दस्तक-विशेषस्तम्भ

योगीजी की मदरसों पर इनायत !

के. विक्रम राव

स्तंभ: योगी सरकार ने मदरसों के आधुनिकीकरण हेतु करीब सात सौ करोड़ की धनराशि आवंटित की है। अपने सालाना बजट (विधानसभा में पेश : 26 मई 2022) में योगी ने यह निर्णय किया। ठीक एक दिन बाद गोसाईगंज (लखनऊ) के शिवलागांव के सुक्का मदीनतुलुब उलूम मदरसे के छात्र शाबाज शेरा तथा राजू अकरम दीवार फांद कर भागते हुये पकड़े गये। उस्ताद मौलवी रियाज ने दोनों को पीटा और जंजीर से बांध दिया। पुलिस ने छुड़ाया पर दोनों के पिताओं ने शिकायत दर्ज कराने से इंकार कर दिया।

यूपी मदरसा बोर्ड ने (13 अक्टूबर 2021) को तय किया कि कामिल तथा फाजिल परीक्षाओं में एनसीईआरटी के पाठयक्रम के मुताबिक गणित, विज्ञान, इतिहास और नागरिक शास्त्र को अब अनिवार्य रुप से पढ़ाया जायेगा। मदरसा बोर्ड के चेयरमेन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने बताया था कि मदरसों में दीनी शिक्षा के साथ अब आधुनिक शिक्षा देने पर जोर दिया जायेगा।

तनिक परखें कि गत वर्षों में मदरसों के कितने छात्र अर्थशास्त्री, चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट, साफ्टवेयर इंजिनियर अथवा डॉक्टर बने हैं? ये छात्र केवल मस्जिदों के ईमाम, मौलाना, शायर अथवा जमायते इस्लामी और तब्लीगी जमात के प्रचारक मात्र बने हैं। मदरसों के नियम के अनुसार उच्च शिक्षा प्राप्त करने की अवकाश—अवधि का वेतन नहीं दिया जाता था। मसलन मदरसा दारुल उलूम अली मियां के अध्यापक मोहम्मद मिराज मिराजुल हक ने याचिका दायर की थी, क्योंकि मदरसों के संचालन के लिये बने कानून में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिये वेतन अवकाश मान्य नहीं था। मोहम्मद मीराजुल ने अरबी—फारसी में पीएच.डी. करने के लिये छुट्टी की दरख्वास्त की थी।

कांग्रेस के शिक्षामंत्री रहे (अब समाजवादी पार्टी के राज्यसभा के प्रत्याशी) कपिल सिब्बल ने (15 जुलाई 2009) ने अपने मदरसा बोर्ड बिल में कहा कि विज्ञान, गणित कम्प्यूटर, अंग्रेजी आदि रोजगार—उन्मुखी पाठ्यक्रमों को मदरसों में पढ़ाया जाये। मगर सिब्बल के सुझाव का मजहर उलूम मदरसा (अमरोहा) के ताहिर आलम ने विरोध किया था। उनका मानना था कि मदरसों का लक्ष्य धार्मिक शिक्षा मात्र देना है। ऐसा ही मानना दारुल उलूम के उपकुलपति अब्दुल खालिक मद्रासी का भी है कि मदरसा शिक्षा में ऐसे सुधारों की जरुरत नहीं है। (15 जुलाई 2009)।

जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर इश्वरी प्रसाद ने (26 अप्रैल 2002 : दैनिक हिन्दुस्तान) ने अपने विश्लेषण में कहा था कि: ”मदरसों पर मूलत: तीन तरह के इल्जाम हैं। पहला, मदरसों की शिक्षा से हृदयहीन मानव तेयार होते हैं। इनमें शिक्षा का विकृत रुप ही छात्रों को दिया जाता है। ​सुनियोजित ढंग से कट्टरवाद की भावना भरी जाती कि छात्र किसी अन्य विषय के बारे में सोच भी नहीं सकता है। इन मदरसों के छात्र इस्लाम और जेहाद के सिवा कुछ नहीं सीख पाते हैं। इन्हें धर्म की जानकारी दी जाती हैं लेकिन जीवन के दूसरे उपयोगी ज्ञान से वंचित रखा जाता है। बच्चों को सिखाया जाता है कि सिर्फ इस्लाम के अनुयाइयों को जिंदा रहने का अधिकार है।”

हालांकि इन कट्टारवाद प्रबंधकों ने (जुलाई 2015 में) सोनिया—नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार से मदरसों की हालत सुधारने और उनके लिये पाठ्यक्रम और परीक्षाओं के मानक तय करने के लिये सेंट्रल मदरसा बोर्ड बनाने की कोशिश की, लेकिन उसे समर्थन नहीं मिल सका। इसी तरह शिक्षा के अधिकार कानून के तहत मदरसों को लाये जाने की संप्रग सरकार की कोशिशों का पुरजोर विरोध हुआ और अन्तत: सरकार को मदरसों और वैदिक पाठशालाओं जैसी संस्थाओं को इसके दायरे से बाहर रखना पड़ा।

मदरसों को मस्जिद से अलग रखा जाये। इससे मुक्त विचारों को बल मिलेगा मजहबी तालीम को उर्दू में देने से कई विकृतियों सर्जाती रही है। न्यायमूर्ति राजेन्द्र सच्चर समिति ने भी कहा भी था : ”शिक्षा के क्षेत्र में मुसलमान किस हद तक पिछड़ चुका है। मुसलमानों की स्नातक दर सबसे कम है और ड्रॉप—आउट रेट सबसे ज्यादा। पिछले चार दशकों में मुस्लिम और गैर—मुस्लिम कौमों के स्नातक दर का फासला बढ़ता जा रहा है और इसका सीधा प्रभाव न केवल मुस्लिम कौम पर होगा, बल्कि पूरे देश की आर्थिक—सामाजिक और कानून व्यवस्था पर भी होगा।”

गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने (4 फरवरी 2022) को समस्त राज्य—पोषित मदरसों को पूर्णतय स्कूलों में परिवर्तित करने का आदेश दिया। राज्य के भाजपाई मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने इस ऐतिहासिक निर्णय को बताया था । उत्तराखण्ड के राज्य मदरसा कल्याण समिति के अध्ययन सिब्ते नवी (30 दिसम्बर 2017) ने मदरसों में संस्कृत भी पढ़ाने की मांग की थी। योगी काबीना के पूर्व शिक्षा मंत्री श्रीकांत शर्मा की राय थी कि इसमें मदरसों में शिक्षा का स्तर सुधरेगा। यूपी मदरसा बोर्ड के सदस्य जिर्गामुद्दीन ने (8 अप्रैल 2021) ने भाजपा शासन के उस फैसले का स्वागत किया था कि सभी 1700 मदरसा कांउसिल आफ बोर्ड आफ स्कूल एजुकेशन में पंजीकृत हो ताकि छात्र केन्द्रीय विश्वविद्यालय में प्रवेश ले सकें। इससे मदरसों के छात्रों के समक्ष विकल्प विस्तृत हो जाते हैं।

मदरसों का गुणात्मक प्रशिक्षण अत्यावश्यक है। कई जानकार मुसलमानों की राय है कि मदरसों के छात्र (तालिबानियों की भांति) गैर—मुसलमान से घृणा करना, इन मूर्ति पूजकों का खात्मा करना, केवल इस्लामी हमला (जिहाद), काफिर का विरोध करना, गजवाये हिन्द (भारत को दारुल इस्लाम बनाना) ही सीखते है। सेक्युलर भारत में कौन जनवादी शासन ऐसे भारत—विरोधी अध्यापन को गवारा करेगा?

मदरसों में जो कुरान पढ़ायी जाती है। वह भी शंकास्पद बातों से आप्लवित है। यह सैय्यद हामिद मोहसिन, प्रोफेसर सैय्यद वकार अहमद, सलाम सेंटर तथा मौलाना वहीदुद्दीन खॉ द्वारा प्रस्तुत कुरान का इतिहास से उस पर ध्यान दें :

सूरा आयत 2:98 – अल्लाह गैर मुस्लिमों का शत्रु है ! सूरा आयत 3:85 -इस्लाम के अलावा कोई अन्य धर्म/मजहब स्वीकार नहीं है ! सूरा आयत 3:118- केवल मुसलमानों को ही अपना अंतरंग मित्र बनाओ ! सूरा आयत 3:28 और 9:23- गैर मुस्लिमों को दोस्त न बनाओ ! सूरा आयत 22:30- मूर्तियाँ गन्दगी हैं ! सूरा आयत 3:62,2:255,27:61और 35:3 – अल्लाह के अलावा कोई अन्य प्रभु पूज्य नहीं है ! सूरा आयत 21:98 – अल्लाह के सिवाय किसी और को पूजने वाले जहन्नुम का ईंधन हैं ! सूरा आयत 9:123 – काफिरों पर जुल्म करो ! सूरा आयत 4:56 – आयतों को इंकार करने वाले की खाल पकायेंगे ! सूरा आयत 8:69 – लूट का सब माल (स्त्रियों सहित) हलाल है ! सूरा आयत 32:22- इस्लाम छोड़ने वालों से बदला लो !

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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