नई दिल्ली । दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर शनिवार को 205.33 मीटर के खतरे के निशान को छू गया। इससे पहले दिल्ली में यमुना पर बने पुराने रेलवे ब्रिज (ओआरबी) पर नदी के पानी का स्तर 205.92 मीटर था। इसको देखते हुए दिल्ली के सभी संबंधित जिलाधिकारियों और उनकी जिला सेक्टर समितियों, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग, दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, दिल्ली पुलिस और अन्य हितधारकों को हाई अलर्ट मोड पर रखा है। पुलिस कर्मियों के अलावा दिल्ली सरकार ने प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और स्थानांतरित करने के लिए सिविल डिफेन्स वालंटियर्स (सीडीवी) को तैनात किया है। सिविल डिफेन्स वालंटियर्स नदी के आसपास निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को जागरूक करने के लिए भी लगातार काम कर रहे हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में यमुना नदी के बढते जलस्तर पर कहा, “दिल्ली में यमुना का जलस्तर बढ़ गया है, सभी से मेरी अपील कि नदी के किनारों की तरफ जाने से बचें। यमुना के आस-पास रहने वाले लोगों के लिए हमने पर्याप्त बंदोबस्त कर रखे हैं। सरकार और प्रशासन का सहयोग करें। हम स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।”
इससे पहले 11.08.2022 को, हथिनी कुंड बैराज से 221781 क्यूसेक प्रति घंटे की भारी मात्रा में पानी छोड़ने के कारण, केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने एक एडवाइजरी जारी की थी जिसमें कहा गया था कि पुराने रेलवे ब्रिज पर यमुना नदी में जल स्तर ( ओआरबी) जल्द ही 205.65 मीटर के स्तर पर पहुंच जाएगा। हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से छोड़े जाने के बाद दिल्ली में पानी पहुंचने में लगभग 36 से 48 घंटे लगते हैं।
इस एडवाइजरी के मद्देनजर एक बैठक की गई थी जिसमें सभी संबंधित डीएम, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारी और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारी उपस्थित थे। उन्हें यमुना नदी में बढ़ते जल स्तर को देखते हुए किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया गया था । उन्हें यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था कि कोई भी व्यक्ति नदी के पास न जाए।
आवश्यकता पड़ने पर लोगों को प्रभावित क्षेत्र से निकालने और आश्रय, भोजन, पानी, दवा आदि जैसी सभी आवश्यक सुविधाएं देकर सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने का भी निर्देश दिया गया। दिल्ली, यूपी और हरियाणा के सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग को आपस में समन्वय के साथ काम करने को भी कहा गया था ताकि हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़ने के चरण से लेकर ओखला बैराज में गेट खोलने तक एक-दूसरे के साथ समन्वय स्थापित रहे जिससे नदी का पानी दिल्ली से सुचारू रूप से गुजर सके। साथ ही, डीएम (दक्षिण-पश्चिम) को नजफगढ़ ड्रेन में जल स्तर पर कड़ी नजर रखने और सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के साथ समन्वय में काम करने का निर्देश दिया गया था।
बढ़ते जल स्तर से दिल्ली में लगभग 36,746 लोगों के प्रभावित होने की आशंका है। सरकार पहले ही प्रभावित लोगों के लिए विशेष राहत शिविर लगा चुकी है। उत्तरी जिले में लगभग 4,449 की आबादी प्रभावित होने का अनुमान है, उत्तर पूर्व जिले में ऐसे लोगों की संख्या 6,600-8,200 के बीच है। इसी तरह मध्य और शाहदरा जिलों में ऐसी आबादी की संख्या क्रमश लगभग 6,670 और 608 है। पूर्व और दक्षिण पूर्व जिलों में यह संख्या क्रमश: 12,739 और 4,080 तक जाने की उम्मीद है। अब तक कुल 7,720 लोगों को निकाला गया है, जिनमें से 2095 लोग उत्तर पूर्व जिले में, 5000 पूर्वी जिले में और 625 दक्षिण पूर्व जिले में थे।
दिल्ली सरकार ने ‘मुनादी’ और बचाव कार्य के लिए 51 नावों को ड्यूटी पर तैनात किया है। दिल्ली के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत स्थिति पर कड़ी नजर रख रहे हैं और उन्होंने सभी संबंधित डीएम और उनकी सेक्टर समितियों को अलर्ट मोड पर रहने और आई एंड एफसी विभाग, पुलिस, डीजेबी, डीयूएसआईबी और अन्य हितधारकों के साथ समन्वय में प्रभावी ढंग से काम करने का निर्देश दिया है।