अखिय क्यों धुंधली हुई दिल्ली, क्या है रेतीले तूफान का आतंक ?
दिल्ली-एनसीआर सहित लगभग पूरे उत्तर भारत पर पिछले कुछ दिनों से धूल की एक परत आसमान में छाई हुई है। जिसकी वजह से दिल्ली सहित एनसीआर में एक धुंध दिखाई दे रही है। और इसका सीधा असर सामान्य जन-जीवन पर पड़ रहा है। दिल्ली से लेकर चंडीगढ़ तक कई हवाई उड़ाने प्रभावित हुईं जबकि कई फ्लाइट्स भी कैंसिल की गईं। मकान निर्माण के काम को रोका गया। यही नहीं वातावरण से धूलकण को कम करने के लिए सरकार ने कृत्रिम बारिश का भी सहारा लिया।
अफगानिस्तान और ईरान से आई धूल भरी आंधी की तुलना मौसम विभाग ने आपातकाल से की। वैसे तो रेतीले तूफान की भविष्यवाणी विभाग ने करीब एक हफ्ते पहले कर दी थी। एक दर्जन से अधिक राज्यों के लिए अलर्ट भी जारी किया था। मौसम वैज्ञानिक चरण सिंह का कहना है कि यह रेतीला तूफान हर साल आता है लेकिन यह पहली बार है जब इतने बड़े पैमाने पर चेतावनी जारी की गई है।
क्यों आते हैं धूल भरे तूफान
मौसम वैज्ञानिक सिंह ने बताया कि धूल वाले तूफान आने के कई कारण होते हैं। जिसमें वातावरण में मौजूद कई वजहें मिलकर इसे आंधी-तूफान का रूप देती हैं। उन्होंने बताया कि जब अरब के रेगिस्तान में, उत्तर पश्चिमी क्षेत्र के सूखे सपाट मैदान में बहुत गर्मी पड़ती है तब वातावरण में कम दबाव का क्षेत्र बनता है। जिससे एक गुबार उठता है और यही गुबार रेतीले तूफान की शुरुआत होती है।
यह बवंडर के रूप में होता है और यह इतना तेज उठता है कि तेज आंधी का रूप ले लेता है। यह बवंडर जमीन से गर्म हवाओं के साथ उठता है और बादलों में पहुंच जाता है। सिंह बताते हैं कि बादलों में जाने के बाद यह रेतीली हवा नमी को सोखने लगती है और यह आसपास की हवा से भारी हो जाती है। यह देर तक वातावरण में बनी रहती है उसके बाद यह तेजी के साथ नीचे जमीन की ओर मुड़ती है।
कभी -कभी इस दबाव के साथ कुछ इलाकों में बारिश होने लगती है। लेकिन जब बारिश नहीं होती तब यह रेतीली हवा पूरे वातावरण को धूल से आच्छादित कर देती है। तेज हवाओं के साथ जमीन से टकराती है और चारों तरफ फैलने लगती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ये हवाएं इतनी तेज होती हैं कि बारिश वाले क्षेत्र से निकल कर सूखे इलाके में दाखिल हो जाती हैं। चूंकि पूरे वातावरण में धूल फैल चुकी होती है और हवा में नमी न होने की वजह से धीरे-धीरे बवंडर के रूप में उड़ती रहती है। यहीं से धूल भरे तूफान की शुरुआत होती है।
पिछले कुछ दिनों में दिल्ली सहित पूरे उत्तर भारत ने ऐसे नजारे देखे। कहीं कहीं इतनी तेज आंधी आई की कई लोगों को जान तक गंवानी पड़ी जबकि जानमाल का भी नुकसान हुआ।
यही नहीं हवा में घुले धूलकण से लोगों को सांस लेने में घुटन महसूस हो रही है। उम्रदराज लोग ही नहीं बच्चों के लिए यह मौसम घातक है। जो लोग स्वस्थ हैं, उन्हें भी धूलकण नुकसान पहुंचा रहे हैं।
इस मौसम का दूसरा नुकसान यह है कि धूल की परत के कारण धरती के गर्म होने के कारण उत्पन्न होने वाला विकिरण ऊपर तक नहीं उठ पा रही है। नतीजा यह है कि रात का तापमान ज्यादा गर्म है। हालांकि, दिन में धूल की परत के कारण सूरज की सीधी चुभन कम है किन्तु गर्मी का अहसास ज्यादा रहा है।
लेकिन अब धूल वाला तूफान शांत हो रहा है। बदलते वातावरण के बारे में सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्ट (सफर) के वैज्ञानिक गुफरान बेग ने बताया कि स्थिति सामान्य हो रही है। वातावरण में तेज गति वाली हवा ने प्रदूषित तत्व को छांटना शुरू कर दिया है।