अगर हनुमान जी के फैन हैं तो आपको जरूर जाननी चाहिए उनके बारे में ये 6 बातें
दुनिया चले न श्री राम के बिना, राम जी चले न हनुमान के बिना… जी हां, भगवान हनुमान को राम भक्त माना जाता है. वहीं शास्त्रों में सोने की तरह तेजस्वी और चट्टान जैसे मजबूत शरीर वाले, सारे गुणों के स्वामी, ज्ञानी, राम के परम भक्त जैसे श्री हनुमान की महिमा के कई पहलू उजागर हैं लेकिन कुछ ऐसी बातें भी हैं जिन्हें बहुत ही कम लोग ही जानते हैं. आइए यहां जानते हैं श्री हनुमान से जुड़ी रोचक और अनजानी बातों को..
रामायण लिखी थीं
ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी ने भी रामायण लिखी थीं. हालांकि श्री हनुमान के जरिए वाल्मीकी से पहले ही रामायण लिखी गई थी. हालांकि कहा तो यहां तक जाता है कि हनुमानजी की रामायण वाल्मीकिजी की रामायण से काफी अच्छी थी.
श्री कृष्ण का विराट स्वरूप
पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि हनुमान जी उन चार लोगों में से एक थे जिन्होंने महाभारत युद्ध से पहले श्री कृष्ण का विराट स्वरूप देखा था और श्रीमद्भागवत गीता का ज्ञान सुना था. श्री हनुमान अर्जुन, संजय और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक के अलावा यह सौभाग्य प्राप्त करने वाले बने थे.
जैन रामायण में हनुमान
जैन धर्म में रामायण मौजूद हैं. इस धर्म में रामायण को पौमाचरिता या पदमा की कथा कहा जाता है. यहां यह बता दें कि पदमा श्रीराम का ही जैन नाम हैं. इस रामायण में भी हनुमानजी का वर्णन आता है. इसमें विद्याधर यानी एक अलौकिक शक्ति के रूप में जैन रामायण में हनुमान जी का वर्णन किया गया है.
सात चिरंजीवियों में शामिल
ग्रंथों में ऐसे सात लोगों का वर्णन किया गया है जो कलियुग में भी जीवित हैं. इसके अलावा वो सतयुग तक जीवित ही रहेंगे. इन्हें चिरंजीवियों के तौर पर जाना जाता है. श्री हनुमान भी उन्हीं सात चिरंजीवियों में से एक है. हनुमान जी के अलावा भगवान परशुराम, अश्वत्थामा, कृपाचार्य, विश्वामित्र, विभीषण और राजा बलि चिरंजीवि कहे जाते हैं.
फल समझकर सूरज खाने चले गए
बचपन में एक बार हनुमान जी फल समझकर सूरज की ओर उसे खाने के लिए चले गए. वो सूरज के नजदीक पहुंचकर उसे अपने मुंह में समा लेने ही वाले थे कि सूर्य की रक्षा करने के लिए इंद्र देव ने अपने वज्र नामक अस्त्र से हनुमान जी पर वार कर दिया. इससे वो सीधे जमीन पर आकर गिर पड़े. इसके बाद से ही उनका जबड़ा विकृत हो गया.
अग्निदेव का वरदान
हनुमान जी को आग से कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता था क्योंकि उन्हें अग्निदेव से वरदान मिला हुआ था. इस वारदान के कारण ही हनुमान जी ने अपनी पूंछ पर लगी आग से पूरी लंका को ही जला डाला था.