विद्वान लोग क्यों नहीं बनना चाहते ‘पादरी’ ? आज फिर क्यों छिड़ी बहस ?
देहरादून (गौरव ममगाईं)। इसाई धर्म में पादरियों की कमी का मुद्दा आज एक बार फिर चर्चाओं में है। वैसे तो विश्वभर में रोमन कैथोलिक चर्चों में अक्सर पादरियों की कमी देखने को मिलती रही है। कई देशों में तो कई ऐसे बड़े शहर भी हैं, जहां पादरी ही नहीं हैं। वहीं, यह भी कहा जाता रहा है कि विद्वान लोग पादरी बनना तो चाहते हैं, लेकिन विशेष कारणों से वे इस कर्तव्य को निभाने में असमर्थता जाहिर कर रहे हैं। जिस कारण पादरियों का संकट पैदा हो रहा है। चलिये आइये जानते हैं कि आज ये मुद्दा क्यों चर्चाओं में है ? और आखिर क्यों विद्वान लोग पादरी जैसे पवित्र एवं उच्च जिम्मेदारी वाले पद से दूरी बना रहे हैं ?
दरअसल, इसाई धर्म के सबसे बड़े धार्मिक गुरु पोप के मुख्य सलाहकार चार्ल्स साइक्लूना ने एक इंटरव्यू में इस मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि इसाई धर्म में रोमन कैथोलिक चर्च सबसे प्रमुख है, लेकिन यहां पादरियों का संकट पैदा हो रहा है। इसका कारण है पादरियों को विवाह की अनुमति न मिलना और ब्रह्मचर्य जीवन बिताना। कहा कि अन्य चर्चों में इसकी अनुमति दी गई है। साइक्लूना ने कहा कि उनकी भी राय है कि पादरियों को विवाह की अनुमति मिलनी चाहिए, क्योंकि विवाह व प्रेम स्वाभाविक भावनाएं हैं। साइक्लूना के इस बयान के बाद एक बार फिर पादरियों को विवाह की अनुमति देने की मांग जोर पकड़ने के आसार हैं।
विवाह अनुमति पर अलग-अलग है राय
दरअसल, इसाई धर्म में अनेक चर्चों की विवाह अनुमति को लेकर अलग-अलग राय देखने को मिलती है। पोप के वरिष्ठ सलाहकार साइक्लूना के अनुसार, पूर्वी रूढ़िवादी चर्च (ऑर्थोडोक्स) में विवाह की अनुमति दी गई है। इसके अलावा प्रोटेस्टेंट और एंजलिकन चर्च में भी पादरियों को विवाह की अनुमति दी गई है। लेकिन, रोमन कैथोलिक चर्च में पादरियों के लिए ब्रह्मचर्य जीवन को अनिवार्य किया गया है। यह नियम खुद बनाकर लागू किया है। वहीं, रोमन कैथोलिक चर्च के पदाधिकारियों का तर्क है कि गृहस्थ जीवन के कारण पादरी धार्मिक कार्यों में पवित्रता एवं शुध्दता का पालन नहीं कर पाते हैं, ब्रह्मचर्य के कारण पादरी धार्मिक क्रियाकलापों में पूरी तरह समर्पित रहते हैं। वहीं, अक्सर देखा गया है कि रोमन कैथोलिक चर्च की ओर से पादरियों को विवाह अनुमति को लेकर कभी सख्त तो कभी नरम रूख अपनाया जाता रहा है।