अन्तर्राष्ट्रीय

अदालत ने ट्रंप के यात्रा प्रतिबंध को बहाल करने से किया इंकार

ट्रंप प्रशासन ने 27 जनवरी को जारी कार्यकारी आदेश के पक्ष में राष्ट्रीय सुरक्षा चिंता से संबंधित कोई ठोस प्रमाण नहीं दे पाया है।

वाशिंगटन। अमेरिकी अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सात मुस्लिम बहुल देशों के लोगों के अमेरिका आने पर लगाए गए अस्थायी प्रतिबंध को बहाल करने से इंकार कर दिया। संघीय अदालत ने गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति को झटका देते हुए डिस्ट्रिक्ट कोर्ट द्वारा आदेश पर लगाए गए निलंबन को बरकरार रखा है।

अदालत ने कहा कि ट्रंप प्रशासन अपने प्रतिबंध को न्यायसंगत नहीं ठहरा सका है। ट्रंप प्रशासन ने 27 जनवरी को जारी कार्यकारी आदेश के पक्ष में राष्ट्रीय सुरक्षा चिंता से संबंधित कोई ठोस प्रमाण नहीं दे पाया है। अदालत द्वारा 29 पृष्ठों में फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने ट्वीट किया, ‘अदालत में हमारे देश की सुरक्षा खतरे में है।’ उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि उनका प्रशासन मामला जीतेगा। उन्होंने अदालत के फैसले को राजनीतिक कहकर खारिज किया।

दूसरी तरफ ट्रंप के राजनीतिक विरोधियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है। भारतीय-अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल ने कहा, ‘संविधान की जीत हुई है। यह लोकतंत्र और हमारे देश व दुनिया के परिवारों की जीत है।’

वाशिंगटन और मिन्नेसोटा स्टेट ने यात्रा प्रतिबंध आदेश को चुनौती दी है। आदेश जारी होने के बाद बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे। अमेरिका और विदेश के हवाई अड्डों पर अफरातफरी मच गई थी। दोनों स्टेट ने यात्रा प्रतिबंध को संविधान में दी गई धार्मिक भेदभाव से सुरक्षा का उल्लंघन बताया है।

अदालत ने वर्तमान में इन दावों पर विचार करने से मना कर दिया है। लेकिन अदालत ने सरकार पर करारा प्रहार किया है। अदालत ने कहा है कि प्रतिबंध प्रभावित सात देशों के किसी व्यक्ति ने अमेरिका पर आतंकवादी हमला करने की योजना बनाई है यह दर्शाने में सरकार विफल रही है। नौंवी सर्किट अदालत ने अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज जेम्स रॉबर्ट के तीन फरवरी के फैसले को बहाल रखा है।

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