नई दिल्ली : यह सफलता की कहानी है महिला किसान ललिता देवी की। ललिता देवी छत्तीसगढ़ के रांची के नागडी प्रखंड के टिकरा टोली गांव की रहने वाली है। पहले वह अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर रहती थी, लेकिन अब वह आसानी से अपने घर का खर्च चला लेती है साथ ही कुछ पैसों की बचत भी कर लेती है।
महिला किसान ललिता देवी ने बताया कि कैसे वह स्वयं सहायता समूह से जुड़ी और उनकी जिंदगी में बदलाव आया। स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद मुझे झारखंड लाइवलीहुड प्रोमोशनल सोसाइटी द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों का लाभ मिला। उन्होंने कृषि के लिए पूंजी अर्जित की। इसके साथ ही उन्होंने खेती करना शुरू कर दिया।
एक किसान ललिता का कहना है कि वह कृषि में कुछ नया करना चाहती थी। इसके लिए मुझे एक स्वयं सहायता समूह से मदद मिली। इस प्रक्रिया में, उन्होंने गुलाब की खेती में प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके लिए उन्होंने झारखंड हॉर्टिकल्चर इंटेन्सीफिकेशन के तहत माइक्रो ड्रिप इरीगेशन (एमडीआई) सिस्टम और जापान इंटरनेशनल कोआॅपरेशन एजेंसी द्वारा वित्त पोषित माइक्रो ड्रिप इरीगेशन प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी प्राप्त की। समूह की आर्थिक मदद और सूक्ष्म ड्रिप सिंचाई के उपयोग से ललिता ने खुद गुलाब की खेती शुरू की और धीरे-धीरे गुलाब अच्छी तरह से बिकने लगे और आज वह गुलाब की खेती से 30 हजार रुपये तक कमा लेती हैं।
ललिता बताती हैं कि गुलाब उगाने के लिए उन्होंने एक सहकारी बैंक से 50 हजार का कर्ज लिया और उससे गुलाब उगाने लगीं। उन्होंने सूक्ष्म सिंचाई और ड्रिप पद्धति का उपयोग करके कम पानी में गुलाब उगाने में सफलता प्राप्त की। उन्होंने नर्सरी से 6,000 डच किस्मों के गुलाब खरीदे और 25 डेसीमाइल भूमि पर गुलाब उगाना शुरू किया।
गुलाब की खेती शुरू करने के साथ ही ललिता ने उन्हें बेचने के लिए बाजार भी तलाशना शुरू कर दिया। जब उन्होंने बाजार में गुलाब की मांग देखी तो उनका उत्साह दुगना हो गया। वह अपनी खुशी व्यक्त करती है और कहती है कि मैं हमेशा से गुलाब उगाना चाहती थी, लेकिन वित्तीय कारणों और उचित प्रबंधन ज्ञान की कमी के कारण, मैं ऐसा नहीं कर सका, लेकिन स्वयं सहायता समूहों की मदद से यह काम आसान है। दूर।
छत्तीसगढ़ ही नहीं राजस्थान में कई किसान गुलाब उगाकर काफी अच्छा मुनाफा कमाते हैं। गुलाब के फूल साल के बारह महीने मांग में रहते हैं। गुलाब के फूलों का उपयोग धार्मिक आयोजनों, जन्मदिनों, वैलेंटाइन डे, शादियों आदि अवसरों पर सजावट के लिए किया जाता है। इतना ही नहीं सूखे गुलाब के फूलों से गुलकंद बनाया जाता है। जबकि गुलाब जल का उपयोग कॉस्मेटिक के रूप में किया जाता है। यह इत्र भी बनाता है। इस दृष्टि से गुलाब की खेती से लाभ की अपार संभावनाएं हैं।