अन्तर्राष्ट्रीय

रूसी विदेश मंत्री की आज पीएम मोदी से मुलाकात पर लगी दुनिया की निगाहें, यूक्रेन युद्ध और तेल खरीद पर हो सकती है बात

नई दिल्ली: यूक्रेन युद्ध (Ukraine war) के बीच रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergey Lavrov) गुरुवार को दिल्ली आ गए. रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि लावरोव आज शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) और विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) से मुलाकात करेंगे. भारत सरकार की तरफ से हालांकि इस मुलाकात के बारे में कुछ नहीं बताया गया है. लेकिन गुरुवार शाम को लावरोव के दिल्ली आने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने वेलकम करते हुए ट्वीट जरूर पोस्ट किया था. लावरोव की दो दिन की भारत यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस दुनिया भर के निशाने पर है. पश्चिमी देश भारत पर रूस से तेल खरीद (Oil deal) को लेकर लगातार दवाब बढ़ा रहे हैं.

तेल खरीद, एस-400 मिसाइल पर चर्चा की उम्मीद
रूसी विदेश मंत्री लावरोव चीन से अपना दौरा खत्म करके भारत आए हैं. यूक्रेन युद्ध के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा है. खबर के अनुसार, भारत में लावरोव की मुलाकात के दौरान एस-400 मिसाइल सिस्टम और अन्य सैनिक साजोसामान की वक्त पर डिलीवरी का मुद्दा अहम रहने की संभावना है. यूक्रेन युद्ध के हालात और वैश्विक घटनाक्रम पर भी चर्चा हो सकती है. खबर ये भी है कि रूस अमेरिकी पाबंदियों की धार कमजोर करने के लिए भारत को निर्यात के बदले रुपये या रूसी मुद्रा रूबल में पेमेंट की मांग कर सकता है. हाल के समय में भारत ने रूस से कच्चे तेल और सूरजमुखी के तेल के आयात को लेकर कई समझौते किए हैं. इन पर अमेरिका, ब्रिटेन ऑस्ट्रेलिया आदि देशों ने गहरी आपत्ति जताई है.

तेल खरीद पर भारत ने ब्रिटेन को सुनाया
भारत के रूस से तेल खरीद का मुद्दा गुरुवार को ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रस (Liz Truss) ने अपने भारतीय समकक्ष जयशंकर के सामने भी उठाया था. इस पर जयशंकर ने उन्हें खरी-खरी सुनाई थी. रिपोर्ट के मुताबिक, जयशंकर ने कहा था कि रूस से सबसे ज्यादा तेल और गैस तो यूरोपीय देश ही खरीदते हैं. यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भी इसमें इजाफा हुआ है. उन्होंने रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा था कि यूरोप ने फरवरी के मुकाबले मार्च में रूस से 15 फीसदी ज्यादा कच्चा तेल खरीदा है. जबकि भारत तो रूस से अपना 1 फीसदी कच्चा तेल ही लेता है. जब पूरी दुनिया में तेल के दाम बढ़ रहे हैं तो देशों के लिए यह स्वाभाविक है कि वे बाजार में अच्छी डील देखें.

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