ज्ञानेंद्र शर्माटॉप न्यूज़फीचर्डस्तम्भ

यारी डीजल और पेट्रोल की

ज्ञानेन्द्र शर्मा

प्रसंगवश

स्तम्भ: पेट्रोल, डीजल और बिजली की दरों में सरकार द्वारा समय-समय पर की जाने वृद्धि विपक्ष की आलोचना और आंदोलनों का प्रमुख मुद्दा रहा है। जो भी दल विपक्ष में होता है, वह इस मूल्य वृद्धि पर सरकार को घेरता है। एक समय था जब आज की मंत्री और तब की भाजपा नेता स्मृति ईरानी और तमाम दूसरे भाजपा नेताओं ने कांग्रेस सरकार द्वारा पेट्रोल के मूल्यों में की गई वृद्धि के विरोध में गिरफ्तारी तक दी थी।

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तब भी जब कांग्रेस की केन्द्रीय सरकार के समय 2013 में पेट्रोल/ डीजल के दाम बढ़े तो तत्कालीन भाजपा नेता और आज के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसकी कड़ी आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि यह केन्द्र की सरकार की शासन चलाने की नाकामी का सबूत है। इसको लेकर जनता में जबर्दस्त आक्रोश है और अब मोदी के राज में अनगिनत बार पेट्रोल/ डीजल के दाम बढ़ाए जा चुके हैं। मूल्यों में इतनी बढ़ोतरी हुई कि पहले कभी नहीं हुई थी।

21 जून को लगातार 15-वें दिन पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाए गए जो एक रिकार्ड है। इन 15 दिनों में पेट्रोल में 7.97 रुपए और डीजल में 8.88 रु की बढ़ोत्तरी की गई। लेकिन विपक्ष चुप है क्योंकि कोरोना ने उसे चुप करा रखा है। सिर्फ सोनिया गाॅधी के एक विरोध-बयान को छोड़कर और कोई कुछ नहीं बोला।

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कोरोना के चलते आंदोलनों पर रोक लगी हुई है। उत्तर प्रदेश में 30 जून तक कानूनन किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन या राजनीतिक आंदोलन नहीं हो सकते। तो सरकार रोज दाम बढ़ा रही है लेकिन मजाल कि उसका कोई विरोध हो जाय। विपक्ष में रहकर मोदी ने तत्कालीन सरकार की इस मुद्दे पर जमकर आलोचना की थी और अब कोई उफ तक नहीं कर पा रहा है, आंदोलन को दूर।

फिर एक और त्रासदी भी इससे जुड़ी हुई है। एक तरफ लाखों प्रवासी मजदूर भाग भागकर अपने गांव आए तो उन्हें बढ़े हुए ईंधन दामों का तोहफा मिला। दूसरी तरफ पेशेवर और नौकरीपेशा लोगों की नौकरियाॅ जाने लगीं और जिन भाग्यवानों की नौकरियाॅ बच गई उनकी तनख्वाहें कटने लगीं।

इधर वेतन कटौती चल रही है और उधर पेट्रोल/ डीजल के दाम नियम से प्रतिदिन बढ़ने लगे। इसे कहते हैं दोहरी मार और कमरतोड़ हालात। इससे बड़ी त्रासदी यह है कि जो लोग पेट्रोल/ डीजल के मूल्य बढ़ने पर आफत मचा देते थे, आंदोलन करते थे, गिरफ्तारियाॅ देते थे, संसद में हंगामा करते थे, उनकी सरकार में अब यह सब हो रहा है।

और मजे की बात यह है कि डीजल और पेट्रोल के दाम लगभग बराबर हो गए। आज दिल्ली में पेट्रोल का मूल्य 79.76 रु प्रति लीटर था तो डीजल का 79.40 रु. यानी दाम में बस 36 पैसे प्रति लीटर का अंतर रहा। विशेषज्ञों का अनुमान है कि वर्तमान रुख जारी रहा तो कल यानी 24 जून को डीजल के दाम पेट्रोल से ज्यादा हो सकते हैं।

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तीन दिन में पेट्रोल के दाम 66 पैसे बढ़ गए हैं जो आज तक कभी नहीं हुआ। पिछली एक अप्रैल को दोनों के मूल्यों में 7.30 रु का अंतर था जो अब 15 दिन पहले रह गया 1.87 रु और अब आज रह गया 36 पैसे। डीजल के दाम कहीं ज्यादा हो गए तो परिवहन क्षेत्र में बडा़ भारी परिवर्तन देखने को मिल सकता है।

अभी डीजल कारों का दाम पेट्रोल कारों के दामों से ज्यादा है लेकिन डीजल सस्ता होने के कारण उसकी कारों की बिक्री ज्यादा होती रही है। लेकिन पिछले साल से जबसे डीजल के दामों में कुछ ज्यादा ही बढ़ोतरी होने लगी, उसकी मांग घटने लगी। मारुति उद्योग ने तो डीजल की गाड़ियाॅ बनाना ही बंद कर दिया। पिछले साल अप्रैल और अक्टूबर के बीच दोनों की बिक्री में भारी फर्क देखने को मिला।

इस अवधि में जहां पेट्रोल की कारों की कुल बिक्री हुई 10,79,274 वहीं डीजल कारें बिकीं कुल 5,23,876। अब यह अंतर और बढ़ने की पूरी संभावना पैदा हो गई है। डीजल वाहनों की बिक्री मूलतः उसके ईंधन का सस्ता होने के कारण ज्यादा होती रही है लेकिन अब यह कारण समाप्त होने जा रहा है। पहले पेट्रोल और डीजल के दामों में 25 से 30 प्रतिशत का फर्क होता था जो उसकी गाड़ियाॅ ज्यादा बिकने की मुख्य वजह थी।

हाॅ, लक्जरी वाहनों के मामले में डीजल की गाड़ियों का दबदबा अभी कायम रहेगा क्योंकि ज्यादतर लक्जरी गाड़ियाॅ डीजल सिगमेंट में ही बनती हैं। डीजल के वाहन चलने में बहुत आरामदायक नहीं होते। उनमें ज्यादा शोर और ज्यादा कम्पन होता है जो चालक को और बैठने वालों को तकलीफ देता है। जबकि पेट्रोल की गाड़ियाॅ आरामदायक होती हैं, उनमें झटके नहीं लगते और मेन्टेनेन्स की कीमत भी कम ही आती है।

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डीजल वाहनों की कीमत, उनका रजिस्ट्रेशन ज्यादा पैसे मांगता है। डीजल के वाहन एक से डेढ़ लाख तक ज्यादा महंगे होते हैं लेकिन डीजल का एक फायदा यह है कि उनका एवरेज कहीं बेहतर होता है।

तो डीजल के कम दाम और बेहतर एवरेज उसके आकर्षण के मुख्य बिन्दु होते हैं। लेकिन अब जबकि डीजल पेट्रोल के बराबर तो आ ही गया है, उसके आगे निकलने की होड़ में भी है, डीजल के वाहनों पर भारी मार पडऩे वाली है। उनकी बिक्री घटेगी और इसलिए उत्पादन भी। जल्दी ही नया सीन सामने आएगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व सूचना आयुक्त हैं।)

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