पटना चारा घोटाला मामले में राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के भाग्य का फैसला ३० सितंबर को होना है, लालू को उम्मीद है कि मुलायम सिंह यादव की तरह उन्हें भी छुटकारा मिल लेकिन लालू का मामला मुलायम से अलग है लालू के खिलाफ पूरे सबूत है इसलिए उनका सजा से बच पाना मुश्किल नजर आ रहा है।
रांची में सीबीआई की विशेष अदालत चारा घोटाले के आरसी/२० ए/९६ केस में अपना फैसला ३० सितंबर को सुनाएगी. इस मामले में लालू प्रसाद यादव के अलावा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, जेडीयू सांसद जगदीश शर्मा समेत ४५ आरोपी हैं जिन पर चाईबासा कोषागार से ३७.७ करोड रुपये की अवैध निकासी का आरोप हैं।
इसी को देखते हुए पार्टी के नेता पार्टी के भविष्य को लेकर अपनी रणनीति बनाने में जुट गये हैं। खासकर २०१४ के चुनाव को लेकर पार्टी की चिन्ता है कि अगर लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले में सजा होती है तो उन परिस्थियों में पार्टी का क्या रुख होगा। फिलहाल संभावना जताई जा रही है कि लालू को जेल होने की दशा में पार्टी की कमान उनकी पत्नी राबड़ी देवी या वैशाली से सांसद और पूर्व मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह को दी जा सकती हैं। १९९७ में जब इसी चारा घोटाले के चलते वह पहली बार जेल जा रहे थे तब उन्होंने अपनी पत्नी को सीधे रसोई घर से निकाल कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया था। ये भी माना जा रहा है कि उनके नाम पर पार्टी में किसी को ऐतराज नहीं होगा। उधर लालू के छोटे बेटे तेजस्वी भी पार्टी संगठन में तेजी से सक्रिय हो रहे हैं।
लालू प्रसाद ने संगठन को लेकर पहले से ही तैयारी कर रखी हैं। उन्होंने राज्य के ३८ जिलों की कमान १५ महत्वपूर्ण नेताओं को सौंप दी हैं। मगर इन सबका मुखिया कौन हैं। इस सवाल पर सब ले देकर लालू और उनके परिवार का ही राग अलापते हैं। आरजेडी के नेताओ का कहना है कि पार्टी ने इस पैâसले के लिए पहले ही लालू प्रसाद जी को अधिकृत कर दिया हैं। वह जिसे चाहें पार्टी का मुखिया बनाएं। एक संभावना यह भी जताई जा रही है कि वरिष्ठ सांसद और पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जा सकता हैं। इसके दो सियासी फायदे होंगे। पहला राजपूत वोटरों में अच्छा संदेश जाएगा। दूसरा लालू पर जो परिवारवाद के आरोप लगते हैं, वह कुछ कुंद हो जाएंगे. मगर रघुवंश बाबू की राह की रुकावट बन सकते हैं, नीतीश को छोड़ हाल ही में पार्टी में आए महाराजगंज के सांसद प्रभुनाथ सिंह, हांलाकि यह तय है कि लालू किसी और पर भरोसा करने की बजाए राबड़ी देवी को ही अपनी कुर्सी सौंपेंगे।