अब नए उद्यमियों को संवार रहे आईटी दिग्गज
नई दिल्लीः जिन हाथों ने भारत के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कारोबार की बुनियाद रखी और उसे 15,000 करोड़ डॉलर तक पहुंचाया, वे अब भी मैदान में डटे हुए हैं। यह बात अलग है कि अब वे आईटी की कमान नहीं संभाल रहे हैं बल्कि रास्ता दिखाकर, तजुर्बे साझा कर और निवेश के जरिये इस उद्योग में योगदान कर रहे हैं। आईटी के मैदान में भारत के झंडे गाडऩे वाली पहली पीढ़ी के दर्जन भर से भी ज्यादा उद्यमी निवेश कार्यों में लगे हुए हैं और देश में कई छोटे कारोबारों को बुनियादी जरूरतें मुहैया कराने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। रमण रॉय (जेनपेक्ट और क्वाट्रो), अजय चौधरी (एचसीएल इन्फोसिस्टम्स) और सौरभ श्रीवास्तव (आईआईएस इन्फोटेक/जेंसा) जैसे आईटी और बीपीओ के संस्थापक इसी फेहरिस्त में शुमार हैं। उन्होंने सत्तर और अस्सी के दशकों में अपनी-अपनी कंपनियों की स्थापना की थी और उभरते कारोबारों की मदद कर एक तरह से वे अपने अतीत को दोहरा रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि अपने दम पर एक और नई कंपनी खड़ी करने की तमन्ना उनमें अब नहीं रही है। लेकिन वे ऐसे युवाओं के लिए रणनीति बना रहे हैं, जो आगे चलकर कामयाब उद्यम खड़े कर देंगे। भारतीय बीपीओ उद्योग के संस्थापकों में से एक रॉय कहते हैं कि उन्होंने अब तक 25 से अधिक कंपनियों में निवेश किया है और ऐसा केवल तकनीकी कंपनियों तक सीमित नहीं है। रॉय कहते हैं कि जब उन्होंने शुरुआत की थी तो उस समय न तो कोई रास्ता दिखाने वाला था और न ही पूंजी उपलब्ध कराने वाला था।