात में ऊंचाई वाले स्थानों में निवास करती है, लेकिन सर्दी के समय निचले स्थानों में प्रवास करती है। इस जनजाति में कई वर्ग हैं, जिनमें जाड़ भोटिया, शौका, दरमिया, चौंदासी, व्यासी व कई अन्य हैं। जाड़ भोटिया खुद को जनक का वंशज मानते हैं। भोटिया जनजाति का साक्षरता दर अन्य जनजातियों की तुलना में काफी बेहतर है। ये जनजाति चीन सीमा से लगते चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ में निवास करती है। 1962 भारत-चीन युध्द से पहले इस जनजाति के लोग चीन के साथ व्यापार करते थे। ये जनजाति ऊनी वस्त्र, ऊन व गर्म कालीन का व्यवसाय करते हैं। बता दें कि उत्तराखंड में पांच मुख्य जनजाति निवास करती हैं, जिनमें सबसे ज्यादा आबादी थारू जनजाति की है। इसके बाद दूसरे में जौनसारी, तीसरे में भोटिया, चौथे में बोक्सा व पांचवें वनरावत जनजाति है।

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