लखनऊ: युवा-विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति अभिरुचि बढ़ाने, उनकी वैज्ञानिक सोच व मौलिक विचारों को उत्कृष्ट बनाने हेतु केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान(सीडीआरआई), लखनऊ में “एंटीबायोटिक्स और मानव-स्वास्थ्य”विषय पर शुक्रवार को हिन्दी माध्यम में एक वैज्ञानिक कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में देश के उच्च शैक्षिक व शोध संस्थानों से आमंत्रित प्रख्यात शिक्षाविदों व वैज्ञानिक ने एंटीबायोटिक्स और मानव-स्वास्थ्य को लेकर गूढ बातें बहुत आसानी से हिन्दी भाषा में विद्यार्थियों को समझायी एव उनकी जिज्ञासाओं का समाधान भी किया.
टीबी के इलाज में लापरवाही या गलत दवाओं का सेवन उसे ड्रग रेजिस्टेंट टीबी में बदल सकता है: प्रोफेसर अमिता
केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अमिता जैन ने बताया कि टीबी (ट्यूबरकुलोसिस, क्षय, यक्ष्मा या तपेदिक रोग) मानव सभ्यता की सबसे पुरानी संक्रामक बीमारी है. इसके इलाज में लापरवाही या गलत दवाओं का सेवन उसे ड्रग रेजिस्टेंट टीबी (एमडीआर तथा एक्सडीआर टीबी) में बदल सकता है साथ ही उन्होने बेहद रोचक तरीके से टीबी के बचाव के बारे में बताया कि अगर आप ऐसी किसी जगह काम करते हो जहाँ टीबी के अनुपचारित मरीज हो तो मास्क का प्रयोग करे. वही टीबी मरीज को एवं उसके पारिवारिक सदस्यों को किसी स्पेशलिस्ट डॉक्टर या प्रशिक्षित स्वस्थ्य कर्मी से परामर्श लेनी चाहिए ताकि ये पता लगाया जा सके की किसी अन्य सदस्य को जांच या दवाइयों की आवश्यकता तो नहीं है. इसके साथ ही नवजात शिशु को बीसीजी का टीका आवश्यक है.
एंटीबायोटिक दवाएं कर सकती हैं प्रतिरक्षा तंत्र को कमजोर: डॉ अल्का
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसन्धान संस्थान की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अलका तोमर ने बताया कि नए अध्ययन से पता चलता एंटीबायोटिक दवाएं प्रतिरक्षी तंत्र को कमजोर कर सकतीं हैं. सिफ़्लोप्रोक्सीन के खिलाफ ई कोलाई बैक्टीरिया रेजिसटेन्स पैदा कर चुका है. रेजिसटेन्स के दुष्परिणाम किसी भी उम्र में देखने को मिला सकते हैं. उन्होने ज़ोर देकर कहा कि उचित खान-पान, उचित व्यायाम एवं उचित मात्रा में नींद लेने से प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाया जा सकता है.
बिना मंजूरी बाजार में बिक रही हैं अनेक दवाएं: डॉ.ऋषीन्द्र वर्मा
आईवीआरआई के भूपू संयुक्त निदेशक डॉ.ऋषीन्द्र वर्मा ने स्वास्थ हित में एंटीबायोटिक प्रयोग सम्बन्धी अधिनियमों पर प्रकाश डाला और बताया कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कहा है कि एंटीबायोटिक का गलत इस्तेमाल मिसाइल की तरह खतरनाक है जबकि भारत में बिकने वाली 64 प्रतिशत एंटीबायोटिक दवाएं निश्चित मानकों के अनुसार नहीं हैं। यह रिसर्च क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी में की गई है. इसमें पाया गया कि 2007 से 2012 के बीच 118 प्रकार की विभिन्न एफडीसी एंटीबायोटिक भारतीय बाजार में बिकती हैं. इसमें 64 प्रतिशत ऐसी हैं जो सेंट्रल ड्रग्स स्टेंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन से मंजूर भी नहीं मिली है। इस प्रकार भारत में बिकने वाली यह दवाईयां पूरी तरह अवैध हैं.भारत के औषध एवं प्रसाधन अधिनियम, 1940 (Drugs and Cosmetics Act, 1940) के अनुसार कोई भी व्यक्ति या फर्म राज्य सरकार द्वारा जारी उपयुक्त लाइसेंस के बिना औषधियों का स्टाक, बिक्री या वितरण नहीं कर सकता।
पाँच करोड़ का बिल चुकाना पड़ता एक जीवन में अगर पेड़ ऑक्सीज़न का बिल भेज देते: प्रोफेसर डा सूर्यकांत
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेसपीरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डा सूर्यकांत ने वायुप्रदूषण की मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की चर्चा की. उन्होने बयाया कि एक मनुष्य दिन भरमें 350 लिटर ऑक्सीज़न का इस्तेमाल करता है जो हमें पेड़-पौधों से मुफ्त में मिल जाती है. उन्होने बताया किधूल, मिट्टी, एसिड के कण यह दो कारणों से खतरनाक है-कणों के विषैले अथवा कैंसर करने वाले प्रभाव हो सकते है. सूक्ष्म कण सीधे फेफड़ो तक पहुंच सकते है. उन्होने कहा कि वायुप्रदूषण से लड़ने के लिये प्रतिवर्ष 11 हजार लाख पेड़ लगाने की आवश्यकता है. जन्मदिन पर मोमबत्ती जलाने के बजाय पौधारोपण करें,शादी की सालगिरह पर पौधारोपण करें,सार्वजनिक परिवहन का ज्यादा प्रयोग, धूम्रपान निषेध आदि के द्वारा वायु कोप्रदूषित होने से बचाया जा सकता है.
वही जवाहर लाल नेहरू सेंटर ऑफ एडवांस सांटिफिक रिसर्च के पीएचडी विद्यार्थी आदित्य भट्टाचार्य ने बताया की मैरीन एंटेबीओटिक्स पर अनुसंधान चल रहे है. कुछ नई दवाओं का जिक्र करते हुये कहा की 50 S राइबोसोम को टार्गेट करने वाली लिनज़ोलिड,सेल वाल सेंथेसिस को रोकने वाली डालबेवेशिन जैसी नई एंटीबायोटिक्स पर कार्य प्रगति पर है. एंटीबायोटिक्स का ज्यादा और मनमाना प्रयोग शरीर के लिए काफी हानिकारक है. सीडीआरआई के निदेशक प्रो तपस कुंडू ने भी विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया. इस अवसर पर पोस्टर प्रतियोगिता में स्प्रिंग डेल कॉलेज कि बी टीम ने प्रथम स्थान, सेंट्रल अकेडेमी जंकीपुरन ने दूसरा स्थान प्राप्त किया एवं स्प्रिंग डेल कॉलेज कि ए टीम, सिटी मांटेसरी स्कूल महानगर एवं डीपीएस इन्दिरा नगर ने संयुक्त रूप से तीसरा स्थान प्राप्त किया. कार्यक्रम का संयोजन डा डीएस उपाध्याय एवं संचालन डा नीति कुमार ने किया.