उत्तर प्रदेशलखनऊ

महिलाएं जागरूक बनें और फाइलेरिया से बचें

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) पर विशेष

समुदाय भी जिम्मेदारी निभाए- महिलाओं को दुश्वारियों से बचाए

लखनऊ : महिलाओं को हर क्षेत्र में बराबरी का दर्जा दिलाने और उनको अपने अधिकारों के बारे में बखूबी जागरूक बनाने के उद्देश्य से ही दुनिया हर साल आठ मार्च को महिला दिवस मनाती है| इसके बावजूद आज हमारे बीच बड़ी तादाद में ऐसी महिलाएं हैं जो फाइलेरिया से ग्रसित होकर दुश्वारी भरी जिंदगी व्यतीत कर रहीं हैं| आज जरूरत है कि इन महिलाओं के दुखों को बांटने के साथ ही कुछ ऐसा किया जाए कि और कोई फाइलेरिया की चपेट में आ ही न सके| स्वास्थ्य विभाग द्वारा फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर हरस्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं, समुदाय भी ईमानदारी से साथ दे तो हमारा महिला दिवस मनाना सार्थक साबित हो सकता है|

बक्शी का तालाब ब्लॉक के हरधौरपुर गाँव की सुशीला रावत बताती हैं कि वह बीस साल से फाइलेरिया से ग्रसित हैं| पैर की सूजन के चलते वह बड़ी दिक्कत का सामना करने को मजबूर हैं| इसके चलते भेदभाव का भी सामना कारण पड़ता है| जब हम पानी में ज्यादा समय तक रहते हैं या पैर लटकाकर रखते हैं तो पैर में ज्यादा सूजन आ जाती है| इसके कारण पायल तक नहीं पहन पाते| हम तो इस बीमारी से पीड़ित हैं लेकिन दूसरों से यही कहना चाहूँगी कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा साल में एक बार खिलाई जाने वाली फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन अवश्य करें ताकि वह इस बीमारी से बचे रहें|

इसी गाँव की सुनीता बताती हैं – वह पिछले दस साल से फाइलेरिया से ग्रसित हैं| इसके कारण उन्हें सामान्य जीवन जीने में बहुत दिक्कत आती है| वह अपने को हीन भावना ग्रसित महसूस करती हैं| वह कहती हैं इस बीमारी से कैसे बच सकते हैं इसके बारे में हमें पहले जानकारी नहीं थी| इसलिए हम इससे ग्रसित हुए लेकिन अब हमें यह मालूम हो चुका है कि यह मच्छरों से होती है| इसलिए मैं अन्य लोगों से यही कहना चाहूँगी कि वह मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी लगाएं, मच्छररोधी क्रीम का उपयोग करें तथा स्वास्थ्य विभाग द्वारा साल में एक बार खिलाई जाने वाली फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन अवश्य करें और फाइलेरिया से बचें|

जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. रितु श्रीवास्तव का कहना है कि फाइलेरिया की बीमारी पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा होती है क्योंकि फाइलेरिया का क्यूलेक्स मच्छर गंदे पानी में पनपता है| गांवों और बस्तियों में महिलाएं सार्वजनिक हैंडपम्प, नल या कुएं पर पानी भरती हैं , कपड़े धोती हैं, बर्तन साफ करती हैं| इन स्थलों पर पानी के समुचित निकास की व्यवस्था न होने के कारण क्यूलेक्स मच्छर पनपता है| इन्हीं मच्छरों के काटने से वह इस बीमारी की चपेट में आ जाती हैं| महिलाएं या उनके परिवार के सदस्य तब तक ध्यान नहीं देते हैं जब तक कि उनके पैरों की स्थिति गंभीर नहीं बन जाती है| अगर सावधानी बरतें तो इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है|

हाथी पाँव से ग्रसित महिलाओं को पूरी सावधानी बरतनी चाहिए ताकि पैरों में सूजन न रहे| उन्हें हमेशा चप्पल या जूते पहनने चाहिए| चप्पल या जूते मुलायम होने चाहिये| पैर लटकाकर न रखें, बहुत ज्यादा देर तक न खड़े रहें| इसके साथ ही पैरों को हमेशा साफ और सूखा रखेँ| उस पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगायें| इसके अलावा महिला को पायल, बिछिया या काला धागा नहीं पहनना चाहिए क्योंकि इससे फंगस का संक्रमण होने का खतरा रहता है| चिकित्सक द्वारा बताए गए व्यायाम करने चाहिए| डा. रितु कहती हैं– महिला दिवस पर यही सन्देश देना चाहूँगी कि महिलाएं परिवार का ध्यान रखने से पहले खुद अपना ध्यान रखें| आप स्वस्थ होंगी तभी अन्य को स्वस्थ रख पायेंगी| खुद स्वस्थ रहें – दूसरों को भी स्वस्थ रखें|

Related Articles

Back to top button