पंचायत चुनाव जीत कर योगी प्रदेश के किसानों से नये कृषि कानून पर लगवाएंगे ‘मोहर
लखनऊ : एक तरफ सियासत में उलझे,लेकिन अपने आप को किसानों का मसीहा बताने वाले कुछ किसान मोदी सरकार द्वारा लाया गया नया कृषि कानून रद्द कराने को लेकर आंदोलनरत् हैं तो दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी को कई राज्यों में हुए पंचायत चुनाव में शानदार जीत हासिल करना काफी कुछ कहता है।
पंचायत चुनाव जिन्हें गांव और किसानों का चुनाव कहा जाता है, में शानदार जीत से उत्साहित मोदी सरकार ने नये कषि कानून को वापस लेने की मांग करने वाले आंदोलनकारी किसानों से दो टूक कह दिया है कि नये कृषि कानून की समीक्षा तो की जा सकती है, लेकिन यह वापस नहीं होगा। वहीं योगी सरकार ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव कराने का मन बना लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में 31 मार्च तक ग्राम पंचायत के चुनाव कराने को कहा है। योगी के 31 मार्च तक पंचायत चुनाव कराने के निर्देश के बाद से पंचायती राज विभाग चुनाव तैयारियों को लेकर सक्रिय हो गया है।
पंचायत चुनाव को लेकर योगी सरकार ने भले अब फैसला लिया हो,लेकिन इसकी सुगबुगाहट तब ही शुरू हो गई थी जब हाल ही में भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने वाराणसी दौरे के दौरान पंचायत चुनाव का जिक्र करते हुए कहा था कि जीतने में सक्षम लोग ही पंचायत चुनाव में प्रत्याशी बनेंगे। उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों को ऐसी महिलाओं की भी टीम बनाने को कहा जो पंचायत चुनाव दमदारी से लड़ सकें। बंसल ने कहा कि पंचायत चुनाव में पार्टी के पदाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों के परिवार व पत्नी को प्रत्याशी नहीं बनाया जाएगा। कार्यकर्ता पंचायत चुनाव की तैयारियों में अभी से जुट जाएं।
गौरतलब हो, प्रदेश में सभी ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 25 दिसंबर को समाप्त होते ही 26 दिसंबर से सभी ग्राम पंचायत भंग हो जाएंगी। इसके साथ ही नई ग्राम पंचायत के गठन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। पंचायत चुनाव कराने के लिए गांवों में मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम तेजी से चल रहा हैं उधर, निर्वाचन आयोग को भी ग्राम पंचायतों के भंग होने की तारीख की जानकारी दे दी गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नें विभागीय समीक्षा के दौरान पंचायत चुनाव कराये जाने की बात कही हैं। पंचायती राज विभाग की समीक्षा के दौरान उन्होंने अधिकारियों को 31 मार्च 2021 तक पंचायतों के चुनाव कराने का निर्देश दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार 31 मार्च तक पंचायत चुनाव करा लेने की तैयारी में जुटी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते दिनों अधिकारियों के साथ बैठक में पंचायतों के चुनाव कराने को लेकर निर्देश दिया। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद पंचायती राज विभाग में हलचल तेज हो गई है।
पंचायती राज विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण, चार जिलों में पंचायतों के पूर्ण परिसीमन और 49 जिलों में आंशिक परिसीमन की कार्यवाही चल रही है। इसके बाद त्रिस्तरीय पंचायतों का वार्ड निर्धारण और वार्डों का आरक्षण किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि अभी तक चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी नहीं हुई है। इसकी अधिसूचना के बाद ही ग्राम पंचायतों में नियमानुसार कार्यवाहक नियुक्त किए जाएंगे। प्रदेश के चार जिलों गोण्डा, मुरादाबाद, सम्भल और गौतमबुद्धनगर में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के वार्डों के परिसीमन का कार्यक्रम जारी कर दिया गया है।
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बहरहाल,यदि अन्य राज्यों की तरह से उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव के भी नतीजे भाजपा के पक्ष में आएंगे तो इससे नये कषि कानून की मुखालफत कर रहे किसान नेताओं की मुहिम कमजोर पड़ेगी। ज्ञातव्य हो कि पंजाब और हरियाणा के साथ-साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ किसानों को भी कुछ किसान यूनियनों ने भड़काकर आंदोलन में उतार दिया है। यह बात योगी को रास नहीं आ रही है। वह नहीं चाहते हैं कि उनकी सरकार की छवि किसान विरोधी बने। इस छवि को बचाने के लिए पंचायत चुनाव योगी सरकार के लिए महत्वपूर्ण कड़ी हो सकती है। वहीं 2022 में होने वाले विधान सभा चुनाव मंे भी भाजपा और भी बढ़े हुए मनोबल के साथ चुनाव मैदान में कूदेगी।
(यह लेखक के स्वतंत्र विचार हैं। )
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