सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से कहा है कि बिना कोर्ट की अनुमति के आश्रय गृह की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारियों का तबादला नहीं किया जाए। बता दें कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) की रिपोर्ट में बिहार के 17 आश्रय गृहों पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई थी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई को इस मामले की जांच करनी चाहिए।
बता दें कि मंगलवार को मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सरकार नाकामी को लेकर फटकार लगाते हुए अफआईआर कॉपी सही करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कॉपी को सही करने लिए बिहार सरकार को 24 घंटे का समय दिया। इस केस की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में बिहार के मुख्य सचिव पहुंचे थे।
कोर्ट ने कहा कि आपने एफआईआर में हल्की धाराएं जोड़ी हैं। आईपीसी की धारा-377 के तहत भी मुकदमा होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि “अगर हमें पता लगता है कि आईपीसी की धारा 377 और पॉस्को एक्ट के तहत जुर्म हुए हैं और आपने उन्हें एफआईआर में दर्ज नहीं किया है तो हम सरकार के खिलाफ आदेश जारी करेंगे।”
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को टार्गेट करते हुए कहा कि आप क्या कर रहे हैं? यह शर्मनाक है। अगर बच्ची के साथ लागातार दष्कर्म हुआ है आप कहते हैं कुछ भी नहीं हुआ? भला आप ये कैसे कर सकते हैं? यह अमानवीय है। हमें बताया गया कि मामला बड़ी गंभीरता से देखा जाएगा, यह है आप की गंभीरता? हर बार जब मैं इस फाइल को पढ़ता हूं तो महसूस करता हूं कि ये दुखद है। ”
कोर्ट ने आगे कहा कि 110 में से 17 शेल्टर होम में दष्कर्म की घटनाएं हुईं। क्या सरकार की नजर में वो देश के बच्चे नहीं हैं? सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई कल बुधवार दोपहर दो बजे तक के लिए टाल दी है। इसके साथ ही मुख्य सचिव को भी आदेश दिए हैं कि वे सुनवाई के दौरान कोर्ट में ही मौजूद रहें। कोर्ट ने कहा आपका रवैया ऐसा है कि अगर किसी बच्चे के साथ दुराचार होता है तो आप जुवेनाइल बोर्ड के खिलाफ ही कार्रवाई कर देंगे?