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थोक महंगाई दर 21 महीने के निचले स्तर पर पहुंची, ईंधन और खाद्य पदार्थों में नरमी का असर

नई दिल्ली : सरकार को आज एक और बड़ी राहत मिली है. दरअसल थोक महंगाई दर गिरकर 21 महीने के निचले स्तरों पर पहुंच गई है. अक्टूबर में ही महंगाई दर 19 महीनों के बाद 10 प्रतिशत के स्तर से नीचे आई थी. आंकड़ों के अनुसार ईंधन और खाद्य पदार्थों की थोक कीमतों में कमी की वजह से ही थोक महंगाई दर में गिरावट देखने को मिली है.

इससे पहले नवंबर में 11 महीने के बाद खुदरा महंगाई दर 6 प्रतिशत से नीचे फिसली है. खुदरा महंगाई दर के लिए रिजर्व बैंक 2 से 6 प्रतिशत की लक्ष्य सीमा रखता है. ताजा आंकड़ों के बाद संभावना बन गई है कि रिजर्व बैंक पर प्रमुख दरें बढ़ाने का दबाव घट जाएगा.

आज जारी हुए आंकड़ों के अनुसार मैन्युफैक्चर्ड गुड्स, फ्यूल और खाने पीने के सामान की कीमतों में नरमी आने से थोक कीमतों पर आधारित महंगाई दर नवंबर में घटकर 21 महीने के निचले स्तर 5.85 प्रतिशत पर आ गई. नवंबर 2021 में डब्ल्यूपीआई 14.87 फीसदी थी.थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित मुद्रास्फीति 19 महीने तक दहाई अंकों में रहने के बाद अक्टूबर में घटकर 8.39 फीसदी हो गई थी.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने बुधवार को कहा, नवंबर 2022 में मुद्रास्फीति की दर में कमी आने की मुख्य वजह खाद्य पदार्थों, मूल धातुओं, कपड़ा, रसायन एवं रासायनिक उत्पाद, कागज एवं इससे बने उत्पादों के दामों में गिरावट आना है.

नवंबर 2022 से पहले महंगाई दर का निचला स्तर फरवरी 2021 में रहा था जब डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति 4.83 फीसदी पर थी. नवंबर में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 1.07 प्रतिशत रही, जो इससे पिछले महीने 8.33 प्रतिशत थी. समीक्षाधीन महीने में सब्जियों के दाम घटकर शून्य से नीचे 20.08 फीसदी पर आ गए, जो अक्टूबर में 17.61 फीसदी पर थे. यानि सब्जियों के दाम में तेज गिरावट देखने को मिली है.

ईंधन और बिजली में महंगाई दर नवंबर में 17.35 फीसदी रही, विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति 3.59 प्रतिशत पर थी. भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति बनाने में मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है. हाल में जारी आंकड़े बताते हैं कि खुदरा मुद्रास्फीति 11 महीनों में पहली बार, नवंबर 2022 में रिजर्व बैंक के छह फीसदी के संतोषजनक स्तर से नीचे रही है.

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