बंगाल में मनरेगा रोजगार में महिलाओं की हिस्सेदारी राज्य के औसत के अनुपात में नहीं
कोलकाता : महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना के तहत 100 दिनों की नौकरियों में महिलाओं की हिस्सेदारी पिछले वित्तवर्ष (2021-22) में राज्य के औसत के अनुपात में नहीं है। राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन वित्तवर्ष के दौरान इस हिसाब से राज्य का औसत 47.98 दिन है। हालांकि महिलाओं के मामले में यह आंकड़ा 33.28 दिन रहा।
हालांकि, एक अच्छी तस्वीर यह है कि राज्य के औसत की तुलना में महिलाओं की अनुपातहीन हिस्सेदारी में पिछले वर्षो की तुलना में 2021-22 में सुधार हुआ है। 2020-21 में जब राज्य का औसत 51.98 दिन था, उसी हिसाब से महिलाओं की हिस्सेदारी 35.53 दिन थी और उस दृष्टिकोण से राज्य सरकार इस मामले में महिलाओं की भागीदारी में काफी हद तक सुधार करने में सफल रही है।
अखिल भारतीय आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वित्तवर्षो के दौरान केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के रिकॉर्ड के अनुसार, मनरेगा नौकरियों में महिलाओं की भागीदारी का राष्ट्रीय औसत बिना किसी उतार-चढ़ाव के लगभग 54 प्रतिशत के आसपास रहा है। वित्तवर्ष 2021-22 में यह 2020-21 में 53.19 प्रतिशत और 2019-20 में 54.78 प्रतिशत की तुलना में 54.54 प्रतिशत था।
मनरेगा की अनुसूची 2 में कहा गया है कि महिलाओं को इस तरह से प्राथमिकता दी जाएगी कि कम से कम एक तिहाई लाभार्थी महिलाएं होंगी, जिन्होंने काम के लिए पंजीकरण और अनुरोध किया है और एकल महिलाओं और विकलांगों की भागीदारी बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे।