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सर्दी-खांसी की भारतीय दवाओं पर क्यों लग रहा बैन, भारत में इसे लेकर क्या हो रहा?

नई दिल्ली. इस महीने की शुरुआत में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक वैश्विक चेतावनी जारी की। यह चेतावनी भारत की एक दवा कंपनी द्वारा बनाए गए सर्दी-खांसी के सिरप को लेकर थी। दरअसल, अफ्रीकी देश गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत हुई। इन बच्चों ने इस कंपनी द्वारा बनाए गए सर्दी-खांसी के चार सिरप में से किसी का सेवन किया था। इसके बाद पिछले शनिवार को इंडोनेशिया ने उन इंग्रीडिएंट्स पर रोक लगा दी, जिन्हें गाम्बिया में बच्चों की मौत की वजह माना गया। इस कदम के बाद अब इंडोनेशिया ने देश में सभी सिरप और सारी लिक्विड दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है।

गाम्बिया में आखिर क्या हुआ जिसकी वजह से सर्दी-खांसी की दवाओं पर इस तरह के सवाल उठने लगे? इंडोनेशिया ने देश में सभी तरह के सिरप पर प्रतिबंध लगाने की क्या वजह बताई है? भारत में इस पर क्या कार्रवाई हो रही है? जिस कंपनी के सिरप की वजह से सारा विवाद शुरू हुआ है वो क्या है और उसका क्या इतिहास है? आइये जानते हैं…

अफ्रीकी देश गाम्बिया में जुलाई में अलर्ट जारी किया गया। वहां, किडनी की समस्या से बच्चे बीमार होने लगे। कुछ बच्चों की मौत की खबर आई। इन मौतों में एक जैसा पैटर्न सामने आया। जान गंवाने वाले सभी बच्चों की उम्र पांच साल से कम थी। सर्दी-खांसी के सिरप लेने के तीन से पांच दिन बाद ये गंभीर रूप से बीमार हुए।

डब्ल्यूएचओ ने इस महीने की शुरुआत में इसे लेकर रिपोर्ट जारी की। इसमें कहा गया कि खांसी की दवा डाइथेलेन ग्लाइकोल और इथिलेन ग्लाइकोल इंसान के लिए जहर की तरह हैं। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसुस ने कहा कि बच्चों की मौत का संबंध चार दवाओं से है। इन सिरप के सेवन से उनके गुर्दों को क्षति पहुंची। ये चारों दवाएं हरियाणा की एक ही कंपनी मेडेन फार्मास्यूटिकल्स की हैं।

WHO की रिपोर्ट आने के बाद गाम्बिया ने मेडेन फार्मास्यूटिकल के उत्पादों पर बैन लगा दिया गया। WHO ने सभी देशों को इन दवाओं को बाजार से हटाने की चेतावनी दी। खुद भी इन देशों और संबंधित क्षेत्र की आपूर्ति शृंखला पर नजर रखने की बात कही है। WHO की चेतावनी के बाद केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने जांच के आदेश जारी कर दिए।

इंडोनेशिया सरकार ने बुधवार को सभी तरह के सिरप और तरल दवाओं की बिक्री और उन्हें डॉक्टरों के पर्चे में लिखे जाने पर प्रतिबंध लगा दिया। सरकार की ओर से कहा गया कि देश में इस साल करीब सौ बच्चों की किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचने कारण मौत हुई। पाबंदी की घोषणा इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने की। उनके अनुसार देश में बच्चों की मौतों के आंकड़े में जनवरी के बाद बढ़ोतरी हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता मुहम्मद सयारिल मंसूर के अनुसार, 20 प्रांतों में 99 मौतों की सूचना मिली है। मंसूर ने कहा कि एहतियात के तौर पर मंत्रालय ने सभी अस्पतालों और डॉक्टरों को सिरप या तरल दवाएं नहीं लिखने का निर्देश दिया है। मंत्रालय ने दवा दुकानों को भी जांच पूरी होने तक इन सिरप का विक्रय नहीं करने और काउंटर से हटाने का निर्देश दिया है।

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