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अभी-अभी : ट्रंप के फैसले से 150 अरब डॉलर के IT उद्योग को झटका

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘अमेरिका फर्स्ट’ अभियान के तहत अमेरिकियों के रोजगार की रक्षा करने वाले कार्यकारी आदेश पर दस्तखत कर दिए हैं। ट्रंप ने कहा कि इससे विदेशी तकनीकी कामगारों के लिए वीजा कार्यक्रम में सुधार होगा और अमेरिकी कंपनियां संघीय कांट्रेक्ट के तहत अपने देश के बेरोजगारों को नौकरियां मुहैया करा सकेंगी। इस आदेश का सबसे बड़ा झटका भारत के इंफोटेक उद्योग पर पड़ेगा क्योंकि अमेरिका में एच-1 बी वीजा के तहत सबसे ज्यादा नौकरियों पर भारतीयों का ही कब्जा है।
अभी-अभी : ट्रंप के फैसले से 150 अरब डॉलर के IT उद्योग को झटका
 

इस नए आदेश का मकसद अमेरिकी कंपनियों के लिए वहां के नागरिकों को नौकरियों में प्राथमिकता देने के लिए बाध्य करना है। चूंकि भारतीय युवा तकनीकी रूप से पेशेवर होते हैं और कम वेतन पर अधिक काम करने में सक्षम होते हैं इसलिए कंपनियां शुरू से इस आदेश का विरोध करती रही हैं। लेकिन ट्रंप प्रशासन की दलील है कि एच-1 बी वीजा का दुरुपयोग रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। ट्रंप के आदेश में कुशल विदेशी कामगारों के लिए वीजा पुनर्समीक्षा और सरकार द्वारा अमेरिका में बने माल की खरीद का आव्हान किया गया है।

विस्कॉन्सिन के एक कारखाने के दौरे पर आए ट्रंप ने आदेश पर दस्तखत से पहले कहा कि – ‘हम अपने कामगारों और उनके रोजगार को सुरक्षा देते हुए अमेरिका को पहली पायदान पर रखेंगे।’ राष्ट्रपति के आदेश में ‘बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन’ के तहत सभी सरकारी विभागों में अमेरिका फर्स्ट को प्राथमिकता देने और वीजा के दुरुपयोग की समीक्षा करने को कहा गया है। आदेश में एच-1 बी वीजा में ऐसे सुधार करने को कहा गया है कि यह वीजा अत्यंत कुशल या अधिक वेतन वाले आवेदक को ही मिले। यह शर्त कई विदेशियों समेत हजारों भारतीयों को भी वीजा की दौड़ से बाहर कर देगी।

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