व्यापार

अब किसानों को रूला रहा है प्याज

mandi-onion-tears-were-in-the-hunt-5666d6f22f4af_lप्याज का ज्यादा उत्पादन अब किसानों के लिए संकट का कारण बन रहा है। लगभग एक माह पहले जहां प्याज की बढ़ती कीमतों ने आम नागरिकों की आंखों में आंसू ला दिए थे वहीं अब यह किसानों के लिए तकलीफदेह बन रही है। इसकी वजह है ज्यादा उत्पादन और अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात के लिए न्यूनतम शुल्क का बहुत ज्यादा होना। 
 
नई फसल आने से नासिक की मंडियों समेत सभी मंडियां पूरी तरह प्याज से भरी हुईं हैं। प्याज उत्पादक अपने उत्पादन को 8-10 रुपए प्रति किलो तक बेचने को मजबूर हैं। नासिक के प्याज के एक थोक व्यापारी का कहना है कि प्याज की आपूर्ति इस साल 80 फीसदी से भी ज्यादा हो गई है। 
 
पिछले साल केवल 700-800 ट्रक रोजाना आते थे अब 1,400-1,500 ट्रक हर दिन बाजार में आ रहे हैं। ज्यादा आपूर्ति होने से प्याज बाजार में भर गई है और किसानों को नुकसान हो रहा है। थोक व्यापारियों के अनुसार भारत हर साल लगभग 2,000 करोड़ रुपए की प्याज का निर्यात करता है। 
 
महाराष्ट्र के एक किसान की शिकायत है कि हमें प्याज की पर्याप्त कीमत नहीं मिल रही है। हमें नुकसान हो रहा है। हमें प्रति किलो 7-8 रुपए ही मिल रहे हैं। लोकसभा में भी यह मामला उठा है। शिव सेना के हेमन्त गोडसे ने तर्क दिया है कि अगले साल मार्च तक 80 लाख टन प्याज के उत्पादन का अनुमान है जबकि घरेलू खपत सिर्फ 40 लाख टन रहेगी। 
 
 
सरकार ने इस साल अगस्त में प्याज निर्यात मूल्य (एमईपी) बढ़ाकर 700 डॉलर प्रति टन किया है जिसके चलते सितबर से प्याज का निर्यात नहीं हुआ है। भारत ने इस साल मई से अगस्त के दौरान 4,59,097 टन प्याज का निर्यात किया है। किसानों ने कहा कि प्याज की एमईपी 300 डॉलर से अधिक नहीं होनी चाहिए ताकि अन्य देश भी हमारी प्याज खरीद सकें। जब चीन और पाकिस्तान से उन्हें 300 डॉलर पर प्याज मिलेगी तो हमसे कौन खरीदेगा। 

 

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