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महिला आरक्षण विधेयक एक चुनावी ‘जुमला’, महिलाओं-लड़कियों की उम्मीदों के साथ बड़ा धोखा : कांग्रेस

नई दिल्ली : कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया। इसके तुरंत बाद कांग्रेस ने मंगलवार को सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा, ”यह विधेयक सबसे बड़े चुनावी ‘जुमलों’ में से एक है। करोड़ों भारतीय महिलाओं और लड़कियों की उम्मीदों के साथ बहुत बड़ा धोखा है।”

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, ”चुनावी जुमलों के इस मौसम में, यह उन सभी जुमलों में सबसे बड़ा है। करोड़ों भारतीय महिलाओं और लड़कियों की उम्मीदों के साथ बहुत बड़ा धोखा।”

राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा, ”जैसा कि हमने पहले बताया था, मोदी सरकार ने अभी तक 2021 की दशकीय जनगणना नहीं की है, जिससे भारत जी20 में एकमात्र देश बन गया है जो जनगणना करने में विफल रहा है।

अब इसमें कहा गया है कि महिला आरक्षण विधेयक के अधिनियम बनने के बाद आयोजित होने वाली पहली दशकीय जनगणना के बाद ही महिलाओं के लिए आरक्षण लागू होगा। यह जनगणना कब होगी?” जयराम रमेश ने कहा कि विधेयक में यह भी कहा गया है कि आरक्षण अगली जनगणना के प्रकाशन और उसके बाद परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही प्रभावी होगा।

क्या 2024 चुनाव से पहले होगी जनगणना और परिसीमन? मूल रूप से यह विधेयक अपने कार्यान्वयन की तारीख के बहुत अस्पष्ट वादे के साथ आज सुर्खियों में है। यह कुछ और नहीं बल्कि ईवीएम-इवेंट मैनेजमेंट है। कांग्रेस की ओर से यह टिप्पणी सरकार द्वारा मंगलवार को महिला आरक्षण विधेयक को नए संसद भवन में लोकसभा में पेश किए जाने के बाद आई है। इस पर चर्चा 20 सितंबर को होगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ”महिला आरक्षण बिल पर काफी देर तक चर्चा हुई। अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल के दौरान महिला आरक्षण विधेयक कई बार पेश किया गया। लेकिन, विधेयक को पारित करने के लिए पर्याप्त बहुमत नहीं था।”

पीएम मोदी ने कहा, “आज, भगवान ने मुझे इसे आगे बढ़ाने का अवसर दिया है… हमारी सरकार आज दोनों सदनों में महिलाओं की भागीदारी पर एक नया विधेयक ला रही है… ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ हमारे लोकतंत्र को और सशक्त बनाएगा।”

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