योगी ने हिंदी को लेकर विपक्ष पर कसा तंज
- अखिल भारतीय राज भाषा सम्मेलन करने में 75 वर्ष लग गए- सीएम
- अमृत महोत्सव वर्ष में यह आयोजन पूर्वजों और स्वाधीनता संग्राम सेनानियों को सच्ची श्रद्धांजलि- योगी
- पीएम मोदी ने भारत और भारतीयता को एक नई पहचान दिलाई – योगी
- आजादी के 75वें वर्ष से 100वें वर्ष तक का समय भारत का स्वर्ण काल होगा- शाह
वाराणसी, 13 नवम्बर 2021, (दस्तक टाइम्स): वाराणसी के दीनदयाल हस्तकला संकुल में शनिवार को अखिल भारतीय राज भाषा सम्मेलन की शुरुआत हुई। इसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और विशिष्ट अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल हुए।
इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी ने पूर्व की सरकारों पर तंज कसते हुए कहा कि हिंदी की उपेक्षा आप इसी से समझ सकते हैं कि इस सम्मेलन को आयोजित करने में भी आजादी के बाद 75 वर्ष लग गए। सीएम योगी ने अमृत महोत्सव वर्ष में इस आयोजन को पूर्वजों और स्वाधीनता संग्राम सेनानियों को सच्ची श्रद्धांजलि बताया। वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि भाषा जितनी सशक्त और समृद्ध होगी, उतनी ही संस्कृति व सभ्यता विस्तृत और सशक्त होगी। उन्होंने कहा कि आजादी के 75वें वर्ष से 100वें वर्ष तक का समय भारत का स्वर्ण काल होगा।
वाराणसी के दीनदयाल हस्तकला संकुल में शनिवार को अखिल भारतीय राज भाषा सम्मेलन की शुरूआत हुई। इस मौके पर योगी आदित्यनाथ ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का ज़िक्र करते हुए कहा कि अटल जी ने कभी संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच से हिंदी का गौरव बढ़ाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी पूरे देश को एक भारत, श्रेष्ठ भारत के रूप में दुनिया के सामने प्रस्तुत करने में सफल हुए है। मोदी जी वैश्विक मंच पर हिन्दी में ही बोलते हैं।
उन्होंने मोदी सरकार का ज़िक्र करते हुए कहा कि 7 वर्ष के अंदर आप सभी ने भारत की इस बदलती हुई तस्वीर को देखा है। वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ रही है। मुख्यमंत्री योगी ने बताया कि हिंदी के उत्थान के लिए उत्तर प्रदेश शासन लगातार प्रयास कर रहा है। हिंदी संस्थान के माध्यम से प्रदेश सरकार विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम प्रारंभ किए हैं। मुख्यमंत्री योगी ने बताया कि राम चरित मानस भगवान शिव की प्रेरणा से अवधि में रचा गया। जो जन-जन को अपने साथ जोड़ने में सहायक है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जो देश अपनी भाषा खो देता है, वह देश अपनी सभ्यता, संस्कृति और अपने मौलिक चिंतन को भी खो देता है। हिंदी और हमारी सभी स्थानीय भाषाओं के बीच कोई अंतर्विरोध नहीं है। उन्होंने कहा कि मुझे गुजराती से ज्यादा हिंदी भाषा पसंद है। हमें अपनी राजभाषा को मजबूत करने की जरूरत है। काशी ऐतिहासिक स्थान है। देश के इतिहास को बनारस से अलग कर नहीं लिखा जा रहा है। काशी भाषा के उद्भव व संशोधन का स्थान है। हम आज जो हिंदी बोल रहे हैं उसका जन्म भी यहीं हुआ है। भारतेंदु बाबू हरिश्चन्द्र को इस योगदान के लिए भुलाया नहीं जा सकता है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत पहली बार राजधानी से बाहर हो रहा है। यह नई शुरुआत है।