शहरी आबादी को स्वस्थ बनाने की अलख जगाने में जुटीं महिला आरोग्य समितियां
खासकर मलिन बस्तियों में स्वास्थ्य मुद्दों पर जागरूकता लाने की पहल
25 शहरों की 2100 महिला आरोग्य समितियों का किया क्षमतावर्धन
लखनऊ : शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर जागरूकता लाने में महिला आरोग्य समितियां अहम भूमिका निभा रहीं हैं। समितियां अपने क्षेत्र में स्वच्छता, शुद्ध पेयजल, पोषण के अलावा जनस्वास्थ्य के मुद्दों जैसे-टीकाकरण, परिवार नियोजन, और संक्रामक रोगों से बचाव की अलख जगाने में जुटी हैं। इस बारे में समितियों के सदस्यों को स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में पीएसआई- टीसीआई द्वारा जरूरी प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया है। समितियां शहरी आबादी को स्वास्थ्य सेवाएँ लेने के लिए प्रेरित करने के साथ ही आशा कार्यकर्ताओं की मदद करने में भी जुटीं हैं। शहरी क्षेत्र की कमजोर वर्ग की आबादी के लिए उत्तम स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए जहाँ एक ओर पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता आवश्यक है, वहीँ आबादी का स्वास्थ्य सुरक्षा सम्बन्धी व्यवहार परिवर्तन भी बहुत जरूरी है। मलिन बस्ती में रहने वाले परिवारों को उत्तम स्वास्थ्य व्यवहारों से परिचित कराना, समझाना और प्रेरित करना कि वह सामूहिक रूप से उसे जीवन में उतारें एक कठिन कार्य है। यही बात लोगों को अपनी बोलचाल की भाषा में समझाने और इसके लिए प्रेरित करने में जुटीं हैं महिला आरोग्य समितियां ताकि लोग खुद से आगे आकर इसकी महत्ता को समझ सकें। इसी को देखते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने विचार किया कि क्यों न इन महिलाओं को ही उनकी आबादी का स्वास्थ्य रक्षक बना दिया जाए। इसी सोच के साथ महिला आरोग्य समितियों का गठन किया गया।
उत्तर प्रदेश में प्रत्येक शहरी आशा कार्यकर्ता के क्षेत्र में एक महिला आरोग्य समिति का गठन किया गया है। यह समुदाय की ही जागरूक और सचेत महिलाओं की समिति है, जिसकी निर्धारित नियमावली है। समिति के लिए चुना हुआ अध्यक्ष और मंत्री है, समिति का रजिस्ट्रेशन होता है और बैंक अकाउंट भी खुलता है। समिति को अपने समुदाय स्तर पर स्वास्थ्य व्यवहारों या स्वास्थ्य सहायता के लिए निर्धारित धनराशि भी प्राप्त होती है। समिति के पदाधिकारियों की स्वच्छता, पेयजल, पोषण, जनस्वास्थ्य के मुद्दों जैसे- टीकाकरण और परिवार नियोजन, संक्रामक रोगों से बचाव आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है। समिति से अपेक्षा होती है कि वह स्वास्थ्य सम्बन्धी जागरूकता फ़ैलाने तथा अपनी आबादी को स्वास्थ्य सेवाएँ लेने के प्रेरित करते हुए आशा कार्यकर्ता की सहायता करे। उत्तर प्रदेश में शहरी परिवार कल्याण कार्यक्रम तथा शहरी स्वास्थ्य के क्षेत्र में उच्च प्रभावशीलता हस्तक्षेप (हाई इम्पैक्ट एप्रोच जिन्हें बेस्ट प्रैक्टिसेज भी कहते हैं) को क्रियान्वित करने के लिए तकनीकी सहायता देने वाली संस्था पीएसआई इंडिया ने अपने कार्यक्रम टीसीआई के अंतर्गत चयनित जनपदों में चिन्हित महिला आरोग्य समितियों के कौशल विकास के लिए भी तकनीकी सहायता प्रदान की है। इन समर्थ समितियों द्वारा किये गए प्रयास और परिणाम इस बात का प्रमाण हैं कि यदि महिला आरोग्य समितियां सशक्त हों और सही दिशा में सही तरह से प्रयास करें तो यह वास्तव में शहरी स्वास्थ्य को जन आन्दोलन बना सकती हैं।
टीसीआई कार्यक्रम से आच्छदित 25 शहरों में लगभग 2100 महिला आरोग्य समितियों के क्षमतावर्धन का कार्य किया गया है। यह समितियां हर माह बैठक करती हैं, स्वास्थ्य के विषयों पर चर्चा करती हैं, टीकाकरण का हिसाब रखती हैं कि कहीं कोई बच्चा छूट तो नहीं गया, ओआरएस का घोल बनाना सिखाती हैं, स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए अपने स्थानीय सभासद से संवाद करती हैं। इसके अलावा पोषक आहार पर चर्चा करती हैं, संस्थागत प्रसव और जांच के फायदे बताती हैं। इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे यानि परिवार नियोजन की चर्चा को घर-घर तक पहुँचाने में जुटीं हैं । समिति की महिलाएं नव विवाहिताओं से भी बात करती हैं और बुजुर्गों से बात करके उनकी भ्रांतियां भी दूर करती हैं। परिवार नियोजन की बात घर-घर पहुँचाने के लिए कई महिला आरोग्य समितियों ने समिति को प्राप्त होने वाले फण्ड से परिवार नियोजन के बारे में जरूरी प्रचार-प्रसार करने के लिए दीवार लेखन जैसे प्रयास किए हैं। इन समितियों को प्रत्येक शहर में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी जो शहरी स्वास्थ्य के नोडल अधिकारी होते हैं, उनका भी नियमित मार्गदर्शन प्राप्त होता है।