शिमला : संजौली मस्जिद के अवैध हिस्से को तोड़ने का काम मस्जिद कमेटी ने शुरू करा दिया है। नगर निगम शिमला के आयुक्त की कोर्ट ने मस्जिद की तीन मंजिलों को अवैध करार देते हुए मस्जिद कमेटी को अपने ख़र्चे पर इसे दो महीने में गिराने के फरमान दिए थे। कोर्ट के फरमान के 15 दिन बाद मस्जिद में बने अवैध हिस्से को तोड़ने का काम शुरू हो पाया है। यह मस्जिद रिहायशी इलाके में बनी है। मस्जिद के आसपास कई भवन सटे हैं। ऐसे में अवैध तीन मंजिलों को गिराने में काफी वक्त लगेगा। इस कार्य के लिए मजदूर लगाए गए हैं। मजदूरों ने पहले दिन मस्जिद की सबसे ऊपर की मंजिल में लगी टीन को उखाड़ना शुरू किया। मस्जिद कमेटी को अपने ख़र्चे पर अवैध निर्माण तोड़ने के आदेश हैं।
संजौली मस्जिद कमेटी के प्रधान लतीफ मोहम्मद की देखरेख में अवैध निर्माण को तोड़ा जा रहा है। लतीफ मोहम्मद ने कहा कि अवैध हिस्से को गिराने में काफी खर्चा आएगा और इसके लिए फंड जुटाया जा रहा है। मस्जिद कमेटी अपने स्तर पर फंड की व्यवस्था कर रहा है। इस कार्य के लिए हमें राज्य सरकार व अन्य किसी संस्था से धनराशि नहीं मिली है। उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक फंड की मैनेजमेंट नहीं हुई और काम करने के लिए काफी फंड की जरूरत है। ऐसे में अवैध हिस्से को तोड़ने में तीन से चार महीने का समय लग सकता है और अगली सुनवाई में कोर्ट से अतिरिक्त समय देने का आग्रह किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अमन, शांति व भाईचारा कायम रखने के लिए मस्जिद कमेटी ने अवैध निर्माण तोड़ने का निर्णय लिया है और नगर निगम कोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि मस्जिद कमेटी ने इन मंजिलों को गिराने के लिए खुद ही कोर्ट में लिखित आवेदन भी दिया था।
सुर्खियों में रहने वाली इस विवादित चार मंजिला मस्जिद में अवैध निर्माण को लेकर बीते 5 अक्टूबर को नगर निगम के कोर्ट में सुनवाई हुई। नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर सुनवाई करते हुए मस्जिद कमेटी को अहम आदेश दिया है। मस्जिद की ऊपर की तीन मंजिलें अवैध रूप से बनी हैं। कोर्ट ने फरमान जारी किए हैं कि मस्जिद की दूसरी, तीसरी और चौथी मंजिलों को गिराना होगा।
मस्जिद में अवैध निर्माण की पिछले 14 सालों से आयुक्त कोर्ट में सुनवाई चल रही है। 46वीं सुनवाई पर नगर निगम आयुक्त ने यह फैसला सुनाया है। वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी को अपने खर्चे पर तीन मंजिलें गिराने को कहा गया है। कोर्ट ने मामले की आगामी सुनवाई 21 दिसंबर 2024 को निर्धारित की है।
संजौली की इस विवादित मस्जिद का निर्माण वर्ष 2007 में शुरू हुआ था। स्थानीय लोगों ने मस्जिद को अवैध बताते हुए वर्ष 2010 में इसके खिलाफ नगर निगम की कोर्ट में याचिका दाखिल की। तब से यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। खास बात यह है कि तब से लेकर प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस की सरकारें रहीं, लेकिन किसी भी सरकार के कार्यकाल ने इसे लेकर गंभीरता नहीं दिखाई। मस्जिद कमेटी के पूर्व प्रधान ने कोर्ट में बताया कि वर्ष 2012 तक मस्जिद दो मंजिला थी। इसके बाद यहां अवैध निर्माण हुआ।
संजौली की इस मस्जिद के मुद्दे पर पूरे प्रदेश में कोहराम का आलम रहा। सितंबर महीने में हिन्दू संगठनों के बैनर तले हिन्दू शिमला सहित अन्य जिलों में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर अवैध मस्जिदों को गिराने और बाहर से आने वाले विशेष समुदाय के लोगों की रजिस्ट्रेशन की मांग कर रहे हैं। संजौली में बीते 11 सितम्बर को हिंदूओं ने उग्र प्रदर्शन कर विवादित मस्जिद स्थल तक पहुंचने की कोशिश की थी।