बक्सर : देश के वित्त और विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल चुके यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) को विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बिहार सरकार में बड़ी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। विपक्ष द्वारा राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने के बाद बिहार का बक्सर जिला भी चर्चा में आ गया है। दरअसल, अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में वित्त मंत्री रहते अपने कई नीतिगत फैसलों के लिए जाने जाने वाले यशवंत सिन्हा का परिवार बक्सर से जुड़ा हुआ है। बक्सर के पांडेयपटटी में उनका जन्म तो नहीं हुआ लेकिन, उनके पूर्वज बक्सर के ही मूल निवासी थे।
यशवंत सिन्हा के पूर्वज बक्सर पांडेयपटटी में रहते थे। उनके बाबा यहीं के मूल निवासी थे। उनके एक चाचा अवध बिहारी शरण बक्सर के चेयरमैन का पद भी सुशोभित कर चुके हैं। बाद में धीरे-धीरे उनका परिवार पटना में शिफ्ट हो गया। हालांकि, उसके बाद भी उनका लगाव बक्सर से कम नहीं हुआ। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष विद्यापति पांडेय कहते हैं, यशवंत सिन्हा के पिता विपिन बिहारी शरण का परिवार उस समय काफी प्रभावशाली परिवार हुआ करता था। उनके पिता चार भाई थे। उनमें कोई जज थे तो कोई एडवोकेट। उनके पिता के एक भाई और यशवंत सिन्हा के चाचा अवध बिहारी शरण बक्सर में रहते थे। यह बात और है कि अब उनका कुछ यहां नहीं रह गया है।
बक्सर कोर्ट में मुख्तार थे सिन्हा के चाचा
विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के चाचा अवध बिहारी शरण मुख्तार थे। तीन भाइयों के पटना शिफ्ट हो जाने के बाद भी वह यहीं रहते थे। पांडेय ने बताया कि वह काफी प्रभावशाली व्यक्ति थे। वह बक्सर के चेयरमैन के पद पर भी काफी दिनों तक विद्यमान थे। हालांकि, उनकी कोई संतान नहीं थी।
1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में आए थे यशवंत सिन्हा
यशवंत सिन्हा 1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए और अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहते हुए सेवा में 24 से अधिक वर्ष व्यतीत किए। बताया जाता है कि चार वर्षों तक उन्होंने सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट के रूप में सेवा की। बिहार सरकार के वित्त मंत्रालय में दो वर्षों तक अवर सचिव तथा उप सचिव रहने के बाद उन्होंने भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव के रूप में कार्य किया।
पूर्व पीएम चंद्रशेखर के साथ आए थे राजनीति में
भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष पांडेय कहते हैं, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के साथ वह राजनीति में आए थे। 1986 में उनको पार्टी का अखिल भारतीय महासचिव नियुक्त किया गया और 1988 में उन्हें राज्य सभा (भारतीय सांसद का ऊपरी सदन) का सदस्य चुना गया। चन्द्रशेखर के मंत्रिमंडल में नवंबर 1990 से जून 1991 तक वित्त मंत्री भी रहे। 1996 में वे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने और मार्च 1998 में उनको वित्त मंत्री नियुक्त किया गया। बाद में उन्होंने भाजपा भी छोड़ दी और तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए।