नई दिल्ली : जय शाह मानहानि केस में आज सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि मीडिया को और अधिक जिम्मेदार होने की आवश्यकता है।मीडिया की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए दीपक मिश्रा ने कहा, हम प्रेस की आवाज को नहीं दबा रहे हैं, लेकिन कभी-कभी पत्रकार कुछ ऐसी बातें लिखते हैं जो पूर्ण रूप से अदालत की अवमानना होती है।
वेबसाइट ने ‘गोल्डन टच ऑफ जय अमित शाह’ नाम से एक आलेख प्रकाशित किया था, जिसमें जय शाह की कंपनी के टर्नओवर में अप्रत्याशित बढ़ोतरी का उल्लेख किया गया था। यह रोक मीडिया के सभी माध्यमों में लगाई गई थी। न्यायालय ने इस संबंध में साक्षात्कार, टीवी बहस समेत अन्य सभी संभावित माध्यमों पर रोक लगाई थी। सीजेआई दीपक मिश्रा ने कहा कि कुछ उच्च पदों पर बैठे पत्रकार कुछ भी लिख सकते हैं, क्या यह वाकई पत्रकारिता है उन्होंने कहा, मैं हमेशा से ही प्रेस की आजादी का पक्षधर रहा हूं, लेकिन किसी के बारे में कुछ भी बोल देना और कुछ भी लिख देना यह गलत है, इसकी भी एक सीमा होती है। गुरूवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत से समाचार पोर्टल और पत्रकार के खिलाफ जय शाह मानहानि मामले में 12 अप्रैल तक आगे की सुनवाई नहीं करने को कहा है। इसके साथ ही जय शाह और अन्य से पत्रकार की याचिका पर दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है।
गौरतलब है कि कुछ समय पहले एक न्यूज वेबसाइट ने दावा किया था कि एनडीए की सत्ता में आने के बाद ही अमित शाह के बेटे जय शाह की कंपनी का कारोबार 16 हज़ार गुना बढ़ गया था। वेबसाइट के पत्रकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि महज एक साल के भीतर ही जय शाह की कंपनी की आय 50 हज़ार रुपये से बढ़कर 80 करोड़ रुपये हो गई। मामला सामने के आने बाद जय शाह ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए वेबसाइट के पत्रकार के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। जय शाह के कोर्ट में मामला दर्ज कराने के बाद वेबसाइट के पत्रकार ने गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। पत्रकार ने याचिका में शाह द्वारा दाखिल आपराधिक मानहानि केस को रद्द करने की मांग की थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। न्यायालय ने 12 अक्टूबर 2017 को जय शाह की याचिका मंजूर करते हुए इस संबंध में एक अन्य आदेश दिया था, जिसके तहत ‘न्यूज पोर्टल’, उसके संपादक और आलेख के लेखक को जय शाह की कम अवधि में बेशुमार कमाई की कहानी को किसी भी तरह आगे बढ़ाने पर रोक लगाई गई थी।