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संस्कृत शिक्षा को योगी सरकार ने दी संजीवनी, अब रोजगार से भी जुडेंगे छात्र; मिलेगा बढ़ावा

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने एवं इसे रोजगार से जोड़ने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इस दिशा में कई अहम फैसले लिए हैं. अधिकारी उसी के अनुरूप काम को रफ्तार दे रहे हैं. तय हुआ है कि संस्कृत शिक्षा अब उपेक्षित नहीं रहेगी. इसकी तरक्की में बाधा बनने वाली हर समस्या का निदान होगा. सरकार इसके लिए हर संभव उपाय करने को प्रतिबद्ध है.

माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद इसी साल से रोजगार परक कोर्स के रूप में पुरोहित, कर्मकांड, ज्योतिष एवं योग में डिप्लोमा शुरू करने जा रहा है. ये सभी कोर्स एक साल के होंगे. हाईस्कूल पास युवा इनमें एडमिशन के पात्र होंगे. इन कोर्सेज में रूचि लेने वाले संस्कृत विद्यालय प्रबंधकों को इसके लिए परिषद से मान्यता लेनी होगी. इस समय राज्य में एक हजार से ज्यादा संस्कृत विद्यालय उपलब्ध हैं.

माना जा रहा है कि इन कोर्स को करने के बाद युवा बिना नौकरी भी जीवन यापन कर सकते हैं. शरह से लेकर गांव तक में पुरोहितों की मांग है. कर्मकांड करवाने वालों की भी जरूरत महसूस की जा रही है. शहरों में यह दिक्कत हाल के दिनों में बढ़ी है. लोग नहीं मिल रहे हैं. अफसरों का मानना है कि जिस तरह से लोग सेहत के प्रति जागरूक हुए हैं, योग सिखाने का काम भी रोजगार का एक बेहतर माध्यम बनकर उभरा है. ज्योतिष के अपने अलग जलवे हैं. काम भी सम्मान भी और पैसा भी, सब कुछ उपलब्ध है.

सरकार इन कोर्सेज की ब्रांडिंग भी आने वाले दिनों में करेगी, जिससे युवा इन कोर्सेज की ओर आकर्षित हो सकें. अपनी इसी मुहिम को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करते हुए सरकार राज्य के अलग-अलग हिस्सों में 20 राजकीय संस्कृत विद्यालय शुरू करने जा रही है. इनमें कई विद्यालय आवासीय होंगे मतलब स्टूडेंट्स वहीं रहकर पढ़ाई कर सकेंगे. इस फैसले का लाभ भी मिलेगा. असल में संस्कृत शिक्षा एक अलग वातावरण की माँग करती है.

नए खुलने वाले विद्यालय इस पैमाने पर खरे उतरेंगे, ऐसी उम्मीद जताई जा रही है. जमीन चिह्नित करने के साथ ही बजट आदि की प्रक्रिया तेजी से चल रही है. अभी राज्य में दो राजकीय संस्कृत विद्यालय संचालित हैं. निजी क्षेत्र में संस्कृत विद्यालयों की संख्या एक हजार से ज्यादा है. इनमें इंटर तक की संस्कृत शिक्षा देने की व्यवस्था है.

परिषद ने नई शिक्षा नीति-2020 लागू कर दी गई है. इसके तहत कई बदलाव होने जा रहे हैं. अब 8वीं यानी प्रथमा का एग्जाम रेगुलर लिया जाएगा. अभी तक इसकी परीक्षा बोर्ड के माध्यम से होती रही है. अभी तक संस्कृत पढ़ने वाले स्टूडेंट्स 8वीं से लेकर 12वीं तक, हर साल बोर्ड एग्जाम देते थे. आगामी सत्र से व्यवस्था में बदलाव किया जा रहा है. अब 9वीं और 11वीं क्लास को भी बोर्ड परीक्षा से मुक्त किया जा रहा है. केवल 10 वीं यानी पूर्व मध्यमा तथा 12 वीं यानी उत्तर मध्यमा के एग्जाम बोर्ड से कराए जाएंगे. अब 8वीं, 9वीं और 11वीं की परीक्षाएं स्कूल अपने स्तर पर कराएंगे.

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