अच्छी पहल : शिप्रा नदी गंदी करने पर 500 रुपए जुर्माना
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दौर। सफाई पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी शहर आसपास के गांवों की बराबरी नहीं कर पा रहा है। शहर से सिर्फ 15 किलोमीटर दूर बूढ़ीबरलाई गांव में स्वच्छता का ध्यान नहीं रखने वालों पर पंचायत ने जुर्माना लगा रखा है। गांव की सरहद में शिप्रा नदी के तीन किलोमीटर के तट के आसपास कोई खुले में शौच नहीं कर सकता है। ऐसा करते दिख गए तो 500 रुपए जुर्माना अदा करना पड़ता है। अब किनारे साफ रहने लगे हैं और गांव में भी जागरुकता बढ़ी है।
एबी रोड पर बसे पांच हजार की आबादी वाले इस गांव से लगे पुराने टोल टैक्स नाके के पास रोज शाम के समय ट्रक खड़े हो जाते हैं और चालक ढाबों पर रुकते हैं। सुबह वे शौच के लिए नदी किनारे जाते हैं। ग्रामीण भी कई बार नदी को गंदा करते हैं। नर्मदा-शिप्रा संगम के बाद से नदी में सालभर पानी रहता है।
पंचायत ने किनारों को साफ रखने के लिए सबसे पहले खुले में शौच पर प्रतिबंध लगाया। गली-नुक्कड़ पर जुर्माने के होर्डिंग टांगे गए और ढाबे वालों को हिदायत देकर कहा कि यदि चालकों ने किनारों पर गंदगी फैलाई तो इसका हर्जाना उनसे वसूला जाएगा। महीने भर पहले दिखाई गई सख्ती का असर ये रहा कि अब किनारे साफ रहने लगे हैं।
किनारों पर तैनात रहते हैं कर्मचारी
पंचायत ने नदी किनारों पर निगरानी रखने के लिए चौकीदार भी रखे हैं, जो सुबह और शाम के समय किनारे पर चहलकदमी करते हैं। एक दल महिला कर्मचारियों का भी है। पंचायत ने किनारों पर 5 सार्वजनिक शौचालय भी बनाए हैं। उसका कनेक्शन नदी में नहीं दिया गया, बल्कि सेफ्टिक टैंक बनाए गए हैं। जो भी लोग नदी किनारे आते हैं, उन्हें शौचालय की जानकारी दी जाती है।
20 रुपए में उठता घर-घर से कचरा
गांव साफ रखने के लिए पंचायत ने डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन भी शुरू कर दिया है। 20 रुपए में पंचायत के कर्मचारी घरों से कचरा उठाकर ले जाते हैं। इसके लिए पंचायत ने एक छोटा वाहन भी खरीदा है। सफाई को लेकर अब ग्रामीण भी जागरुक रहने लगे हैं। वे अब सड़कों पर कचरा नहीं फेंकते। गांव के सरपंच राजा पटेल बताते हैं कि खुले में शौच करने पर पांच सौ रुपए जुर्माने का फैसला ठीक है। अगले साल उज्जैन में सिंहस्थ मेला लगने वाला है। हमारी भी कोशिश है कि शिप्रा नदी साफ रहे।