अब मोबाइल कंपनियों राहत देने के लिए आधार एक्ट में भी बदलाव करेगी सरकार
आधार के मोबाइल कंपनी और बैंकों द्वारा इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद अब सरकार आधार एक्ट में बदलाव करने का मन बना रही है। इस बदलाव के बाद निजी मोबाइल कंपनियां और बैंक आधार का पहले की तरह इस्तेमाल नई सिम लेने या फिर खाता खोलने के लिए कर सकेंगे।
सेक्शन 57 को हटाया
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आधार एक्ट के सेक्शन 57 को हटा दिया था। इस सेक्शन की बदौलत ही मोबाइल कंपनियां और बैंक आधार नंबर के जरिए खाता खोलते थे या फिर सिम जारी करते थे। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि जल्द ही सरकार फैसले को पढ़ने के बाद बैंकों, मोबाइल कंपनियों और प्रतियोगी परीक्षाएं कराने वाले सरकारी संस्थानों के लिए नियमों में बदलाव करेगी।
सीबीएसई को भी मिल सकती है राहत
प्रतियोगी परीक्षाएं कराने वाली कानून मंत्री ने कहा कि सीबीएसई और अन्य शैक्षिक संस्थानों को राहत देने के लिए भी मानव संसाधन विकास मंत्रालय से बातचीत की जाएगी। प्रसाद ने फिनटेक कंपनियों से भी चिंता नहीं करने के लिए कहा है।
यूनिक आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) के सीईओ अजय भूषण पांडेय ने कहा है कि यह फैसला आधार की जीत है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि प्राइवेट कंपनियों को भी बिना कानून बनाए इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। अब ऐसी निजी कंपनियों, बैंकों व संस्थानों को अगर आधार डाटा का इस्तेमाल करना है, तो फिर सरकार कानून लेकर आए और फिर इसकी अनुमति मिल सकती है।
कोर्ट ने यह दिया था फैसला
उच्चतम न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी ने आधार पर फैसला देते हुए कहा कि संवैधानिक रूप आधार वैध है। आधार की संवैधानिक वैधता और इसे लागू करने वाले वर्ष 2016 के कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर साढ़े चार महीने बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।
कोर्ट ने कहा कि सर्वश्रेष्ठ होने के मुकाबले अनूठा होना बेहतर है, आधार का अर्थ अनूठा है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि आधार के लिए यूआईडीएआई ने न्यूनतम जनांकीकीय और बायोमेट्रिक आंकड़े एकत्र किये।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि आधार का लक्ष्य कल्याणकारी योजनाओं को समाज के वंचित तबके तक पहुंचाना है और वह ना सिर्फ व्यक्तिगत बल्कि समुदाय के दृष्टिकोण से भी लोगों के सम्मान का ख्याल रखती है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि आधार जनहित में बड़ा काम कर रहा है और आधार का मतलब है अनोखा और सर्वश्रेष्ठ होने के मुकाबले अनोखा होना बेहतर है। न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा, किसी भी बच्चे को आधार नंबर नहीं होने के कारण लाभ/सुविधाओं से वंचित नहीं किया जा सकता है।