अद्धयात्मजीवनशैली

भाई दूज के दिन की जाती है यमराज और चित्रगुप्त की पूजा, भाई देते हैं बहनों को उपहार

जीवनशैली : दीपवाली बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। भाई दूज के दिन यमराज और चित्रगुप्त की पूजा होती है। इसी दिन बहन अपने भाई को अपने घर आमंत्रित करके भोजन कराने के बाद तिलक लगाकर खुश करती हैं।

इस बार चार दिन की है दीपावली : धनतेरस से शुरू, भाई दूज पर होगा समाप्त

इस दिन बहनें प्रात: स्नान कर, अपने ईष्ट देव और विष्णु एवं गणेशजी का व्रत-पूजन करें। फिर चावल के आटे से चौक तैयार करने के बाद इस चौक पर भाई को बैठाएं और उनके हाथों की पूजा करें। फिर भाई की हथेली पर चावल का घोल लगाएं, उसके ऊपर थोड़ा सा सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, सुपारी, मुद्रा आदि हाथों पर रखकर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ें। फिर हाथों में कलवा बांधे।

कहीं-कहीं पर इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं और फिर कलाइयों में कलावा बांधती हैं। इसके बाद माखन-मिश्री से भाई का मुंह मीठा करें। फिर भोजन कराएं। इस दिन बहुत से भाई अपनी बहनों के घर जाकर भोजन भी करते हैं और उन्हें कुछ उपहार भी भेंट करते हैं। अंत में संध्या के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर दीये का मुख दक्षिण दिशा की ओर करके रखें।

मान्यता है कि इस दिन बहनें आसमान में उड़ती हुई चील देखकर अपने भाइयों की लंबी आयु के लिए जो प्रार्थना करती हैं, वह पूर्ण हो जाती है और साथ ही वह अखंड सौभाग्यवती रहती हैं। इसके साथ ही इस दिन भाई और बहन यमुना नदी में स्नान कर इसके तट पर यम और यमुना का पूजन करते हैं जिससे अकाल मौत से छुटकारा मिलता है।

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