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अनुच्छेद 35A पर अलगाववादी नेताओं ने बंद का किया आह्वान, 14 साल बाद BSF की तैनाती

बंद से पहले श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग के लगातार बंद रहने के कारण ईंधन भंडार कम होने का हवाला देते हुए जम्मू कश्मीर प्रशासन ने शनिवार को पेट्रोल-डीजल की सीमित आपूर्ति करने का आदेश दिया, जबकि समूचे कश्मीर में पेट्रोल पंपों पर लोगों की लंबी कतारें दिखीं।

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 35A पर सोमवार को होने वाली सुनवाई को लेकर जम्मू कश्मीर में अलगाववादी नेताओं ने रविवार को बंद का आह्वान किया है। इसके साथ ही पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति व्याप्त है। घाटी में तनाव और बंद के दौरान किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचने के लिए भारी संख्या में जवानों की तैनाती की गई है। पूरे श्रीनगर में धारा 144 लागू कर दी गई है और कई इलाकों में इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया गया है। हालांकि, गृह मंत्रालय ने अतिरिक्त बलों की तैनाती को चुनाव पूर्व तैयारी से संबद्ध एक नियमित अभ्यास बताया है।

35-ए के तहत जम्मू कश्मीर के निवासियों को विशेष अधिकार मिले हुए हैं और अलगाववादी नेता नहीं चाहते कि यह धारा हटाई जाए। यही कारण है कि उन्होंने रविवार को घाटी में बंद का आह्वान किया है। घाटी में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी होने के बावजूद तनाव व्याप्त है। अलगाववादियों के संगठन ‘ज्वाइंट रेजिस्टेंस लीडरशिप’ (JRL) ने रविवार को घाटी में बंद रखने का आह्वान किया है। JRL ने कहा, ‘मनमाने ढंग से की गई गिरफ्तारियों, रात में छापेमारी, राज्य में दमन, हत्या और सेंसरशिप के कारण लोगों के बीच असुरक्षा और अनुच्छेद 35-ए के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ के विरोध में 24 फरवरी (रविवार) को हड़ताल की जायेगी।’ इस बीच सोपोर में पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता अब्दुल गनी वकील की गाड़ी को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया, हालांकि गनी वहां से बच निकले।

बंद से पहले प्रदेश के प्रशासन ने ईंधन और जरूरत के सामान की आपूर्ति का आदेश दिया है। शनिवार को पूरे घाटी में पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारें दिखी। घबराए लोगों ने वाहनों में ईंधन और जरूरी सामान का भंडारण शुरू कर दिया है। साथ ही सरकार ने बड़ी संख्या में अलगाववादी नेताओं के खिलाफ अभियान चलाया है। जानकारी के मुातबिक 150 से अधिक अलगाववादियों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। पुलिस ने इसे नियमित प्रक्रिया करार देते हुए कहा कि कुछ नेताओं और संभावित पत्थरबाजों को हिरासत में लिया गया है। वहीं, दर्जनभर से ज्यादा अलगवावादियों को नजरबंद कर दिया गया है। हिरासत में लिए गए लोगों में जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर संगठन के लोग शामिल हैं। इस संगठन के मुखिया अब्दुल हमीद फयाज को भी हिरासत में लिया गया है। संविधान के अनुच्छेद 35-ए पर उच्चतम न्यायालय में होने वाली सुनवाई से पहले यह कार्रवाई की गई है।

इसके अलावा बंद को देखते हुए श्रीनगर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज ने अपने संकाय सदस्यों की सर्दियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं और उन्हें सोमवार को अपने काम पर आने को कहा है। पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों की शहादत के बाद केंद्र सरकार ने श्रीनगर में 14 साल बाद सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को तैनात किया है। अधिकारियों ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा तैनात की गई अर्द्धसैनिक बलों की 100 कंपनियों में 45 कंपनियां CRPF से है, जबकि BSF से 35 और SSB तथा ITBP से 10-10 कंपनियां हैं। अधिकारियों ने बताया कि 14 साल के बाद घाटी में BSF की तैनाती की गई है। इससे पहले 2016 में फैली अशांति के वक्त अस्थायी तौर पर BSF को एक हफ्ते के लिए कश्मीर में तैनात किया गया था, हालांकि इस तैनाती के फैसले को तुरंत वापस ले लिया गया था। अधिकारियों ने बताया कि श्रीनगर में 4 और बडगाम जिले में 1 जगह BSF के जवानों को तैनात किया गया है। इस कदम का मकसद जम्मू कश्मीर में कानून-व्यवस्था दुरुस्त करना और शांति बनाए रखना है। उन्होंने कहा, ‘बीएसएफ आईटीबीपी की कंपनियों के साथ मिलकर कश्मीर क्षेत्र में तैनात CRPF की कंपनियों से स्थिर गार्ड ड्यूटी संभालेगी।’

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