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अनिल अंबानी को महज 500 करोड़ रुपये के कर्ज को न चुकाने को लेकर जेल जाने की नौबत

कभी फॉर्च्यून की अमीरों की सूची में आठवें पायदान पर रहे दिग्गज कारोबारी अनिल अंबानी आज भयंकर वित्तीय संकट में फंस गए हैं। कभी हजारों करोड़ में खेलने वाले इस कारोबारी की आज हालत यह है कि
आ चुकी है।

  • सुप्रीम कोर्ट ने चार सप्ताह के भीतर एरिक्सन का बकाया चुकाने का दिया आदेश
  • बकाया भुगतान न करने पर अनिल अंबानी को तीन महीने के लिए जाना पड़ेगा जेल
  • कोर्ट ने 20 फरवरी को अपने फैसले में कंपनी के खिलाफ दिया है आदेश
  • एरिक्सन ने आरकॉम से बकाया न मिलने पर खटखटाया था कोर्ट का दरवाजा

नई दिल्ली : साल 2008 में फोर्ब्स मैग्जीन की दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में अनिल अंबानी आठवें पायदान पर थे, लेकिन आज 450 करोड़ रुपये की बकाया रकम न चुकाने के कारण जेल जाने की नौबत आ गई है। किसी कारोबारी और उसके कारोबार के डूबने की यह एक बेहद असाधारण कहानी है, जिसमें उनके बडे़ भाई और एशिया के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी की भी बड़ी भूमिका है। पिछले कई सालों से अपनी कंपनी के कर्जदाताओं की चेतावनियों और मुकदमों से जूझ रहे अनिल अंबानी के बुरे दिनों की शायद शुरुआत हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने 20 फरवरी को अपने फैसले में साफ कर दिया है कि अगर वह एरिक्सन का बकाया चार सप्ताह के अंदर चुकाने में नाकाम रहते हैं, तो उन्हें तीन महीने के लिए जेल जाना पड़ेगा।

अंबानी के समूह ने हालांकि कहा है कि वह कोर्ट के आदेश का पालन करेगा और तय समय-सीमा के भीतर एरिक्सन की बकाया रकम का भुगतान कर देगा। भारत के अतिप्रतिस्पर्धी दूरसंचार बाजार में अनिल अंबानी की कंपनी को तगड़ा घाटा झेलना पड़ा है। कभी इस क्षेत्र का चमकता सितारा रही टेलिकॉम सेवा प्रदाता कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) कर्ज के जाल में इस कदर डूबी कि फिर इससे उबर न सकी। और आज कंपनी के मुखिया को जेल जाने की नौबत आ चुकी है। आइए, विस्तार से जानते हैं उनका फर्श से अर्श तक का सफर। RCom धीरूभाई अंबानी के छोटे बेटे अनिल अंबानी के कारोबार का हिस्सा है, जिन्होंने 2006 में बड़े भाई मुकेश अंबानी से कंपनियों का बंटवारा किया था।

रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक धीरूभाई अंबानी भारतीय शेयर संस्कृति के प्रतीक थे। 2002 में उनका निधन हुआ तो उस वक्त रिलायंस के करीब 20 लाख शेयर होल्डर्स थे। यह किसी भारतीय कंपनी का सबसे बड़ा निवेश आधार था। 1977 में जब यह शेयर बाजार में सूचीबद्ध हुआ तो हजारों छोटे निवेशक इसके प्रति आकर्षित हुए। अब तक बाजार में सरकारी वित्तीय संस्थानों का ही दबदबा था। कंपनी की सालाना शेयरहोल्डर्स मीटिंग में इतने लोग आते थे कि इसका आयोजन फुटबॉल स्टेडियम में होता था। प्राइस वॉर, भारी कर्ज और मुनाफे में कमी ने भारतीय टेलिकॉम सेक्टर को जकड़ लिया। अनिल अंबानी की कंपनी RCom भी इस दबाव को झेल नहीं पाई। मई 2018 में NCLT ने स्वीडिश कंपनी एरिक्शन की ओर से RCom के खिलाफ दायर तीन इन्सॉलवंसी पिटिशन को स्वीकार किया, जिसने 1,100 करोड़ रुपये बकाये की मांग की थी। इन्सॉलवंसी ट्राइब्यूनल ने RCom के साथ-साथ इसकी दो अन्य इकाइयों RTL और रिलायंस इन्फ्राटेल को चलान के लिए तीन अलग रेजॉलुशन प्रफेशनल्स नियुक्त किए। आरकॉम को भारी कर्ज, गिरते राजस्व और बढ़ते घाटे की वजह से 2017 के अंत में वायरलेस कारोबार समेटना पड़ा।

RCom की दुर्दशा अनिल अंबानी के ग्रुप में बड़ी गिरावट का एक हिस्सा है। 2006 में बड़े भाई के साथ पिता के कारोबार बंटवारे के बाद से अनिल अंबानी से जैसे सफलता रूठ ही गई। आरकॉम डूबने के पीछे कई नाकाम डील भी बड़ी वजह रहीं। कंपनी की साल 2010 में जीटीएल इन्फ्रा से 50,000 रुपये की डील खटाई में पड़ गई। लेकिन फिर भी अंबानी ने 3जी, अंडर-सी केबल और नेटवर्क के विस्तार के लिए निवेश जारी रखा। इसके बाद साल 2017 में कंपनी का एयरसेल के साथ विलय का सौदा भी नाकाम रहा। कंपनी की कनाडा की इन्फ्रा कंपनी ब्रुकफील्ड के साथ टावर सेल डील भी असफल रही। इसके बाद कंपनी ने 2जी और 3जी से नेटवर्क से बाहर निकलने की घोषणा कर दी, जिससे उसे 75 फीसदी (लगभग 8 करोड़) से अधिक ग्राहकों से हाथ धोना पड़ा। फोर्ब्स की सूची के मुताबिक, 2007 में अनिल अंबानी के पास 45 अरब डॉलर की संपत्ति थी। उनकी सबसे बड़ी संपत्ति रिलायंस कम्युनिकेशंस में 66 फीसदी हिस्सेदारी थी। बड़े भाई मुकेश का नेटवर्थ 49 अरब डॉलर था। लेकिन, 2018 आते-आते दोनों की संपत्ति में बड़ा अंतर आ चुका था। सबसे अमीर भारतीयों की सूची में मुकेश अंबानी 47 अरब डॉलर के साथ टॉप पर थे तो अनिल अंबानी 2.44 अरब डॉलर के साथ 66वें स्थान तक फिसल गए।

समूह की कंपनियों में भी यही ट्रेंड दिखा। ब्लूमबर्ग के मुताबिक, बंटवारे के बाद 10 साल में मुकेश की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) का कंपाउंड ऐनुअल ग्रोथ रेट (CAGRs) 11.2% (सेल्स), 9.4% (प्रॉफिट) और 17.8 फीसदी (रिटर्न) है, जबकि अनिल के समूह के लिए यही दरें क्रमश: 9.4%, -12.6% और -1.7% है। 2017 में RCom ने ऐसेट बेचने के साथ डेट रेजॉलुशन प्लान की घोषणा की थी। यह एक दशक पुराने मार्केट लीडर का अर्श से फर्श तक गिरना था। 2017 में RCom 17 पर्सेंट मार्केट शेयर के साथ टेलिकॉम सेक्टर की दूसरी बड़ी कंपनी थी। 2016 में बाजार में इसकी हिस्सेदारी 10 फीसदी से कम रह गई थी और यह टॉप कंपनियों में कहीं नहीं थी। बाजार में हिस्सेदारी कम होने के साथ इसका कर्ज बढ़ता गया। 2009-10 में 25 हजार करोड़ रुपये का कर्ज अब बढ़कर 45 हजार करोड़ रुपये का हो गया। अनिल अंबानी की कंपनियों का बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) अब महज 4 अरब डॉलर से कम है, जबकि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिडेट का बाजार पूंजीकरण 98.7 अरब डॉलर है।

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