नोएडा : लोकसभा इलेक्शन 2019: लोकसभा चुनाव-2019 के प्रथम चरण के मतदान यानी 11 अप्रैल से तकरीबन 40 घंटे पहले समाजवादी पार्टी (समाजवादी पार्टी) और बहुजन समाज पार्टी (बहुजन समाज पार्टी) गठबंधन को जोर का झटका लगा है। गौतमबुद्धनगर जिल के दिग्गज सपा नेता और पूर्व मंत्री नरेंद्र भाटी के छोटे भाई विजेंद्र सिंह भाटी सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं। बता दें कि वर्ष 2014 के आम चुनाव में नरेंद्र भाटी गौतमबुद्धनगर सीट से चुनाव लड़ चुके हैं और उन्होंने भाजपा उम्मीदवार महेश शर्मा को टक्कर दी थी और दूसरे स्थान पर रहे थे, जबकि बाकी उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई थी। मिली जानकारी के मुताबिक, मंगलवार को प्रचार के दौरान विजेंद्र सिंह भाटी भाजपा प्रत्याशी महेश शर्मा के मंच पर पहुंचे और वहां भाजपा में शामिल हो गए। बता दें कि बिजेंद्र भाटी जिला पंचायत गौतमबुद्ध नगर के चेयरमैन भी रह चुके हैं।
भाजपा ज्वाइन करने के बाद पूर्व जिला पंचायत चेयरमैन और पूर्व सपा नेता विजेंद्र भाटी ने मंच से अपने भाषण में कहा कि पूर्व मंत्री नरेंद्र भाटी और उनकी बेटे आशीष भाटी भी शीघ्र ही भाजपा में शामिल होंगे। गौरतलब है कि पिछले 30 साल से भाटी परिवार सपा का झंडा उठाए हुए हुए था। ऐसे में भाटी परिवार के भाजपा में जाने से जिले में सपा के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा हो जाएगा। यहां पर बता दें कि कुछ साल पहले आइएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित कराने और अवैध खनन कराने वालों से जुड़े रहने के आरोपों के चलते नरेंद्र भाटी चर्चा में आए थे। जब भी समाजवादी पार्टी की सरकार आती थी नरेंद्र भाटी का नोएडा में जबरदस्त रुतबा रहता था।
विधायक रहें या नहीं, लेकिन उनकी ताकत मंत्री से कम नहीं रहती थी। बता दें कि दादरी तहसील के बोड़ाकी गांव के रहने वाले किसान प्रेम सिंह के पुत्र नरेंद्र सिंह भाटी ने बैनामा लेखक के रूप में कैरियर शुरू किया था। पांच साल दादरी तहसील में बैनामा लेखक के रूप में काम किया। इसके बाद वर्ष 1982 में दादरी ब्लॉक प्रमुख बने। दूसरी बार भी वह ब्लॉक के प्रमुख रहे। दो बार ब्लॉक प्रमुख रहने के बाद उन्होंने अपना कार्य क्षेत्र सिकंदराबाद को चुना। जनता दल के टिकट पर वह यहां से 1990 और 1991 में यहां से विधायक रहे। 1996 में सपा के टिकट पर चुनाव जीतकर तीसरी बार भी सिकंदराबाद से विधायक बने। उसके बाद सपा से ही जुडे़ रहे हैं। 2009 और 2014 दोनों बार गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट से सपा ने उन्हें टिकट दिया, लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था।