अभी-अभी: गंगा के लिए 111 दिन तक अनशन कर रहे प्रो. जीडी अग्रवाल का निधन
गंगा एक्ट की मांग को लेकर 111 दिन से अनशन पर बैठे पर्यावरणविद प्रोफेसर जी डी अग्रवाल उर्ष ज्ञानस्वरूप सानंद का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया. प्रो अग्रवाल ने मंगलवार को जल भी त्याग दिया था, जिसके बाद प्रशासन ने उन्हें जबरन उठाकर ऋषिकेश के एम्स में भर्ती करवा दिया था.
गौरतलब है कि प्रोफेसर जी डी अग्रवार अविरल गंगा के पैरोकार थे और गंगा को बांधों से मुक्त कराने के लिए कई बार आंदोलन कर चुके थे. मनमोहन सरकार के दौरान 2010 में उनके अनशन के परिणाम स्वरूप गंगा की मुख्य सहयोगी नदी भगीरथी पर बन रहे लोहारी नागपाला, भैरव घाटी और पाला मनेरी बांधों के प्रोजेक्ट रोक दिए गए थे, जिसे मोदी सरकार आने के बाद फिर से शुरू कर दिया. सरकार से इन बांधों के प्रोजेक्ट रोकने और गंगा एक्ट लागू करने की मांग को लेकर प्रोफेसर अग्रवाल 22 जून से अनशन पर थे.
प्रोफेसर जीडी अग्रवाल का अनशन खत्म कराने के लिए पिछले दिनों केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती उनसे मिलने गई थीं और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से उनकी फोन पर बात भी कराई थी. लेकिन प्रोफेसर अग्रवाल ने गंगा एक्ट लागू होने तक अनशन जारी रखने की बात कही. मंगलवार को उन्होंने अन्न के बाद जल भी त्याग दिया था, जिसके बाद प्रशासन ने उन्हें जबरन उठाकर बुधवार को ऋषिकेश के एम्स में भर्ती करवा दिया.
मशहूर पर्यावरणविद जी डी अग्रवाल आईआईटी कानपुर से सेवानिवृत्त प्रोफेसर थे. जिन्होंने सेवानिवृत्त होने के बाद शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से संत की दीक्षा ली थी. दीक्षा लेने के बाद उन्हें ज्ञानस्वरूप सानंद के नाम से जाना जाने लगा. जी डी अग्रवाल ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से अंतिम इच्छा जाहिर करते हुए कहा था कि मरणोपरांत उनके शरीर को वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय को दे दिया जाए.
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने ‘आजतक’ से बातचीत में बताया कि उनकी गुरुवार सुबह संत सानंद से बात हुई थी और उन्होंने कहा कि डॉक्टरों ने बोला है कि उनके शरीर में पोटैशियम की कमी है, लिहाजा उन्होंने आईवी से पोटैशियम का डोज लिया है. अविमुक्तेश्वरानंद ने सरकार पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जैसा संत निगमानंद के साथ हुआ वैसा ही संत सानंद के साथ भी हुआ है. जो भी गंगा के बारे में बोलेगा मार दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि वे इसे प्रोफेसर अग्रवाल की हत्या मानते हैं. इसलिए एम्स प्रशासन से पत्र लिखकर मांग करने जा रहे हैं कि उनके शव का पोस्टमॉर्टम कर तथ्य जनता के सामने रखें.