अपना स्वयं का घर हर व्यक्ति की जिंदगी का सबसे बड़ा सपना होता है। प्रॉपर्टी की आसमान छूती कीमतों की वजह से बहुत से लोग अपना यह सपना पूरा करने में असमर्थ हैं और किराये के मकान में रहने को मजबूर हैं। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे महानगरों में यह समस्या और भी गंभीर है। शहरों में 46.7 प्रतिशत आबादी आज भी किराये के मकान में रह रही है।
इस समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार ने कई अहम और मददगार कदम उठाए हैं। रियल एस्टेट सेक्टर के विशेषज्ञ मौजूदा समय को घर खरीदने के लिए सबसे सुनहरा समय बता रहे हैं, इसके पीछे कुछ ठोस कारण भी हैं।
नोटबंदी के बाद प्रमुख शहरों में प्रॉपर्टी की कीमतों में 30 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं दूसरी ओर इनवेंट्री लेवल बहुत अधिक होने और नकदी संकट से परेशान डेवलेपर्स ग्राहकों को लुभाने के लिए आकर्षक ऑफर और डिस्काउंट पेश कर रहे हैं। गुरुग्राम, नोएडा, मुंबई, कोलकाता, पुणे, हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई में बिना बिके घरों की संख्या 4,53,592 यूनिट है।
10 साल के निचले स्तर पर होम लोन की ब्याज दर
इस समय होम लोन की ब्याज दरें पिछले 10 साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई हैं, इससे ग्राहकों को लोन भी काफी सस्ता मिल रहा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट भाषण में कंस्ट्रक्शन लिंक्ड अफोर्डेबल हाउस, जिनका कवर्ड एरिया अधिकतम 60 वर्ग मीटर से अधिक न हो, को सर्विस टैक्स से छूट देने की घोषणा की है। यह छूट सभी केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं तथा निजी डेवलेपर्स द्वारा बनाए गए घरों पर लागू है।
सरकार ने की होम लोन पर सब्सिडी की घोषणा
इसके अलावा सरकार ने होम लोन पर सब्सिडी देने की घोषणा की है। यह सब्सिडी 960 वर्ग फुट एरिया वाले फ्लैट पर 3 प्रतिशत है। 961 वर्ग फुट से 1184 वर्ग फुट वाले फ्लैट पर 4 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है। यह सब्सिडी योजना एक जनवरी 2017 के बाद स्वीकृत इस श्रेणी के अंतर्गत आने वाले सभी होम लोन पर लागू होगी।
960 वर्ग फुट वाले फ्लैट पर अधिकतम 9 लाख रुपए के लोन पर यह सब्सिडी मिलेगी। इसी प्रकार 961 से 1184 वर्ग फुट वाले फ्लैट्स के लिए अधिकतम 12 लाख रुपए के लोन पर सब्सिडी लागू होगी। यह सब्सिडी ऐसे लोगों को दी जएगी, जिनकी वार्षिक आय 18 लाख रुपए से कम है। पहले यह योजना 6 लाख रुपए वार्षिक आय वाले व्यक्तियों पर ही लागू थी।
खरीददारों के पास मोलभाव करने का ज्यादा चांस
प्रॉप इक्विटी के सीईओ समीर जसूजा का कहना है कि भारत में रियल एस्टेट सेक्टर, विशेषकर हाउसिंग, नोटबंदी के बाद एक महत्वपूर्ण परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है क्योंकि लेनदेन गतिविधियां आश्चर्यजनक ढंग से कम हुई हैं। ऐसे में घर खरीदारों के पास मोलभाव करने की ज्यादा शक्ति है, क्योंकि डेवलेपर्स दबाव में हैं।
संपत्ति क्षेत्र की सलाहकार नाइट फ्रेंक इंडिया तथा उद्योग मंडल फिक्की की संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि डेवलपर्स तथा वित्तीय संस्थानों में निराशा की वजह से रियल एस्टेट क्षेत्र की धारणा प्रभावित हुई है।
संपत्ति क्षेत्र की सलाहकार नाइट फ्रेंक इंडिया तथा उद्योग मंडल फिक्की की संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि डेवलपर्स तथा वित्तीय संस्थानों में निराशा की वजह से रियल एस्टेट क्षेत्र की धारणा प्रभावित हुई है।