अभी-अभी: सज्जन कुमार ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा, 1984 दंगे में पाया गया दोषी
1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में कल यानी 17 दिसंबर को हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने 6 सिखों की हत्या करने वाले आरोपी सज्जन कुमार को दोषी करार दिया और उम्र कैद की सजा सुनाई। हाईकोर्ट का ये फैसला निजली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आया। दोषी करार दिए जाने के सवालों पर कांग्रेस नेता सज्जन कुमार ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया।
वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सज्जन कुमार को दोषी करार दिए जाने पर कहा कि सज्जन कुमार के खिलाफ कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं, आखिरकार 34 साल बाद सिख समुदाय को कुछ इंसाफ मिला। उम्मीद है कि इसमें शामिल अन्य बड़े नेता भी दंडित होंगे, और इसी तरह 2002 के गुजरात दंगों तथा मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के दोषी भी सज़ा पाएंगे।
इससे पहले मामले को लेकर अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए कहा कि यह निर्दोष पीड़ितों के लिए बहुत लंबा दर्दनाक भरा इंतजार रहा है, जिनकी हत्या सत्ता में हुई थी। उन्होंने कहा कि वह 1984 के दंगों के मामले में सज्जन कुमार को दोषी ठहराए जाने के उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि चाहे कोई कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, लेकिन किसी भी दंगे में शामिल किसी को भी बचने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
आपको बता दें कि इस मामले में निचली अदालत ने फैसला सुनाते हुए कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी कर दिया था। इस बाद निचली अदालत के देने के बाद दिल्ली में कई याचिकाएं दाखिल की गई। जस्टिस एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने 29 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर, रिटायर नेवी अफसर कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और दो अन्य को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद एक नवंबर 1984 को दिल्ली छावनी के राजनगर क्षेत्र में एक परिवार के पांच सदस्यों के हत्या से जुड़े मामले में दोषी ठहराया और तीन-तीन साल की कारावास की सजा सुनाई, लेकिन सज्जन कुमार को बरी किया था।
तकरीबन 34 साल के बाद 1984 सिख दंगे के आरोपी सज्जन कुमार को दोषी माना। कोर्ट ने सज्जन को हिंसा कराने और दंगा भड़काने का दोषी पाया गया है। इस मामले पर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की बेंच ने फैसला सुनाया। आपको बता दें कि 31 अक्टूबर 1984 को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों द्वारा हत्या किए जाने के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगा भड़का।